शिखर के पिता ने उनके दादाजी से फैक्ट्री खरीदी... सुनकर अटपटा लगा? इसके पीछे एक लंबी कहानी है. और कहानी ऐसी, जिसपर गर्व किया जाना चाहिए. सुनाने वाला भी कोई और नहीं, खुद टीम इंडिया के सुपरस्टार शिखर धवन हैं. प्यार से गब्बर कहे जाने वाले धवन ने द लल्लनटॉप के नए शो 'बैठकी' पर सौरभ द्विवेदी से दिल खोल कर बातचीत की. इसमें उन्होंने अपने परिवार के बारे में भी बताया.
शिखर धवन के परिवार का पाकिस्तान कनेक्शन जानते हैं?
पाकिस्तान के किस इलाके से आया गब्बर का परिवार?

धवन के दादा जी पाकिस्तान के कराची में रहते थे. देश का विभाजन हुआ, तब वो पंजाब आए. पूरा किस्सा, खुद सुनिए. धवन बताते हैं,
‘मेरे दादाजी पहले कराची में रहते थे. मेरी फैमिली सारी. फिर जब सेपरेशन हुआ तब वो यहां आए. वो लोग लुधियाना में पिंड जीरा है, वहां रहे. मेरे पिता का जन्म वहीं हुआ. वहीं पले-बढ़े हैं वो. उसके बाद उन्होंने चप्पल का बिजनेस स्टार्ट किया, वो काफी अच्छा था उस वक्त. फिर वो दिल्ली आए. शायद (पहले) बॉम्बे आए, फिर दिल्ली आए... फिर यहां पर अच्छा बिजनेस किया. फैक्ट्रियां थी चप्पल की. फिर मेरे पापा भी दादाजी के साथ ही काम पर जाते थे. फिर मेरे पापा ने दादाजी से एक फैक्ट्री खरीद ली, वो आज भी उनके पास है, पापा मेरे बिजनेस करते हैं...’
सौरभ इस पर चौंके. दादा से फैक्ट्री खरीद ली? धवन ने कहा,
‘हां, बिल्कुल. मैं भी जब होगा खरीद लूंगा उनसे.’
सौरभ ने कहा,
‘ये समझ नहीं आया...’
धवन ने समझाया,
‘खरीद ली क्योंकि दो-तीन बच्चे हैं, सब हैं, तो हिस्सा हो जाता है. जैसे मेरी दो बहनें हैं. अगर मेरे पिता फैक्ट्री देंगे तो तीनों को देंगे ना. हिस्सा बराबर देंगे. ये थोड़ी की सिर्फ मेरे को देंगे. मुझे पता है मेरे पिता के लिए वो फैक्ट्री बहुत अज़ीज है. उन्होंने अपने बच्चे की तरह उसे 40-50 साल से रखी है. तो एक इमोशनल वैल्यू होती है और कॉमर्शियल वैल्यू भी है.’
सौरभ का सवाल,
‘किस तरह की चप्पल बनती है वहां? लेदर वाली...’
शिखर ने टोका, और बताया,
‘अब नहीं. वो मेरे दादाजी करते थे. अब मेरे पिताजी प्लास्टिक की चीज़ों का काम करते हैं. मैं भी गया हूं फैक्ट्री कई बार. मोल्डिंग मशीन्स हैं, तो (उससे) बनाते हैं. पहले लंचबॉक्स बनाते थे, वॉटरबॉटल्स बनाते थे... अब वो चॉकलेट बॉक्स बनाते हैं, जितने भी मिठाई वाले हैं उनके लिए बनते हैं वहां पर.’
सौरभ ने आगे पूछा,
‘आप जब 14-15 साल के थे तब भी बिजनेस में ही जाना चाहते थे?’
धवन ने बताया,
‘14-15 साल में मैं क्रिकेट खेल रहा था. एक बार ऐसा हुआ कि बीच में मेरा मन हुआ कि क्रिकेट छोड़ दूं. सेल्स बॉय की तरह मुझे मौसाजी ले गए, उनका इम्प्लॉई ले गया... पूरा दिन मैं वहां काम करने गया...’
सौरभ ने पूछा,
‘क्या बेचने गए थे आप, बतौर सेल्स बॉय?’
धवन ने बताया,
‘उनका जूते के डब्बों का काम था. तो ऐसे जो सेल्समैन जाता था उसके साथ मैं भी चला गया. देख के आया क्या होता है, क्या नहीं होता.’
सवाल आया,
‘नहीं जमा?’
जवाब,
‘मैं सीख कर आया... फिर... मैं बहुत छोटा था. मैंने पूछा मैं कब बात करूंगा तो उन्होंने कहा कि अभी आज सीखो. 1-2 दिन ऐसा हुआ फिर मेरे कोचेस ने ही मुझे वापस खींच लिया. आ भाई, खेल तू.’
शिखर धवन ने इस ख़ास इंटरव्यू में सौरभ से बात करते हुए टीम इंडिया के साथ उनकी जर्नी, उनके करियर के ख़ास लम्हे, राहुल द्रविड़, और उनकी निजी जिंदगी पर दिल खोल कर बातचीत की है. ये वीडियो आप द लल्लनटॉप के यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं.
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