साल 2002, तारीख 25 जुलाई. अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम, जिन्हें देश एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से जानता है, भारत के 11वें राष्ट्रपति बनते हैं. सत्तारूढ़ गठबंधन NDA उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाता है और विपक्षी दल कांग्रेस समेत तमाम प्रमुख दल उन्हें समर्थन देते हैं. हालांकि एक नई किताब में दावा किया गया है कि पहले एपीजे अब्दुल कलाम की जगह तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रपति बनाने की चर्चा चल रही थी. वहीं उनकी जगह तब के गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री बनाने की बात थी.
'भाजपा वाजपेयी को राष्ट्रपति बनाना चाहती थी, लेकिन... ', पूर्व पीएम के सलाहकार का बड़ा खुलासा
यह दावा किया है Former PM Atal Bihari Vajpayee के मीडिया सलाहकार रहे अशोक टंडन ने. उनके मुताबिक BJP ने वाजपेयी से कहा था कि पार्टी चाहती है कि आप राष्ट्रपति भवन चले जाएं. आप प्रधानमंत्री पद Lal Krishna Advani को सौंप दीजिए.


यह दावा किया है पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मीडिया सलाहकार रहे अशोक टंडन ने. उन्होंने हाल ही में 17 दिसंबर को ‘अटल संस्मरण’ नाम की अपनी नई किताब लॉन्च की है. किताब को प्रकाशित किया है प्रभात प्रकाशन ने. अशोक टंडन अपनी किताब में 2002 में एनडीए का राष्ट्रपति उम्मीदवार चुने जाने का किस्सा बताते हुए लिखते हैं,
भाजपा ने वाजपेयी से कहा था कि पार्टी चाहती है कि आप राष्ट्रपति भवन चले जाएं. आप प्रधानमंत्री पद लाल कृष्ण आडवाणी को सौंप दीजिए.
हालांकि, किताब में आगे बताया गया है कि अटल बिहारी वाजपेयी ने इस प्रस्ताव को साफ तौर पर ठुकरा दिया था. टंडन बताते हैं कि वाजपेयी ने कहा था कि वे इस तरह के किसी कदम के पक्ष में नहीं हैं. इस फैसले का समर्थन नहीं करेंगे. किताब के मुताबिक वाजपेयी का मानना था कि किसी लोकप्रिय प्रधानमंत्री का बहुमत के दम पर राष्ट्रपति बनना भारतीय संसदीय लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं होगा. इससे एक गलत परंपरा शुरू हो जाएगी.
बैठक में छाया सन्नाटाआजतक की रिपोर्ट के मुताबिक़ अशोक टंडन इसके आगे लिखते हैं कि इसके बाद वाजपेयी ने राष्ट्रपति पद के लिए सर्वसम्मति बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया. उन्होंने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित किया. उस बैठक में सोनिया गांधी, प्रणब मुखर्जी और डॉ. मनमोहन सिंह शामिल हुए थे. उसी बैठक में वाजपेयी ने पहली बार आधिकारिक तौर पर बताया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने राष्ट्रपति पद के लिए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को अपना उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है. इसके बाद बैठक में कुछ पल के लिए सन्नाटा छा गया. फिर सोनिया गांधी ने कहा कि वे इस चयन से हैरान हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास इसका समर्थन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. हालांकि उन्होंने कहा कि वह इस प्रस्ताव पर चर्चा कर अंतिम फैसला लेंगी. बाद में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को 2002 में NDA और विपक्ष, दोनों के समर्थन से भारत का 11वां राष्ट्रपति चुना गया. उन्होंने 2007 तक ये पद संभाला.
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इस किताब में अशोक टंडन ने वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान घटी कई घटनाओं और विभिन्न नेताओं के साथ उनके संबंधों का भी जिक्र किया है. अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की जोड़ी पर लिखते हुए टंडन ने कहा है कि कुछ नीतिगत मतभेदों के बावजूद दोनों नेताओं के संबंध कभी सार्वजनिक रूप से खराब नहीं हुए.
बता दें कि अशोक टंडन साल 1998 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी के मीडिया सलाहकार रहे. वहीं, अटल बिहारी वाजपेयी 1999 से 2004 तक पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले देश के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी थे.
वीडियो: क्या अब्दुल कलाम की जगह भाजपा अटल बिहारी को राष्ट्रपति बनाना चाहती थी? किताब में पता चला...

















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