सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 16 जुलाई को मौत की सजा (Death Penalty) पाए एक व्यक्ति को बरी कर दिया. इस व्यक्ति पर अपने दो नाबालिग बच्चों समेत परिवार के चार लोगों की हत्या का आरोप है. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष संदेह से परे आरोपी का अपराध साबित करने में विफल रहा है.
SC ने मौत की सजा पाए शख्स को आजाद किया, बच्चों और पत्नी सहित 4 की हत्या का था आरोप
Punjab के इस व्यक्ति पर अपने दो नाबालिग बच्चों समेत परिवार के चार लोगों की हत्या का आरोप था. Supreme Court की तीन सदस्यीय बेंच ने शख्स को रिलीज करने की वजह भी बताई है.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, बलजिंदर कौर बनाम पंजाब राज्य केस की सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की तीन सदस्यीय बेंच ने कहा,
प्रमुख गवाहों की गवाही में गंभीर विरोधाभास और जांच में स्पष्ट दिख रही कमियों के चलते अभियोजन पक्ष का मामला काफी कमजोर दिख रहा है. जब किसी मनुष्य का जीवन दांव पर लगा हो तो उस मामले को बेहद ईमानदारी से निपटाया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि आपराधिक मुकदमों में सबूत के मानक पूरी सख्ती से लागू किए जाने चाहिए. तीन जजों की बेंच ने मामले में जांच के तरीके पर अफसोस जताते हुए कहा,
पूरा मामला क्या था?किसी को दोषी साबित करने के लिए इतनी जल्दबाजी, घटिया तरीके से जांच और बेहद सतही तरीके से चलाए गए ट्रायल लीगल सिस्टम की असफलता को जाहिर करते हैं. ऐसे जघन्य अपराधों में अभियोजन पक्ष का मामला ढीला ढाला होता है और उसमें कई बड़ी खामियां होती हैं. फिर भी अदालतें न्याय देने के उतावलेपन में ये सुनिश्चित करती हैं कि बिना पुख्ता सबूत के भी आरोपी मौत की सजा तक पहुंच जाए.
अभियोजन पक्ष के मुताबिक बलजिंदर कुमार उर्फ काला ने 29 नवंबर 2013 को पंजाब के कपूरथला में अपनी पत्नी, बेटी, बेटे और साली की हत्या कर दी. और दो अन्य लोगों को घायल कर दिया. बलजिंदर की सास ने उसकी बहन की शादी करवाई थी. लेकिन वो सफल नहीं रही. उसकी बहन के तलाक के बाद उसको 35 हजार का गुजारा भत्ता देना तय हुआ था. और उसकी सास इस मामले की गारंटर थी. लेकिन उसकी बहन को गुजारा भत्ता नहीं मिल रहा था.
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इस बात को लेकर बलजिंदर का अपनी पत्नी से झगड़ा हुआ था. झगड़े के बाद 17 नवंबर, 2013 को उसकी पत्नी अपने बच्चों के साथ मां के घर चली गई थी. अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि उसने कथित तौर पर धमकी दी थी कि अगर पैसे नहीं दिए गए तो वह अपनी पत्नी और बच्चों को मार देगा. साल 2020 में एक ट्रायल कोर्ट ने बलजिंदर को दोषी ठहराते हुए उसे मौत की सजा सुनाई. मार्च 2024 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने उसकी सजा को बरकरार रखा.
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