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CM योगी ने ओमिक्रॉन को 'डेल्टा से कमजोर' बताया, देश के शीर्ष वायरोलॉजिस्ट की बात कान खड़े कर देगी

क्या ओमिक्रॉन को कमजोर मानकर हल्के में लिया जा सकता है?

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उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ. (तस्वीर: पीटीआई)
कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट फैल जरूर तेजी से रहा है, लेकिन लोगों को गंभीर रूप से बीमार नहीं कर रहा. योगी आदित्यनाथ ने ओमिक्रॉन वेरिएंट को वायरल बुखार जैसा बताते हुए लोगों को ना घबराने की हिदायत दी. उन्होंने मीडिया को बताया,
"थर्ड वेव की जो बात की जा रही है. जो आशंका व्यक्त की जा रही है कि ये जो नया वेरिएंट आया है ओमिक्रॉन, वो थर्ड वेब का कारण बनेगा. ये सच है कि ओमिक्रॉन तीव्र संक्रमण है. लेकिन ये भी सच है कि सेकेंड वेव की तुलना में, ओमिक्रॉन जो वेरिएंट आया है, ये काफी कमजोर है. ये एक सामान्य वायरल फीवर मात्र है. लेकिन सतर्कता और सावधानी किसी भी बीमारी में आवश्यक होती है और इस मामले में भी सतर्कता और सावधानी आवश्यक है. घबराने की आवश्यकता नहीं है."
योगी आदित्यानाथ ने ओमिक्रॉन वेरिएंट की तुलना कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट से करते हुए आगे कहा,
"हम लोगों ने डेल्टा वेरिएंट में देखा था कि जो लोग इससे संक्रमित होते थे, उन्हें रिकवर होने, नेगेटिव आने में 15 से लेकर 25 दिन का समय लग जाता था. दूसरा, पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशन भी बहुत ज्यादा देखने को मिले थे. ओमिक्रॉन के मामले में अब तक इस प्रकार की स्थिति नहीं है. और वायरस अब कमजोर पड़ चुका है."
ओमिक्रॉन पर गंभीरता जरूरी ओमिक्रॉन पर योगी आदित्यनाथ का बयान ऐसे समय में सामने आया है, जब कई हेल्थ एक्सपर्ट ये कह चुके हैं कि ये वेरिएंट लोगों को गंभीर रूप से बीमार नहीं कर रहा है. हालांकि, ये भी सामने आया है कि इस वेरिएंट का शिकार हुए कई मरीजों को ICU में भर्ती करना पड़ा है और कुछ की मौत भी हुई है. लेकिन, अभी तक के अध्ययनों में इस वेरिएंट को पुराने वेरिएंट के मुकाबले कम ही घातक माना जा रहा है. इस आधार पर महाराष्ट्र के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि ओमिक्रॉन वेरिएंट कोविड के खिलाफ प्राकृतिक वैक्सीन के तौर पर काम करेगा. दूसरी तरफ, देश के शीर्ष वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील ने ओमिक्रॉन वेरिएंट को हल्के में ना लेने की हिदायत दी. न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक जमील ने कहा,
"ये सब बोलकर अच्छा लगता है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाएगा. लेकिन सच पूछिए तो अभी हमारे पास ज्यादा सबूत मौजूद नहीं हैं. जो इस तरह की प्राकृतिक वैक्सीन की बातें कर रहे हैं, वो लॉन्ग कोविड के प्रभावों का संज्ञान नहीं ले रहे."
जमील ने आगे कहा कि भारत जैसे देश में, जहां लोग कुपोषण, वायु प्रदूषण और डायबिटीज से जूझ रहे हैं, वहां प्राकृतिक वैक्सीन की बात करके, नए वेरिएंट को मामूली बनाकर पेश करना सही नहीं है. ना ही विज्ञान के नजरिए से और ना ही सार्वजनिक स्वास्थ्य के नजरिए से.

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