12 जून को अहमदाबाद एयरपोर्ट से एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 ने टेक ऑफ किया, चंद सेकेंड के बाद ही एक पायलट ने दूसरे पायलट से पूछा, ‘तुमने इंजन फ्यूल बंद क्यों किया.’ जवाब में दूसरे पायलट ने कहा, ‘मैंने कुछ नहीं किया.’ इसके बाद कुछ सेकेंड्स तक दोनों पायलट्स ने तमाम कोशिशें की, लेकिन प्लेन क्रैश (Ahmedabad Plane Crash) हो गया. 242 पैसेंजर्स में से सिर्फ एक की जान बच पाई.
पायलट ने फ्यूल स्विच ऑफ नहीं किया तो हुआ कैसे? अहमदाबाद प्लेन क्रैश की रिपोर्ट पर ये बातें जरूर समझ लें
विमान के दोनों Fuel Switch सामान्य स्थिति में ऑन रहते हैं. प्लेन जब पार्किंग में पहुंचता है तभी इसे ऑफ किया जाता है. लेकिन कुछ ऐसी परिस्थितियां भी हैं, जिनमें इसे ऑफ किया जाता है.

सवाल उठता है कि अगर किसी भी पायलट ने फ्यूल स्वीच ऑफ नहीं किया तो, ऐसा हुआ कैसे? प्लेन में फ्यूल जाना बंद कैसे होता है? फ्यूल स्विच का काम क्या होता है और किन परिस्थितियों में इसे ऑन या ऑफ किया जाता है?
नाम न छापने की शर्त पर एक पायलट ने लल्लनटॉप को बताया कि प्लेन में दो फ्यूल स्वीच होते हैं. उन्होंने आगे कहा,
इंजन जब रोटेट होता है, तो उसके बाद उसमें फ्यूल छोड़ा जाता है. इसके लिए फ्यूल स्वीच को ऑन किया जाता है. ये पूरी तरह मैन्यूअल होता है. यानी कि पायलट को हाथ से पकड़कर उसे ऑपरेट करना पड़ता है. सामान्य स्थिति में फ्यूल स्विच ऑन ही रहते हैं. लैंडिंग के बाद जब विमान को पार्क कर दिया जाता है, तब इसे ऑफ किया जाता है. कुछ ऐसी परिस्थितियां हैं, जिनमें हवा में रहते हुए इसे ऑफ (कटऑफ) किया जाता है,
- टेक ऑफ के बाद अगर कोई एक इंजन फेल हो जाए तो उसमें बेवजह फ्यूल भेजने की जरूरत नहीं है. इसलिए उसे बंद कर दिया जाता है. लेकिन यहां ध्यान देना होता है कि जो इंजन फेल हुआ है, उसी का फ्यूल स्विच बंद होना चाहिए. मान लीजिए कि दायां इंजन फेल हुआ तो उसी का फ्यूल स्विच बंद होना चाहिए. अगर गलती से बाएं वाले इंजन का स्विच बंद हुआ, तो दायां इंजन तो पहले ही फेल है, अब जब बाएं वाले में फ्यूल नहीं पहुंचेगा तो वो भी काम करना बंद कर देगा.
- इसलिए एक पायलट जब फ्यूल स्विच को पकड़ता है, तो उसे खींचने से पहले दूसरे पायलट से कंफर्म करता है. वो पूछता है कि इसे ही खींचना है न. वो पहले इस बात की पुष्टि करता है कि उसने सही स्विच पकड़ा है या नहीं.

