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इंश्योरेंस सेक्टर में 100 प्रतिशत FDI वाला बिल पास, लोगों को अब क्या फायदा मिलेगा?

Loksabha के बाद Rajyasabha ने भी Insurance Sector में 100% FDI वाला बिल पास कर दिया है. विदेशी कंपनियों के लिए शत प्रतिशत FDI लागू होने से भारतीय बाजार में ग्लोबल इंश्योरेंस कंपनियों की आमद बढ़ेगी. और उनमें ग्राहकों को लुभाने का कंपटीशन भी. इससे पॉलिसी प्रीमियम की दरें सस्ती होंगी. यानी आम ग्राहक अब कम दाम पर बेहतर कवरेज वाली पॉलिसी खरीद पाएंगे.

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विदेशी कंपनियों के लिए शत प्रतिशत FDI लागू होने से भारतीय बाजार में ग्लोबल इंश्योरेंस कंपनियों की संख्या बढ़ेगी. (इंडिया टुडे)

संसद ने इंश्योरेंस सेक्टर (Insurance Sector) में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) की लिमिट 74 फीसदी से 100 फीसदी करने वाला बिल 'सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) विधेयक, 2025' पास कर दिया है. राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा हुई और फिर उसपर वित मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के जवाब के बाद 17 दिसंबर को ध्वनिमत से उसे पारित कर दिया गया. लोकसभा इसे 16 दिसंबर को ही पारित कर चुकी थी.

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्या कहा?

राज्यसभा में बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने बताया कि शत प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देने से विदेशी कंपनियों के लिए भारत में आना आसान होगा. कई बार विदेशी कंपनियों को स्थानीय पार्टनर नहीं मिल पाते, लेकिन 100 प्रतिशत FDI के बाद उन्हें इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी. निर्मला सीतारमण ने बताया कि ज्यादा कंपनियों के आने से देश में बीमा कवरेज बढ़ेगा, प्रीमियम में कमी आएगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. उन्होंने बताया, 

साल 2021 में एफडीआई 26 फीसदी से 74 प्रतिशत करने पर इंश्योरेंस सेक्टर में लगभग तीन गुनी नौकरियां बढ़ गईं. अब 100 प्रतिशत एफडीआई के बाद और ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा होंगे. साथ ही हमारा लक्ष्य 2047 तक सबको इंश्योरेंस कवर देना है.

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विपक्ष ने विधेयक का कड़ा विरोध किया

विपक्ष ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे संसदीय समिति के पास भेजने की मांग की. लेकिन सदन ने इसे खारिज कर दिया. DMK सांसद डॉ. कनिमोझी ने आरोप लगाया कि विदेशी बोर्ड प्रीमियम पर कंट्रोल करेंगे, जिससे काले धन का खतरा और राज्यों की ऑटोनॉमी पर असर पड़ सकता है. उन्होंने कहा,

 यह सहकारी बीमा कंपनियों और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) जैसे सार्वजनिक उपक्रमों को नुकसान पहुंचाएगा. उन्होंने तंजिया लहजे में कहा कि यह ‘सबका बीमा नहीं, बल्कि सबका बकवास है.’

तृणमूल कांग्रेस सांसद साकेत गोखेल ने विधेयक को जल्दीबाजी में लाने का आरोप लगाया. साथ ही उन्होंने इंश्योरेंस सेक्टर में शेयरहोल्डर्स से ज्यादा पॉलिसीहोल्डर्स के हितों को प्राथमिकता देने की मांग की. विपक्षी दलों ने डेटा प्राइवेसी, मुनाफे के विदेशों में जाने और संप्रभुता पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंता जाहिर की.

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बिल में क्या बड़े बदलाव किए गए हैं?

यह बिल इंश्योरेंस एक्ट 1938, लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन एक्ट 1956 और IRDAI एक्ट 1999 में संशोधन यानी बदलाव करता है. सबसे बड़ा बदलाव FDI लिमिट को 100 प्रतिशत करना है. इसके अलावा पॉलिसी होल्डर्स को बेहतर सुरक्षा के लिए पॉलिसी होल्डर्स एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड बनाया जाएगा. नॉन-इंश्योरेंस कंपनी का इंश्योरेंस फर्म से मर्जर भी आसान होगा. आम आदमी को और क्या-क्या मिलेगा विस्तार से जानते हैं.

सस्ती और बेहतर पॉलिसीज : विदेशी कंपनियों के लिए शत प्रतिशत FDI लागू होने से भारतीय बाजार में ग्लोबल इंश्योरेंस कंपनियों की आमद बढ़ेगी. और उनमें ग्राहकों को लुभाने का कंपटीशन भी. इससे पॉलिसी प्रीमियम की दरें सस्ती होंगी. यानी आम ग्राहक अब कम दाम पर बेहतर कवरेज वाली पॉलिसी खरीद पाएंगे. साथ ही उनको ज्यादा प्रीमियम भी नहीं चुकानी होगी.

