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जान पर खेलकर 16 साल की भारतीय लड़की ने कैसे जीता सिल्वर मेडल?

रेस खत्म करते ही हुई बेहोश, लाइफगार्ड ने बचाया.

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ड्रिकप्रिया पॉल ( फोटो क्रेडिट : TOI)
ड्रिकप्रिया पॉल. पश्चिम बंगाल की रोअर. 12 दिसंबर, रविवार को ड्रिकप्रिया पॉल ने पुणे में आयोजित 41वीं जूनियर नेशनल रोइंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता. 16 साल की ड्रिकप्रिया पॉल को ये मेडल हमेशा याद रहेगा. मेडल जीतने की रेस में ड्रिकप्रिया ने अपनी जान को दांव पर लगा दिया. वो तो शुक्र मनाइए लाइफगार्ड कनव कात्याल का, जिनकी नज़र ड्रिकप्रिया पर चली गई. वरना बड़ा हादसा हो सकता था. ड्रिकप्रिया को जान गंवानी पड़ सकती थी. # मामला क्या है? दरअसल, ड्रिकप्रिया पॉल ( Drikpriya Paul) सिंगल स्कल इवेंट में हिस्सा ले रहीं थीं. रेस के दौरान ड्रिकप्रिया पॉल दूसरे नंबर पर चल रहीं थीं. मध्य प्रदेश की मोनिका भदौरिया 1000 मीटर की इस रेस में उनसे आगे थीं. मोनिका को पछाड़ने के लिए ड्रिकप्रिया पॉल ने अपनी पूरी ताकत लगा दी. इस चक्कर में ड्रिकप्रिया की एनर्जी धीरे-धीरे खत्म होने लगी. और फिनिशिंग लाइन तक पहुंचते-पहुंचते ड्रिकप्रिया पॉल बेहोश होकर पानी में गिर गईं. और तभी लाइफगार्ड कनव कात्याल की नजर ड्रिकप्रिया पॉल पर पड़ी. और उन्होंने समझदारी दिखाते हुए ड्रिकप्रिया पॉल को पानी से निकालकर वापस नौका पर रख दिया. बता दें कि ड्रिकप्रिया पॉल रोइंग में करियर बनाने से पहले मार्शल आर्ट और स्विमिंग की ट्रेनिंग ले चुकी हैं. कराटे में नेशनल जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल भी जीत चुकी हैं. सिल्वर मेडल जीतने के बाद ड्रिकप्रिया पॉल ने कहा,
' मैं उनकी शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने मेरी जान बचाई. मैं बेहोश हो गई थी. और अपनी चेतना खो दी थी.'
वहीं, ड्रिकप्रिया पॉल की जान बचाने वाले कनव कात्याल ने कहा,
'लाइफगार्ड के तौर पर हम पहले ये सुनिश्चित करते हैं कि डूबने के डर से इंसान घबरा तो नहीं रहा है. कई बार ऐसी परिस्थिति में इंसान को शॉक देना होता है, जैसे उनके मुंह पर पानी मारते हैं. ताकि उनकी घबराहट और डर खत्म हो.'
बताते चलें कि ड्रिकप्रिया पॉल का ये नेशनल लेवल पर दूसरा मेडल है. सुभाशीष मुखर्जी की कोचिंग में ड्रिकप्रिया पॉल अच्छा प्रदर्शन कर रहीं हैं. साल 2019 में पुणे में ही ड्रिकप्रिया पॉल ने सिंगल स्कल इवेंट में ब्रॉन्ज़ मेडल जीता था.