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इतिहास का पहला 'मर्जी से हारा' मैच, जिसमें पाकिस्तानी प्लेयर्स ने अंपायर की नौकरी खा ली!

करियर ही ओवर कर दिया.

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इंजमाम-उल-हक-डेरेल हेयर

क्रिकेट के मैदान पर अंपायर से बड़ा कोई नहीं होता है. उनका फैसला ही अंतिम फैसला होता है. बिल्कुल वैसे ही, जैसा बाहुबली मूवी में शिवगामी देवी का ‘वचन ही शासन’ होता था. हालांकि जिस तरह इस मूवी में एक दफ़ा शिवगामी देवी को उनका ही डायलॉग भारी पड़ गया था, वैसे ही कई बार अंपायर्स के साथ भी हो चुका है.

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अगर आप इतिहास उठाकर देखेंगे, तो आपको ऐसे कई क़िस्से मिल जाएंगे. लेकिन आज हम एक खास क़िस्से का ज़िक्र करने वाले हैं. ये क़िस्सा पाकिस्तान और इंग्लैंड के बीच हुए मैच का है. इसमें मैदानी अंपायर डेरेल हेयर ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों के मैदान पर ना आने पर मैच को फॉफ़ट (पाकिस्तान को हारा हुआ) डिक्लेयर कर दिया था.

और अंपायर के इस फैसले के बाद खूब बवाल कटा था. इतना कि इस फैसले ने अंपायर हेयर के करियर को ही खत्म कर दिया. और तो और, ये इतिहास का पहला फॉफ़ट (Forfeit) टेस्ट मैच भी बन गया. अब माहौल बन गया हो तो, इस क़िस्से को शुरू से शुरू करते हैं.

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# इतिहास का पहला फॉफ़ट टेस्ट

ये बात साल 2006 की है. पाकिस्तान की टीम इंग्लैंड के दौरे पर गई थी. उनके साथ चार टेस्ट, एक T20I और पांच मैच की वनडे सीरीज़ खेलने के लिए. इस सीरीज़ का चौथा टेस्ट मैच ओवल में खेला जा रहा था. और यहां पर पाकिस्तान की टीम अच्छी स्थिति में थी. पाकिस्तानियों ने टॉस जीतकर अंग्रेज़ों को पहले बल्लेबाजी के लिए बुलाया.

और उनको 173 पर समेटकर अपनी पहली पारी 504 रन पर खत्म कर दी. अब दूसरी पारी शुरू हुई, टी ब्रैक तक इंग्लैंड की टीम 298 पर चार विकेट खोकर अच्छी बैटिंग कर रही थी. अंग्रेज़ इसी को आगे बढ़ाने की सोच रहे थे. लेकिन दिक्कत ये हुई कि यहां पाकिस्तान के कप्तान इंजमाम–उल–हक ने आगे गेंदबाजी करने से मना कर दिया.

दरअसल हुआ ऐसा, कि टी से पहले 56वें ओवर के दौरान अंपायर डेरेल हेयर और बिली डॉक्टरोव ने पाकिस्तान पर बॉल टेम्परिंग का आरोप लगाया था. और इसके चलते इंग्लैंड की टीम को पांच रन के साथ नई गेंद दे दी थी. टी के बाद इसका विरोध प्रदर्शन करते हुए इंजमाम ने अपनी टीम को मैदान पर उतारने से ही इनकार कर दिया.

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क़रीबन 20 मिनट तक इंतजार करने के बाद, अंपायर हेयर ने पाकिस्तान को कहा कि आपको बोलिंग करने के लिए आना ही होगा. फिर जब वो नहीं आए तो अंपायर ने बेल्स को हटाते हुए इंग्लैंड को विजेता घोषित कर दिया. द गार्डियन की मानें तो इसके क़रीबन 25 मिनट बाद इंजमाम अपनी टीम के साथ मैदान पर उतरे. गेम को जारी रखने के लिए. और इंग्लैंड टीम भी इसके लिए तैयार थी.

फोटो - पाकिस्तान क्रिकेट टीम 

लेकिन बेल्स हटाने के बाद अंपायर हेयर और डॉक्टरोव इसके लिए राज़ी नहीं हुए. और मैच को फॉफ़ट ही रहने दिया. इस घटना के बाद खूब बवाल कटा. लेकिन अंपायर ने ये फैसला ICC के लॉ 21 के तहत लिया था. मैच के रिजल्ट पर इस लॉ में लिखा गया है,

‘वो साइड मैच हार जाएगी जो अंपायर्स की राय में खेलने से इनकार कर देती है. अगर अंपायर को लगता है कि कोई खिलाड़ी या खिलाड़ी द्वारा लिए गए एक्शन के चलते कोई साइड खेलने से इनकार कर सकती है, तो अंपायर मिलकर एक्शन के कारण का पता लगाएंगे.

अगर वो एक साथ निर्णय लेते हैं कि यह एक्शन एक साइड द्वारा खेलने से इनकार करना है, तो वो उस साइड के कप्तान को सूचित करेंगे. अगर कप्तान इस फैसले के साथ जाता है तो अंपायर इस फैसले को देखकर दूसरी टीम को विजेता घोषित कर सकते हैं.’

इसी लॉ पर अमल करते हुए हेयर और डॉक्टरोव ने ऐसा किया. आगे चलकर इस मसले पर बात करते हुए हेयर ने बताया था,

‘जब मैं ड्रेसिंग रूम में गया तो वो बात करने के मूड में नहीं थे. खेल को फिर से शुरू करने के लिए किसी से प्रतिबद्धता प्राप्त करना बहुत मुश्किल था. यह सिर्फ एक बार नहीं, दो बार हुआ था. जब उन्होंने बाहर आने से इनकार कर दिया. अगर लोग मैच खेलने से मना करते हैं तो आप उन्हें कितने मौके दोगे?