नया और आधुनिक ग्लोबल इंश्योरेंस प्लान : पूरी दुनिया की कंपनिया भारतीय बाजार में आएंगी तो वो अपने साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर के नए प्लान भी लाएंगी. इनमें साइबर इंश्योरेंस, पेट इंश्योरेंस, या टेलर-मेड (जरूरत के हिसाब से तैयार) माइक्रो-इंश्योरेंस पॉलिसीज जैसे प्रोडक्ट शामिल होंगे. अभी भारतीय बाजार में इनकी लिमिटेड प्रेजेंस है. ये नए और इनोवेटिव पॉलिसीज कस्टमर्स को हर तरह के जोखिम से सुरक्षा देंगे. यानी उनकी फाइनेंशियल प्लानिंग और मजबूत होगी.

बेहतर और तेज गति से क्लेम सेटलमेंट : मार्केट में बढ़ती प्रतिस्पर्धा केवल प्रीमियम घटाने तक सीमित नहीं रहेगी, सर्विस क्वालिटी पर भी इसका सीधा असर दिखेगा. विदेशी कंपनियां अपनी नई टेक्नोलॉजी लाएंगी जिससे क्लेम के आवेदनों की प्रोसेसिंग और उनका भुगतान अधिक प्रभावी तरीके से होगा.

कस्टमर्स के हितों की सुरक्षा के उपाय : नए कानून के तहत बीमा नियामक संस्था IRDAI (इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया) को पहले से ज्यादा ताकत दी गई है. अब IRDAI को नियमों का उल्लंघन करने वाली या फिर ग्राहकों को ठगने वाली कंपनियों से गलत तरीके से कमाए गए मुनाफे को वसूलने का अधिकार मिलेगा.  

इंश्योरेंस की पहुंच (Penetration) बढ़ेगी : FDI की लिमिट खत्म होने के बाद बीमा कंपनियां टियर-2, टियर-3 शहरों के बाद अब देश के ग्रामीण इलाकों में भी अपनी पहुंच बढ़ाएंगी. बाजार में ज्यादा पूंजी आने से कंपनियां अपने ड्रिस्टिब्यूशन नेटवर्क को मजबूत करेंगी, जिससे एक बड़ी आबादी आसान शर्तों पर पॉलिसी खरीदने में सक्षम हो सकेगी.

ट्रांसपैरेंसी और बेहतर कस्टमर सर्विस : अंतरराष्ट्रीय कंपनिया बाजार में आएंगी तो वो ग्लोबल स्टैंडर्ड की कस्टमर सर्विस देने पर जोर देंगी ताकि कस्टमर्स को लुभाया जा सके. कंपटीशन बढ़ने से कंपनियों के लिए अपनी पॉलिसी की शर्तों, नियमों और क्लेम प्रोसेस में ज्यादा ट्रांसपैरेंसी बनाना जरूरी हो जाएगा. 

इंश्योरेंस एजेंटों के स्किल में सुधार आएगा : इंश्योरेंस एजेंटों के लिए बार-बार रजिस्ट्रेशन रिन्यू कराना पड़ता है. नए कानून में अब इसकी जगह 'वन टाइम रजिस्ट्रेशन' की व्यवस्था का प्रस्ताव है. इससे एजेंट प्रशासनिक कामों में उलझने के बजाए कस्टमर्स को बेहतर सलाह और सर्विस देने पर फोकस करेंगे. इससे काम में तेजी आएगी. और पॉलिसीहोल्डर्स को अपने लिए बेहतर पॉलिसी चुनने में मदद मिलेगी.

LIC को मिलेगी ज्यादा आजादी : देश की सबसे बड़ी और भरोसेमंद कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी (LIC) को अब नए जोनल ऑफिस खोलने या कामकाज के लिए फैसले लेने के लिए सरकार की मंजूरी का ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. LIC बाजार की जरूरतों के हिसाब से तेजी से फैसले लेने में सक्षम होगी, जिससे वो प्राइवेट कंपनियों से मुकाबला कर सके.

आर्थिक विकास और रोजगार के अवसर : विदेशी निवेश की लिमिट बढ़ाने से केवल इंश्योरेंस ही नहीं, इससे जुड़े सेक्टर्स में भी रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. पूंजी का फ्लो और इंश्योरेंस का कवरेज बढ़ने से देश की आर्थिक स्थिरता को बल मिलेगा और GDP ग्रोथ को भी गति मिलेगी.

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