आराम, रेस्ट या सुस्ताना. शब्द अनेक, मतलब एक. किसी काम से ब्रेक लेना. शरीर और दिमाग को आराम देना, जिससे वो दोनों ही तरोताजा होकर दोबारा काम में लग सकें. ये काम अक्सर बहुत थकने के बाद किया जाता है. और थकान तो कुछ भी करने से आ सकती है. मैं कई ऐसे लोगों को जानता हूं जो लेटे-लेटे थक जाते हैं.
राहुल द्रविड़-रोहित शर्मा के इतने ब्रेक्स का राज क्या है?
कितने टूर मिस कर चुके हैं द्रविड़?
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तो कई नौजवान ऐसे भी हैं जो लगातार तीन-चार दिन तक T20 मैच खेलते ही रहते हैं. और लगातार माने लगातार. विदाउट ब्रेक. सुबह मैच खेलते, दिन में ऑफिस जाते. अगली सुबह फिर मैच और फिर ऑफिस. मतलब यही सिलसिला कई दिन चलता रहा. लेकिन जाहिर है कि वो लोग कोई इंटरनेशनल मैच नहीं खेलते.
और जो इंटरनेशनल या फिर डोमेस्टिक मैच नहीं खेलता वो भी कोई क्रिकेटर है महाराज! छोड़िए, इनकी क्या बात करनी. इन्हें पीछे छोड़ते हैं और शुरू करते हैं.
इंट्रो से आप ऑलमोस्ट समझ गए होंगे कि आज हम प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी के मशहूर नारे- आराम हराम है. पर चर्चा करेंगे. तो चलिए इस चर्चा की शुरुआत टीम इंडिया के पूर्व कोच रवि शास्त्री के एक बयान से. शास्त्री ने हाल ही में कहा,
'मैं ब्रेक्स में यकीन नहीं रखता, IPL के दौरान आपको दो महीनों का रेस्ट मिलता है और वह काफी है. अगर मैं कोच हूं, तो मैं अपने प्लेयर्स को देखना और उनके साथ रहना चाहूंगा. जिससे मैं उन्हें हर वक्त क़रीब से देख सकूं.'
शास्त्री पहले क्रिकेटर थे, फिर प्लेयर मैनेजमेंट की ओर गए, फिर कॉमेंट्री की, फिर टीम इंडिया के कोच बने और आजकल दोबारा से कॉमेंट्री कर रहे हैं. शास्त्री के पूरे करियर में उनकी बातों को अक्सर हल्के में लिया गया. क्योंकि उनकी छवि मौज-मस्ती करने वाले, खुलकर जीने वाले व्यक्ति की रही है. इसलिए लोगों को लगता है कि उनकी बातों में वजन नहीं रहता.
क्योंकि हमारी कंडिशनिंग ही ऐसी हुई है. खुलकर जीने वाले लोगों को या तो हम मजाक में लेते हैं या फिर मजाक में ही लेते हैं. तो शास्त्री की जी इस बात का लोड नहीं लेते हुए आगे बढ़ते हैं. लेकिन देखना होगा कि ज्यादा आगे ना निकल जाएं, क्योंकि आगे हमारे सीनियर प्लेयर्स और मुख्य कोच आराम कर रहे हैं. और ये आराम शुरू हुआ है T20 वर्ल्ड कप खत्म होने के बाद.
वो वाला T20 वर्ल्ड कप जिसमें हमारी टीम कायदे की टीम से सिर्फ एक मैच जीती. वो भी विराट कोहली की मास्टरक्लास के दम पर. जी हां, पाकिस्तान वाला मैच हटा दें तो आपने किस बड़ी टीम को हराया? आप साउथ अफ्रीका से भी हारे और इंग्लैंड से भी. कोहली ना चलते तो आप पाकिस्तान से भी हारे होते. इस प्रदर्शन के तुरंत बाद कोई भी सीरियस टीम क्या करती?
बड़े लोग साथ बैठते, डिस्कशन होता. आगे के प्लान बनाए जाते. और हमने क्या किया? रेगुलर कप्तान, उपकप्तान और सीनियर प्लेयर्स को रेस्ट दे दिया. इतना ही नहीं. इनके साथ कोच को भी रेस्ट दे दिया. क्योंकि जो होना था वो हो गया, अब उस पर सोचकर क्या फायदा? अब भले ही लगातार दो साल से हम ICC वर्ल्ड कप में शर्मिंदा हो रहे हों. लेकिन इससे हमें क्या. सीखने में कोई कमी हो तो बताइए.
मैच के बाद होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में लच्छेदार जवाब ना मिल रहे हों तो बताइए. और तो और, सवाल उठाने वालों को मुंहतोड़ जवाब ना दे रहे हों तो भी बताइए. इन सबमें कोई कमी दिख रही हो तो टेंशन मत लीजिए. द्विपक्षीय सीरीज़ तो होने दीजिए. वहां दिखा देंगे कि हममें कितना दम है. ये इररेलेवेंट वर्ल्ड कप में क्या ही दिखाना.
बता दें कि द्रविड़ ने बीते नवंबर में ही टीम इंडिया के हेड कोच की पोजिशन संभाली थी. इसके बाद से वह आयरलैंड टूर, ज़िम्बाब्वे टूर और साउथ अफ्रीका के खिलाफ घरेलू वनडे सीरीज़ से गायब रह चुके हैं. इसके अलावा वह एशिया कप की शुरुआत में भी टीम के साथ नहीं थे. इन मौकों के अलावा लक्ष्मण ने इंग्लैंड के खिलाफ़ पहले T20I मैच में भी टीम की कोचिंग संभाली थी.
अब न्यूज़ीलैंड में भी लक्ष्मण ही टीम इंडिया की कोचिंग संभालेंगे. जबकि द्रविड़ और उनके साथ बांग्लादेश सीरीज़ से ड्यूटी पर लौटेंगे. उनके साथ ही लौटेंगे टीम के सीनियर प्लेयर्स भी. और फिर ये आराम पर कब जाएंगे? ये शायद इस सीरीज़ के बाद ही पता चलेगा. और जब पता चलेगा तो आप भी जान ही जाएंगे. तब तक नेहरू जी को याद करते हुए प्रदीप जी का लिखा कितना बदल गया इंसान नाम का गाना गा लेते हैं!
टीम इंडिया की बयानबाज़ी अच्छी है, लेकिन डिफेंड करने के लिए कुछ तो हो