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क्या है NIDAHAS ट्रॉफी जिसे दिनेश कार्तिक उठा लाए?

20 साल पहले जब ये टूर्नामेंट हुआ था, सचिन-गांगुली की जोड़ी कहर ढाया था, इस बार कार्तिक ने.

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फोटो - thelallantop
भारत, श्रीलंका और बांग्ला देश के बीच 6 मार्च से ट्वेंटी-ट्वेंटी टूर्नामेंट खेला गया. श्रीलंका में. ट्रॉफी का नाम था NIDAHAS. फाइनल में इंडिया ने बांग्लादेश को हराकर ट्रॉफी उठा ली. या यूं कहिए दिनेश कार्तिक ने बांग्लादेश को हराया. बहरहाल इस बारे में सब लोग पढ़ ही चुके हैं. इस ट्रॉफी का नाम NIDAHAS क्यों था इसकी भी एक कहानी है. पहले तो इस नाम को यूं हल्के में लिया गया कि होगा किसी मोबाइल कंपनी का नाम! आजकल चलन भी तो चला है न! बैंकों का, मोबाइल कंपनी का, रियल इस्टेट कंपनी का नाम देकर सीरीज चलाई जाती है. सबको लगा ऐसा ही कोई मामला होगा. लेकिन अब पता चल रहा है कि इसका तो एक बेहद ख़ास मतलब है. ये श्रीलंका की लोकल लैंग्वेज सिंहली का शब्द है. सिंहली भाषा में निदाहस का मतलब होता है आज़ादी. ये समय भी श्रीलंका के लिए ख़ास है. श्रीलंका अपनी आज़ादी के 70 सालों का जश्न मना रहा है. इसी वजह से ट्रॉफी का नाम निदाहस था. maxresdefault-678x381 20 साल पहले 1998 में भी इसी नाम का एक टूर्नामेंट हुआ था. तब श्रीलंका अपनी आज़ादी की गोल्डन जुबली मना रहा था. वो टूर्नामेंट इंडिया, श्रीलंका और न्यूज़ीलैण्ड के बीच खेला गया था. हालांकि उस वन डे टूर्नामेंट को इतना कामयाब नहीं कहा जा सकता. उसमें ज़्यादातर मैच बारिश की भेंट चढ़ गए थे. 10 में से 6 मैच का नतीजा ही नहीं निकला था. एक मैच में ओवर कम कर दिए गए. सिर्फ तीन मैच ऐसे थे जो पूरे हुए. शुक्र है उनमें से एक फाइनल मैच था, जो इंडिया-श्रीलंका के बीच खेला गया था.

सचिन-गांगुली का कहर

7 जुलाई 1998 को हुए उस मैच को सचिन और गांगुली की रिकॉर्डतोड़ पारियों के लिए याद किया जाता है. उन दोनों ने पहले विकेट के लिए 252 रन जोड़े थे उस दिन. उस वक़्त ये एक वर्ल्ड रिकॉर्ड था. दोनों ने शतक मारे. गांगुली ने 109 रन बनाए तो सचिन ने 128. भारत ने 50 ओवर में 307 रन बनाए, जो कि उस समय के लिहाज़ से बड़ा स्कोर था. बड़ा था लेकिन नामुमकिन नहीं. श्रीलंका ने लगभग इसे पार कर लिया था. ऑल आउट होने से पहले 301 रन बना लिए थे. अभी तीन गेंदें बाकी थी और मैच सिर्फ 6 रन से हारा गया था. यानी श्रीलंका जीत के मुहाने तक पहुंच गया था. अरविंद डिसिल्वा ने उस दिन शानदार शतक मारा था. 94 गेंदों में 105 रन मारे थे. मर्वन अट्टापट्टू ने उनका अच्छा साथ दिया था. एक वक़्त ऐसा आया था जब श्रीलंका को 39 गेंदों में सिर्फ 36 रन बनाने थे और 6 विकेट हाथ में थे. लेकिन इस पॉइंट पर अगरकर ने डिसिल्वा को आउट कर दिया और श्रीलंका के बाकी के बल्लेबाज़ लटपटा गए. रोशन महानामा को छोड़कर. सिर्फ महानामा ने संघर्ष किया. पर जब 13 गेंदों में 13 रन चाहिए थे, वो रन आउट हो गए. बैटिंग में फेल हुए अजय जडेजा ने उनको आउट करवा दिया. उसके बाद तो भारत के लिए काम आसान था. देखिए उस मैच के आखिरी लम्हे: https://www.youtube.com/watch?v=Ybaojx3o7g0 20 साल बाद फिर से निदाहस ट्रॉफी फिर हुई, नतीजा भी वैसा ही रहा. फर्क बस इतना था कि फाइनल में सामने मेजबान टीम नहीं थी. और जो टीम थी उसके खिलाफ मेजबान दर्शक भारत का सपोर्ट कर रहे थे.
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