पायलट ने इस बात पर जोर दिया कि एक साथ दोनों फ्यूल स्विच बंद करना बहुत ही रेयर है. यानी कि बहुत ही कम मौकों पर ऐसा किया जाता है. लेकिन दोनों स्विच को ऑफ करते ही तत्काल ही इसे ऑन भी कर दिया जाता है. दोनों फ्यूल स्विच को ऑफ नहीं रखा जा सकता. एविएशन एक्सपर्ट बिपुल सक्सेना इस पर कहते हैं,
ये रिस्टार्ट करने की तरह होता है. किसी गड़बड़ी की आशंका होने पर दोनों स्विच को ऑफ करके तुरंत ही उसे ऑन कर दिया जाता है.
पायलट ने समझाया कि फ्यूल स्विच को कार के हैंडब्रेक की तरह समझ सकते हैं. इसका मतलब है कि वो स्विच अपने आप नहीं खींच सकता. अब ऐसे सवाल है कि जब AI171 के पायलट ने फ्यूल स्विच को बंद नहीं किया तो ईंजन में फ्यूल जाना बंद कैसे हुआ.
टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) ने एक्सपर्ट्स के हवाले से माइक्रोप्रोसेसर से जुड़ी तकनीकी गड़बड़ी की ओर इशारा किया है. 2021 में फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) और विमान इंजन बनाने वाली एक कंपनी (GE) ने इसको लेकर एक चेतावनी दी थी. एक्सपर्ट्स भी इस रिपोर्ट का हवाला दे रहे हैं. इसमें कहा गया था कि प्लने के एक पार्ट ‘MN4 माइक्रोप्रोसेसर’ सही समय पर बदल देना चाहिए.
‘MN4 माइक्रोप्रोसेसर’ क्या होता है?ये माइक्रोप्रोसेसर इंजन के इलेक्ट्रोनिक कंट्रोल यूनिट (ECU) में लगा होता है. ये इंजन के दिमाग की तरह होता है. ये फ्यूल के बहाव को कंट्रोल करता है. ‘MN4 माइक्रोप्रोसेसर’ ECU का एक हिस्सा होता है, जो डेटा का विश्लेषण करता है और उसी आधार पर प्रोसेस करता है.
ये माइक्रोप्रोसेसर एक खास तरीके से सर्किट बोर्ड पर जुड़ा होता है, जिसे Ball Grid Array (BGA) कहते हैं. इसमें बहुत ही छोटे-छोटे solder balls होते हैं, जो चिप को बोर्ड से जोड़ते हैं. जब विमान उड़ता है तो उसमें कंपन होता है और तापमान में तेजी से बदलाव आता है. इससे solder balls में धीरे-धीरे दरारें आ जाती हैं. ये दरारें इलेक्ट्रिकल कनेक्शन को कमजोर कर देती हैं.
MN4 में गड़बड़ी हुई तो क्या होगा?‘MN4 माइक्रोप्रोसेसर’ में गड़बड़ी होने पर इंजन तक सही जानकारी नहीं पहुंच पाती. सबसे खराब स्थिति में, दोनों इंजन बंद हो सकते हैं. इसलिए FAA और GE ने सलाह दी थी कि माइक्रोप्रोसेसर को समय-समय पर बदल देना चाहिए.

इस हादसे को लेकर एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने 12 जुलाई को अपनी शुरुआती रिपोर्ट सार्वजनिक की है. इसके अनुसार, दोनों पायलटों को जैसे ही पता चला कि फ्यूल के रास्ते में कोई दिक्कत है, उन्होंने दोनों इंजनों को फिर से चालू करने की कोशिश की. इंजन-1 कुछ हद तक चालू हो गया, लेकिन इंजन-2 पूरी तरह से स्पीड रिकवर नहीं कर पाया.
क्रैश होने से पहले प्लेन केवल 32 सेकेंड तक हवा में रहा. इस दौरान APU (Auxiliary Power Unit) भी चालू हुआ, लेकिन वह भी प्लेन को क्रैश होने से नहीं बचा पाया. बताते चलें कि APU एक स्वतंत्र इंजन होता है, जो मुख्य इंजन के बंद होने के बाद चालू होता है. यह एक तरह का बैकअप होता है.
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रिपोर्ट को लेकर एक्सपर्ट का क्या कहना है?एविएशन एक्सपर्ट बिपुल सक्सेना का साफ कहना है कि इस रिपोर्ट के आधार पर कोई राय नहीं बनानी चाहिए. ये बिल्कुल ही शुरुआती रिपोर्ट है. इसमें बस ये बताया गया है कि हादसे के वक्त क्या-क्या हुआ. क्रैश का स्पष्ट कारण क्या था? ये इस प्राथमिक रिपोर्ट से पता नहीं चलेगा. इसलिए कोई भी राय बनाने से पहले उस रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए, जिसमें इसके बारे में विस्तार से बताया जाएगा.
इस मामले की फाइनल रिपोर्ट 12 जून 2026 के पहले जारी की जा सकती है.
बताते चलें कि 12 जून को AI171 एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल के ऊपर क्रैश हो गया था. इस हादसे में 241 यात्रियों समेत हॉस्टल और उसके आस-पास के करीब 35 लोग मारे गए थे.
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