भारत और इंग्लैंड (India vs England) के बीच ओवल टेस्ट बहुत रोमांचक रहा. भारत ने ये टेस्ट मैच जीतकर सीरीज ड्रॉ कराई. मैच भले ही भारत के नाम रहा लेकिन इस मैच के असल हीरो क्रिस वोक्स (Chris Woakes) रहे. वो खिलाड़ी जो टूटे कंधे के साथ भी अपनी टीम को जिताने के लिए मैदान पर उतरा. वोक्स उस चोट के साथ भाग भी नहीं पा रहे थे. लेकिन उन्होंने उस दर्द में भी मैच बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की. वोक्स ने उस अनुभव के बारे में बात की है.
'शुक्र है बाउंसर्स का सामना नहीं किया', टूटे कंधे के साथ बल्लेबाजी करते हुए घबरा रहे थे क्रिस वोक्स
Chris Woakes जब मैदान पर आए तो England की टीम को जीत के लिए 17 रन की जरूरत थी और 9 विकेट गिर चुके थे. वोक्स ने आखिरी विकेट के लिए Gus Atkinson के साथ 10 रन की साझेदारी की.
.webp?width=360)
वोक्स जब मैदान पर आए तो इंग्लैंड की टीम को जीत के लिए 17 रन की जरूरत थी और उनके हाथ में केवल एक ही विकेट था. वोक्स और एटकिंसन के बीच आखिरी विकेट के लिए 10 रन की साझेदारी हुई. इस दौरान वोक्स स्ट्राइक पर नहीं आए लेकिन टीम के लिए अपनी जिम्मेदारी पूरी की. वोक्स ने चोट के साथ मैदान पर उतरने के अपने फैसले की वजह बताई. वोक्स ने द गार्जियन से कहा,
अगर मैं कोशिश न करता, तो खुद के साथ जी नहीं पाता. आप बस इतना जानते हैं कि आप किसी बड़ी चीज़ का हिस्सा हैं. आप सिर्फ़ अपने लिए नहीं खेल रहे हैं. यह आपकी टीम और आपके साथियों के लिए है. उनकी सारी मेहनत और त्याग. घर और मैदान में देखने वाले लोग. आप बस सबके लिए ऐसा करना अपना कर्तव्य समझते हैं.
वोक्स ने बताया कि उन्होंने पहली ही पारी में कोच ब्रैंडन मैकुलम से कहा था कि वो मैदान पर जाना चाहते हैं लेकिन तब उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिली. हालांकि दूसरी पारी में वोक्स टीम के लिए मैदान पर उतरे. उन्होंने इस मैच पर कहा,
आखिर में यह कड़वा-मीठा अनुभव था. मेरे मन में एक सवाल था कि क्या मैं गेंद को डिफेंड कर सकता था, शायद एक ओवर बचा सकता था, एक रन ले सकता था या चौका लगा सकता था.
यह भी पढ़ें- 'भारतीय क्रिकेट नहीं रुकता...' गांगुली क्यों टीम इंडिया के युवा खिलाड़ियों के हुए मुरीद?
वोक्स को इस बात की खुशी है कि उन्हें उस हालत में भारतीय पेसर्स का सामना नहीं करना पड़ा. वोक्स ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा,
हार से बहुत निराश हैं क्रिस वोक्सलेकिन इसका दूसरा पहलू भी था. भगवान का शुक्र है कि मैंने 90 मील प्रति घंटे की रफ़्तार वाली बाउंसर का सामना नहीं किया. मुझे पता था कि अगर मैं स्ट्राइक पर आया तो मुझे कुछ बाउंसर्स का सामना करना पड़ेगा. सच में, मुझे उस बहुत घबराहट हो रही थी. वहां मैं काफी एक्सपोज था.
वोक्स को इस बात का अफसोस है कि उनकी टीम सीरीज जीत नहीं पाई. लेकिन जिस तरह उनका मैदान पर स्वागत किया गया वो देखकर उन्हें बहुत खुशी हुई. वोक्स ने कहा,
मैं अब भी बहुत निराश हूं, सचमुच बहुत टूटा हुआ हूं, कि हमें वो अंत नहीं मिला जो हम चाहते थे. लेकिन मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैदान पर नहीं उतरूंगा. चाहे जीत के लिए 100 रन ही क्यों न हों. तालियां बजना अच्छा लगा और कुछ भारतीय खिलाड़ी भी सम्मान दिखाने आए. लेकिन मेरी जगह कोई दूसरा खिलाड़ी भी होता तो ऐसा ही करता. नौ विकेट गिरने के बाद आप यूं ही मैच नहीं छोड़ सकते.
क्रिस वोक्स ने सीरीज के पांच टेस्ट मैच खेले. इसकी नौ पारियों में उन्होंने 11 विकेट लिए. वो पांचवें टेस्ट की पहली पारी में ही गेंद रोकने की कोशिश में चोटिल हो गए थे. इसी वजह से उन्होंने इस टेस्ट की दूसरी पारी में बिलकुल भी गेंदबाजी नहीं की.
वीडियो: रवीन्द्र जड़ेजा ने इंग्लैंड में रचा इतिहास, गावस्कर-कोहली से आगे निकले