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वर्ल्ड कप का मैच, स्ट्रॉस और बेल मैच जिता रहे थे और फिर आए ज़हीर ख़ान...

ये वो दिन था जब ज़हीर ने हारा हुआ मैच बचा लिया था.

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सांसे रोकने वाले इस मैच के एक पल को एन्जॉय करते Zaheer Khan.
ज़हीर ख़ान. बरसों तलक भारत के तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण के रीढ़ की हड्डी रह चुके खिलाड़ी. अपने 13-14 साल लंबे करियर में ज़हीर ने एक से बढ़कर एक परफॉरमेंस दी है. कितनी ही बार उन्होंने ऐसी गेंदें फेंकी हैं जिनपर कमेंटेटर्स के लहजे में 'व्हाट अ ब्यूटी' कहकर निसार हुआ जा सकता है.
बावजूद इसके अगर मुझसे कोई पूछे कि ज़हीर ख़ान के करियर की सबसे शानदार गेंद बताओ तो सबसे पहले मेरे ज़हन में जो याद आएगी वो 2011 के वर्ल्ड कप की है. वो गेंद जिसपर उन्होंने अविश्वसनीय क्रिकेट खेलते एंड्रू स्ट्रॉस को आउट किया था और मैच का नक्शा ही पलट दिया था.
उस मैच में अगर ज़हीर का वो करिश्माई स्पेल नहीं आता तो इंडिया वो मैच शर्तिया हार जाता. आज उसी मैच को याद करेंगे.
ज़हीर ख़ान.
ज़हीर ख़ान.

2011 वर्ल्ड कप मैच था वो. 27 फ़रवरी का दिन. मैच बेंगलुरु में खेला जा रहा था. इंडिया ने पहले बैटिंग करके 338 रन स्कोर बोर्ड पर टांग दिए थे. सचिन ने शतक मारा था. 5 छक्कों समेत. गंभीर और युवराज ने भी पचासे मारे थे. 338 का स्कोर काफी तंदुरुस्त था. इतना बड़ा स्कोर चेज़ करना मुश्किल ही होता है. भारतीय समर्थक जीत पक्की मानकर चल रहे थे. लेकिन इंग्लैंड के कप्तान एंड्रू स्ट्रॉस और इयान बेल के इरादे कुछ और ही थे. ख़ास तौर से एंड्रू स्ट्रॉस के. उन्होंने धुआंधार बैटिंग की.
111 के स्कोर पर जोनाथन ट्रॉट के आउट होने के बाद दोनों ने कमर कस ली. अगले 26 ओवर में 170 रन जोड़ डाले और कोई भी विकेट गिरने न दिया. भारत के खिलाड़ियों और दर्शकों में पैनिक फैलना शुरू हो गया था. 48 गेंद में 59 रन तक इक्वेशन आ गया था. 8 विकेट बाकी थे. ट्वेंटी-ट्वेंटी के ज़माने में ये आसान से भी ज़्यादा आसान समीकरण था. बेल 69 रन बनाकर खेल रहे थे. स्ट्रॉस तो 158 रन मार चुके थे. इंग्लैंड की जीत तय लग रही थी. तभी ज़हीर ख़ान की एंट्री हुई...
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ज़हीर आए और उन्होंने भारतीय खिलाड़ियों के झुकते कंधों में ऊर्जा भर दी. ये बैटिंग पावर-प्ले का पहला ओवर था. ओवर की चौथी गेंद. पावर-प्ले का फायदा उठाने के चक्कर में बेल ने गेंद को उड़ाना चाहा. गेंद खड़ी हो गई और मिड-ऑफ पर कोहली द्वारा लपक ली गई. एक अड़चन दूर हो चुकी थी.
इससे अगली ही गेंद वो गेंद थी, जिसका ज़िक्र हमने शुरू में किया. ज़बरदस्त फॉर्म में नज़र आ रहे स्ट्रॉस को ज़हीर ने विकेट के सामने पकड़ा. बेहतरीन बॉल थी वो. शानदार यॉर्कर. हवा में स्विंग हुई और ऐन विकेट के सामने स्ट्रॉस के जूते पर आ लगी. ज़हीर की अपील ढंग से शुरू भी नहीं हुई थी कि अम्पायर ने उंगली उठा दी. स्ट्रॉस को भी पता था कि वो मैच की सबसे आला गेंद का शिकार हो गए हैं. उन्होंने रिव्यू नहीं लिया. इन दो गेंदों पर दो विकेट्स ने मैच की शक्ल बदल दी थी.
ज़हीर अगले ओवर में फिर लौटे और इंग्लैंड की मुश्किलें कुछ और बढ़ा गए. एक बेहतरीन स्लोअर डिलीवरी पर ख़तरनाक पॉल कॉलिंगवुड के स्टंप्स बिखेर दिए. ज़हीर की कृपा से मैच ऐसा फंस चुका था कि आखिरी दो ओवर में इंग्लैंड को 29 रन चाहिए थे और सिर्फ बॉलर्स बचे थे. ज़हीर ने इस मैच में कितना अहम रोल निभाया था ये इस बात से भी पता चलता है कि भारत के लिए कदरन आसान स्थिति होने के बावजूद भारत भी ये मैच जीत नहीं पाया.
टाई हुआ ये मैच.
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ज़हीर का कोटा ख़त्म होने के बाद बोलर्स फिर पैनिक में आ गए. ब्रेसनन, स्वान और शहजाद जैसे गेंदबाजों में मिलकर 29 में से 28 रन बना डाले. वो तो शुक्र है आखिरी तीन गेंदों में मुनाफ ने आपा नहीं खोया और ज़रूरी 5 रनों में से सिर्फ 4 ही बनने दिए. मैच बराबरी पर छूटा. 100 ओवर में 676 रन बने और कोई नतीजा नहीं निकला. या शायद ये सबसे सही नतीजा था. दोनों ही टीमों ने बेहतरीन खेल दिखाया था. किसी एक की हार होना नाइंसाफी सी लगती.
ये वर्ल्ड कप में सिर्फ चौथा टाई मैच था. 1999 से 2011 तक हर वर्ल्ड कप में एक मैच टाई हुआ है. 2015 में जाकर ये सिलसिला टूटा. लेकिन फिर 2019 वर्ल्ड कप में एक बार से टाई मैच खेला गया. वर्ल्ड कप का फाइनल, जिसका रिजल्ट तो आपको याद ही होगा.
अब तक वन डे क्रिकेट के इतिहास में सिर्फ 37 मैच टाई हुए हैं, जिनमें नौ बार भारत की टीम शामिल रही है.


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