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कॉमनवेल्थ गेम्स से गोल्ड नहीं ला पाएंगे ओलंपिक्स चैंपियन नीरज चोपड़ा?

नीरज के सामने है एक बड़ी चुनौती.

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वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सिल्वर जीतने वाले नीरज इस तस्वीर में गोल्ड मेडलिस्ट एंडरसन पीटर्स के साथ खड़े हैं (AP)

नीरज चोपड़ा. नाम तो सुना ही होगा. टोक्यो 2020 ओलंपिक्स में इस लड़के ने जो किया, उसके बाद से भारत जैसा क्रिकेटप्रेमी देश अब सिर्फ गेंद फेंकने के ड्रीम नहीं देखता. हर गुजरते टूर्नामेंट के साथ नीरज अपनी ख्याति बढ़ाते जा रहे हैं. टोक्यो में गोल्ड जीतने के बाद उन्होंने अब वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल भी जीत लिया है.

87.58 मीटर के थ्रो के साथ टोक्यो में गोल्ड जीतने वाले नीरज ने 88.13 मीटर के थ्रो के साथ वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता. और अब वो कॉमनवेल्थ गेम्स में एक और मेडल जीतने के लिए तैयार हैं. हालांकि बर्मिंघम में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स में भी नीरज के सामने ग्रनाडा के एंडरसन पीटर्स की कड़ी चुनौती होगी. वर्ल्ड नंबर वन पीटर्स ने ही यूजीन में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप का गोल्ड मेडल जीता था. तो चलिए, शुरू करते हैं उम्मीद का अगला एपिसोड. जिसमें बात होगी नीरज चोपड़ा की.

# कौन हैं नीरज चोपड़ा?

नीरज चोपड़ा को आज पूरी दुनिया जानती है. भाला फेंक यानी जैवलिन थ्रो की वर्ल्ड रैंकिंग में नीरज नंबर चार पर हैं. लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था. नीरज ने बचपन में जो भी प्लान किए थे, उनमें भाला फेंकना दूर-दूर तक नहीं था. नीरज क्या, उनका परिवार भी नहीं जानता था कि भाला फेंकने जैसा भी कोई खेल होता है.

लेकिन दुनिया के तमाम लेजेंड्स की तरह नीरज भी एक अनजान फील्ड में उतरे और छा ही गए. और इन सबकी शुरुआत हुई थी 10-12 साल पहले. जब अपने वजन से परेशान नीरज ने जिम जॉइन किया. लेकिन हालात कुछ ऐसे बना कि उन्होंने जिम जाना बंद कर दिया. और इससे परेशान घरवालों ने नीरज को स्टेडियम भेजना शुरू कर दिया.

बाकी लोगों की तरह नीरज भी यहां वॉक करते. और उम्मीद जताते कि इससे उनका वजन कम हो जाएगा. लेकिन उम्मीद पर सिर्फ दुनिया कायम है, रिजल्ट्स के लिए करनी होती है मेहनत. और मेहनत करने के पीछे कई कारणों में एक प्रेरणा भी हो सकती है. और नीरज को प्रेरणा मिली इसी स्टेडियम में प्रैक्टिस करने वाले कुछ एथलीट्स से.

अब प्रेरणा भी मिल गई और एथलीट भी. लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि कौन सा खेल खेला जाए. ऐसे में प्लान बना कि पहले इस्तेमाल कर, फिर विश्वास करेंगे. और ऐसे ही इस्तेमाल करते-करते तमाम ट्रायल्स के बाद नंबर आया भाला फेंक का. नीरज के लिए ये खेल अद्भुत ही था. 12-13 साल के नीरज के लिए भाला फेंकना एकदम नई चीज थी.

लेकिन नीरज ने इस नई चीज को इतनी दूर फेंका, कि देखने वालों को यकीन ही नहीं हुआ कि ये लड़का पहली बार भाला फेंक रहा है. फिर क्या था, नीरज का करियर तय करने के लिए इतना काफी था. अगले ही साल नीरज ने स्टेट लेवल जूनियर चैंपियनशिप और फिर जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल्स जीत लिए.

# खास क्यों हैं नीरज?

साल 2013-14 तक भारत देश में नीरज का भौकाल सेट हो चुका था. लेकिन विश्व जीतना अभी बाकी ही था. फिर आया साल 2016. पोलैंड में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप होनी थी. नीरज वहां के लिए निकले. और उनके यहां के लिए निकलते वक्त ज्यादातर लोगों ने यही सोचा था कि यहां खेलकर नीरज को अनुभव मिलेगा. लेकिन नीरज के इरादे कुछ और ही थे. अंग्रेजी में कहते हैं ना- He is built Different. बस वही वाला.

नीरज ने यहां 86.48 मीटर तक भाला फेंक दिया. और इसी के साथ बन गया नेशनल... अरे नहीं, वर्ल्ड रिकॉर्ड. नीरज से पहले जूनियर लेवल पर इतनी दूर तक कोई भाला नहीं फेंक पाया था. ये रिकॉर्ड आज भी नायब सूबेदार नीरज चोपड़ा के ही नाम है. जी हां, 2016 की वर्ल्ड चैंपियनशिप के बाद ही सेना ने नीरज को जूनियर कमीशंड ऑफिसर बनाते हुए नायब सूबेदार की पदवी दे दी थी.

हालांकि इस वर्ल्ड रिकॉर्ड के बाद भी नीरज 2016 रियो ओलंपिक्स में नहीं खेल पाए. क्योंकि रियो के लिए क्वॉलिफाई करने की कट ऑफ डेट 11 जुलाई थी. और नीरज ने यह कारनामा 23 जुलाई को किया था. जूनियर लेवल पर रिकॉर्ड्स बनाने के बाद नीरज ने सीनियर लेवल पर खेलना शुरू किया. और अभी तक यहां उन्होंने साउथ एशियन गेम्स, एशियन चैंपियनशिप, साल 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स और ओलंपिक्स गेम्स के गोल्ड मेडल जीत लिए हैं. इसके साथ ही उनके नाम वर्ल्ड चैंपियनशिप का सिल्वर मेडल भी है.

# इनसे उम्मीद क्यों?

ओलंपिक्स के बाद नीरज जब भी ग्राउंड में उतरे हैं, ऑलमोस्ट हर बार मेडल के साथ ही लौटे हैं. और जब मेडल नहीं जीत पाए, उन्होंने अपना रिकॉर्ड तो सुधारा ही है. वह लगातार बेहतरीन थ्रो कर दुनिया के टॉप जैवलिन थ्रोअर्स में से एक बने हुए हैं.

वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने अपना रिकॉर्ड तो नहीं तोड़ा, लेकिन सिल्वर मेडल जरूर जीत लिया. यहां उन्हें हराने वाले एंडरसन पीटर्स कॉमनवेल्थ गेम्स में भी नीरज के सामने होंगे. और ऐसे में नीरज को गोल्ड जीतने के लिए थोड़े भाग्य की जरूरत होगी. क्योंकि एंडरसन इस साल के बेस्ट जैवलिन थ्रोअर हैं और वह लगातार 90 मीटर से ज्यादा थ्रो कर रहे हैं. जबकि नीरज अभी तक एक बार भी 90 मीटर का मार्क नहीं पार कर पाए हैं. हालांकि इसके बाद भी उनका मेडल तो लगभग पक्का ही है. उनके प्रदर्शन की निरतंरता नीरज से उम्मीद लगाने की सबसे बड़ी वजह है.

वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सिल्वर जीतने के बाद क्या बोले नीरज चोपड़ा?