ये सीधा-सीधा नहीं था. किसी भी काम की बात को अंजाम देना मुश्किल था, क्योंकि वहां साफ दिख रहा था कि ऐसी बातें पसंद नहीं की जा रही हैं. सारी चर्चा ड्रेसिंग रूम के दरवाजे पर होनी थी.’

वहीं, उस समय पाकिस्तान की कप्तानी कर रहे इंजमाम-उल-हक ने इस मुद्दे पर अपने यूट्यूब चैनल पर कहा,

‘उन्होंने महसूस किया कि गेंद से छेड़छाड़ की गई है और विपक्ष को पांच रन दे दिए. ICC के नियमों के अनुसार, इसका मतलब था कि हम ऐसा करने के दोषी साबित हुए. इसलिए मैं डेरेल हेयर के पास गया और उनसे पूछा कि गेंद में वास्तव में क्या खराबी थी. ICC के नियम के अनुसार अंपायर दूसरी टीम को पांच रन देने से पहले खिलाड़ी को दोषी होने की सूचना देता है.

फोटो - इंजमाम-उल-हक

हालांकि, मुझे सूचित नहीं किया गया था. फिर मैंने फैसला किया कि मैं इस तरह से टीम का नेतृत्व नहीं कर सकता और 15-20 मिनट तक इंतजार किया, ताकि सभी को यह दिखाया जा सके कि पूरी टीम ने फैसले का विरोध किया है. और हेयर ने भी मैदान में आकर मैच जारी रखने से मना कर दिया था.

मुझे लगा कि अगर हेयर ने मना कर दिया तो तीसरे अंपायर को वहीं से मैच जारी रखना चाहिए था. लेकिन अंपायर्स को इवेंट्स के लिए ICC द्वारा चुना जाता है, इसलिए ICC ने उनका समर्थन किया.’ 

# ICC ने नौकरी से निकाल दिया?

इस फैसले के बाद जब मैच इंग्लैंड के पक्ष में चला गया तो और बवाल कटा. पाकिस्तान की मांग थी कि इस मैच को ड्रॉ घोषित किया जाए. और ICC ने भी अंपायर हेयर के फैसले पर सख्त रवैया अपनाते हुए केस शुरू कर दिया. इस केस में कई दफ़ा मीटिंग हुई. पाकिस्तान के कप्तान इंजमाम-उल-हक ने खुद को बॉल टेम्परिंग में दोषी साबित करने की चेतावनी दे डाली.

जब ICC की तरफ से प्रेस कॉफ्रेंस हुई तो उनके CEO मैल्कम स्पीड ने बताया कि अंपायर हेयर पांच लाख यूएस डॉलर में इस्तीफा देने के लिए तैयार है. और दूसरी तरफ अपनी प्रेस कॉफ्रेंस में हेयर ने कहा, कि मैं रिटायर नहीं होने वाला है क्योंकि,

‘मैं बहुत अच्छा हूं.’ 

बॉल टेम्परिंग के मामले में इंजमाम ने भी ICC में अपने बयान दर्ज करवाए, जिसके बाद उनको क्लीन चीट दी गई. और साथ में ICC के प्रेसिडेंट पर्सी सोन (Percy Sonn) ने हेयर के भविष्य पर बताया,

‘ICC ने हेयर में विश्वास खो दिया है. और उनके भविष्य पर विचार हो रहा है. उन्हें भविष्य के किसी भी अंतरराष्ट्रीय खेल में अंपायरिंग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी जिसमें फुल मेम्बर्स शामिल होंगे.’ 

ये फैसला आने के बाद हेयर ने ICC और PCB के खिलाफ एम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल को शिकायत की. उनका कहना था कि उनके साथ नस्लीय अन्याय हुआ है. क्योंकि उनके साथी अंपायर डॉक्टरोव के साथ कुछ नहीं हुआ था. क्रिकइंफो की मानें तो उन्होंने कहा था,

‘अगर मैं पाकिस्तान, वेस्टइंडीज़ और इंडिया से होता, तो शायद मेरे साथ अलग तरह का बर्ताव होता, जैसा डॉक्टरोव के साथ हुआ.’

फोटो - इंग्लैंड वर्सज़ पाकिस्तान 2006

डॉक्टरोव के बारे में गार्डियन से बात करते हुए हेयर ने कहा था,

‘उसने फैसला किया कि वह मेरे साथ सभी संपर्क काट देगा. मुझे नहीं पता क्यों. लोग की चॉइस होती है. उन्होंने बराबर की भूमिका निभाई. कोई जबरदस्ती नहीं थी. चीजें तब तक नहीं हो सकती, जब तक दोनों अंपायर सहमत नहीं हो जाते. अगर बिली डॉक्टरोव ने कहा होता 'नहीं, मुझे नहीं लगता कि गेंद की स्थिति बदली गई है', तो मैं गेम को जारी रखता.’

डॉक्टरोव और हेयर के बीच की इस तनातनी से बाहर केस पर वापस लौटते है. हेयर के नस्लीय अन्याय वाले केस पर कुछ दिन सुनवाई हुई. और अंत में हेयर ने ICC के साथ कोर्ट के बाहर समझौता कर लिया. समझौते के तहत हेयर ने छह महीने रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम जॉइन किया, जिसके बाद उनके अंपायरिंग करियर पर फैसला हुआ.

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