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'मुझे कॉल नहीं आया, लेकिन... ' चेतेश्वर पुजारा ने इंग्लैंड के खिलाफ टीम में वापसी पर बड़ी बात बताई

Cheteshwar Pujara Interview: चेतेश्वर पुजारा ने लल्लनटॉप के ख़ास वीकली प्रोग्राम 'गेस्ट इन द न्यूज़रूम' में शिरकत की. इस दौरान उनसे पूछा गया, ‘इंग्लैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट टीम अनाउंस होने वाली है. अभी कोई फोन कॉल आया है?’

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चेतेश्वर पुजारा ने बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफ़ी पर भी बात की है. (फ़ोटो- इंडिया टुडे)

इंग्लैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट खेलने जा रही भारतीय क्रिकेट टीम का एलान शनिवार, 24 मई को होगा (India Test Squad For England Tour). इस बीच भारतीय बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा (Cheteshwar Pujara) ने इस टीम में अपनी संभावनाओं पर बात की है. पुजारा ने कोच गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) के फ़ैसले पर भी बात की है.

चेतेश्वर पुजारा ने लल्लनटॉप के ख़ास वीकली प्रोग्राम 'गेस्ट इन द न्यूज़रूम' में शिरकत की. इस दौरान उनसे पूछा गया, ‘एक-दो दिनों में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट टीम अनाउंस होने वाली है. अभी कोई फोन कॉल आया है?’ इस पर पुजारा ने कहा,

नहीं, अभी तक तो आया नहीं. देखिए, मैं तैयार हूं. मुझे लेकर जाएंगे या नहीं पता नहीं है. लेकिन अगर मुझे मौक़ा मिलता है, तो हां… देश को फिर से रिप्रेजेंट करना सम्मान की बात होगी. और एक क्रिकेटर के तौर पर आपको हमेशा लगता है कि जब तक आप फिट हैं, जब तक आप योगदान दे रहे हैं… घरेलू क्रिकेट में अगर मैं अच्छा प्रदर्शन करता हूं और अच्छी तैयारी कर रहा हूं… तो अगर मुझे मौक़ा मिलता है तो हां, मुझे टीम का हिस्सा बनकर बहुत खुशी होगी.

इस दौरान पुजारा से बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफ़ी को लेकर सवाल पूछा गया. तब कई लोगों ने आरोप लगाया कि गौतम गंभीर ने अपने मन की टीम बनाई. बहुत लोगों को अपने मन के हिसाब से ले गए. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि वो चाहते थे कि उस टीम का हिस्सा चेतेश्वर पुजारा भी हों.

चेतेश्वर से पूछा गया- ‘आपके पास तब उनका कोई फोन कॉल आया था क्या?’ जवाब में चेतेश्वर पुजारा ने बताया,

टीम के सिलेक्शन के बारे में तो मैं ज़्यादा नहीं बोल सकता. लेकिन मुझे उम्मीद थी कि अगर मुझे ऑस्ट्रेलिया में मौक़ा मिलता, तो मैं टीम के लिए कंट्रीब्यूट कर पाता. क्योंकि जिस तरह से मेरा ट्रैक रिकॉर्ड रहा है ऑस्ट्रेलियाई ज़मीन पर, तो कहीं ना कहीं अंदर से एक कॉन्फ़िडेंस था…

चेतेश्वर पुजारा ने आगे कहा,

ऑस्ट्रेलिया टूर (बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफ़ी) की जो शुरुआत हुई, वो बहुत ही प्रॉमिसिंग थी. पहला टेस्ट मैच बहुत अच्छे तरीक़े से जीते थे. उसके बाद टीम का प्रदर्शन इतना अच्छा नहीं हुआ. लेकिन देखना ये भी होता है कि जब आप विदेशी कंडीशंस में खेलते हैं, तो वहां पर जीतना या परफ़ॉर्म करना आसान नहीं होता है. काफी बार खिलाड़ियों को आलोचना का सामना करना पड़ता है. लेकिन मैं भी खिलाड़ियों से रिलेट कर सकता हूं. क्योंकि प्लेयर्स काफ़ी मेहनत करते हैं… और वहां पर अगर फिर भी सफलता नहीं मिलती है, तो एक अलग सा प्रेशर होता है प्लेयर के लिए. ऐसे में बैलेंस आउट करना बहुत ही ज़रूरी है.

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