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समय से पहले कर्ज चुकाने पर नहीं लगेगा कोई अतिरिक्त चार्ज

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का प्री पेमेंट चार्जेज को लेकर नया नियम 1 जनवरी 2026 से जारी होने वाले नए लोन और रिन्यू होने वाले लोन्स पर लागू होगा. इस फैसले से बिजनेस और नॉन-बिजनेस लोन लेने वाले छोटे कारोबारियों से लेकर इंडिविजुअल्स को राहत मिलेगी.

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लोन देने वाली इकाइयां प्री पेमेंट के नाम पर कस्टमर्स से काफी पेनाल्टी वसूल रही थीं.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने लोन धारकों को राहत देते हुए एक बहुत बड़ा फैसला किया है. आरबीआई ने कहा है कि फ्लोटिंग लोन रेट वाले कंज्यूमर्स को टाइम से पहले पूरा बकाया चुकाने पर एक्स्ट्रा फीस नहीं देना पड़ेगा. आरबीआई ने 3 जुलाई को नोटिफिकेशन जारी कर इसकी जानकारी दी.

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इसमें आरबीआई ने कहा है कि हमें पता चला था कि लोन देने वाली इकाईयां प्री-पेमेंट चार्ज (Loan Pre-Payment charges) को लेकर मनमानी कर रही थीं. इस बारे में हमें कस्टमर्स से शिकायतें मिल रही थीं. इसे देखते हुए ये फैसला लिया गया. नए नियम से बिजनेस और नॉन बिजनेस लोन लेने वाले छोटे कारोबारियों (MSE) और इंडिविजुअल्स को काफी फायदा होगा.

ऐसे लोन जिनका ब्याज रेपो रेट या अन्य दूसरे ब्याज दरों से लिंक्ड होता है, फ्लोटिंग रेट लोन कहलाते हैं. ये लोन अक्सर दूसरे बेंचमार्क रेट से लिंक्ड होते हैं. जैसे- रेपो रेट, आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी, MCLR, महंगाई की दर, फिस्कल डेफिसिट वगैरह. ये रेट जैसे-जैसे बदलते हैं लोन की ब्याज दर भी उसी हिसाब से बदलती है. और उसी हिसाब से ईएमआई भी घटती बढ़ती रहती है.

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माने फ्लोटिंग रेट लोन थोड़े रिस्की होते हैं. इसी वजह से फिक्स्ड के मुकाबले ये एक-दो पर्सेंट सस्ते होते हैं. क्योंकि बेचमार्क रेट बदलने के साथ इनमें भी फेरबदल होता है. वहीं फिक्स्ड रेट में पूरे लोन पीरियड में ईएमआई एक ही रहती है. इसलिए मार्केट कैसा भी हो, रेपो रेट या दूसरी ब्याज दरें कितनी भी बदलें, आपके लोन पर कोई फरक नहीं पड़ेगा.  

आजकल ज्यादातर होम लोन फ्लोटिंग रेट पर ही होते हैं. हाल में आरबीआई ने रेपो रेट में 0.50% की कटौती की. इस घोषणा के हमारे आस-पास कई लोगों ने कहा कि उनकी ईमआई कम हुई है. यकीनन उनके लोन फ्लोटिंग रेट वाले रहे होंगे. आइए पॉइंट्स में जानते हैं आरबीआई के बयान में क्या कहा गया हैः

  • नया नियम 1 जनवरी 2026 से जारी होने नए लोन या रिन्यू होने वाले लोन पर लागू होगा. बशर्ते वो फ्लोटिंग रेट वाला लोन हो.
  • देश के सभी कमर्शियल बैंक (पेमेंट्स बैंक को छोड़कर), कॉपरेटिव बैंक, NBFC और ऑल इंडिया फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन पर लागू होगा.
  • उधारकर्ता पूरा बकाया चुकाए या आंशिक बकाया, उससे किसी भी तरह का प्री पेमेंट चार्ज नहीं लिया जाएगा.
  • अगर बिजनेस के इतर इंडिविजुअल ने फ्लोटिंग रेट पर लोन लिया है तो लोन देने वाली इकाई प्री पेमेंट के वक्त कोई भी एडिशनल चार्ज नहीं ले सकती. चाहें वो एक आदमी के नाम पर लिया गया हो या शेयरिंग में.
  • वहीं बिजनेसेज के मकसद से लोन लिया गया है तो (इंडिविजुअल और MSE दोनों के केस में) कमर्शियल बैंक (स्मॉल फाइनेंस बैंक, रीजनल रूरल बैंक और लोकल एरिया बैंक को छोड़कर), टियर 4 प्राइमरी (अर्बन) को-ऑपरेटिव बैंक, NBFC-UL और ऑल इंडिया फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन किसी भी तरह का चार्ज नहीं लगा सकते.
  • वहीं बॉरोअर ने स्मॉल फाइनेंस बैंक, रीजनल रूरल बैंक और लोकल एरिया बैंक, या फिर टियर 3 प्राइमरी(अर्बन) को-ऑपरेटिव बैंक, स्टेट कॉपरेटिव बैंक, सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक और NBFC-ML 50 लाख तक के बिजनेस लोन के प्री पेमेंट पर चार्ज नहीं ले सकते.
  • उधारकर्ता ने प्री पेमेंट के लिए पैसे कहां से जुटाए हैं, पूरा बकाया पैसे चुका रहा है या आंशिक, इन चीजों का नए निर्देश पर कोई असर नहीं पड़ेगा. ये निर्देश सभी पर लागू होंगे.
  • डुअल या स्पेशल रेट (फिक्स्ड और फ्लोटिंग रेट का कॉम्बिनेशन) के केस में प्री पेमेंट पर चार्ज लेना है या नहीं, इसका फैसला ये देखकर तय होगा कि प्री पेमेंट के वक्त लोन फ्लोटिंग रेट पर है या नहीं.
  • इसके अलावा प्री पेमेंट के टाइम पर लोन देने वाली संस्था उस रकम पर चार्ज नहीं ले सकती जो उन्होंने पहले ही माफ कर दी है. 

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