एक कविता रोज: 'छाप तिलक सब छीनी रे'
आज पढ़िए अमीर खुसरो की कविता 'मोसे नैना मिलाइके'.
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11 मई 2016 (अपडेटेड: 11 मई 2016, 05:42 AM IST)
मोसे नैना मिलाइके
अमीर खुसरो -
छाप तिलक सब छीनी रे, मोसे नैना मिलाइके प्रेम भटी का मदवा पिलाइके
मतवारी कर लीन्ही रे, मोसे नैना मिलाइके गोरी गोरी बइयां, हरी हरी चूड़ियां
बईयां पकड़ धर लीन्ही रे, मोसे नैना मिलाइके बल बल जाऊं मैं तोरे रंग रेजवा
अपनी सी रंग दीन्ही रे, मोसे नैना मिलाइके ख़ुसरो निजाम के बल-बल जाए
मोहे सुहागन कीन्ही रे, मोसे नैना मिलाइके छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके ***