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खुले में सिगरेट-बीड़ी का धुआं उड़ाते हैं तो ये नियम जेब पर भारी पड़ सकता है

31 मई को World No Tobacco Day मनाया जाता है. ये दिन याद दिलाता है कि तम्बाकू के सेवन के कई खतरे हैं. साल 1987 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अंतर्गत काम करने वाली वर्ल्ड हेल्थ असेंबली ने WHO की 40वीं वर्षगांठ पर इसकी पहल की थी.

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तंबाकू के सेवन की वजह से हर साल दुनियाभार में 80 लाख से ज्यादा लोगों की जान जाती है. (सांकेतिक तस्वीर: इंडिया टुडे)

फिल्म थिएटर में पिक्चर शुरू होेने से पहले पर्दे पर एक ऐड (tobacco ad) आता है. तंबाकू सेवन को लेकर चेतावनी दी जाती है. कुछ समय पहले मुकेश की कहानी दिखाई जाती थी. आजकल सुनीता की स्टोरी दिखाई जाती है. विज्ञापनों में दिखाई जाता है कि तंबाकू सेवन के चलते मुकेश और सुनीता को कैंसर हो गया. बाद में उनकी मौत हो गई. विज्ञापनों का उद्देश्य यही है कि लोग तंबाकू सेवन ना करें.

हम सब जानते हैं कि तंबाकू हमारी सेहत के लिए खतरनाक है. इससे कैंसर भी होता है. ऐसे में सरकार की तरफ से कई तरह की पहल की गई हैं, ताकि लोग तंबाकू के खतरनाक असर के प्रति जागरूक रहें. इसी क्रम में सरकार ने कुछ समय पहले सिगरेट, बीड़ी, खैनी, गुटखा इत्यादि के पैकेट्स पर चेतावनी छापना अनिवार्य कर दिया था. बाद में इस तरह के चेतावनियों के साइज भी तय किए गए. आजकल पैकेट्स पर इस तरह की चेतावनी खूब बड़े आकार में छपी दिखाई देती हैं.

अब आप सोच रहे होंगे कि हम ये सब बातें क्यों कर रहे हैं? क्योंकि आज है ‘वर्ल्ड नो टोबैको डे’. इस बार इसका थीम है- बच्चों को टोबैको इंडस्ट्री के दखल से बचाना. तो कुल मिलाकर हर तरफ से प्रयास हो रहे हैं कि लोग तंबाकू का सेवन ना करें. अब यहां एक आंकड़े की बात करते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO के डेटा के मुताबिक, हर साल दुनियाभर में 80 लाख लोगों की जान तंबाकू का सेवन करने के चलते चली जाती है.

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तंबाकू सेवन के वैसे तो कई तरीके हैं, लेकिन चर्चा स्मोकिंग की ज्यादा होती है. लोग सिगरेट और बीड़ी के जरिए तंबाकू का धुआं अपने फेफड़ों तक ले जाते हैं. यहीं से बात होती है पैसिव स्मोकिंग की. यानी जो लोग सीधे तौर पर स्मोकिंग नहीं कर रहे हैं, लेकिन अगर उनके आसपास कोई शख्स स्मोकिंग कर रहा है तो धुआं उनके भी फेफड़ों तक जाता है. 

इसी पैसिव स्मोकिंग के प्रभाव को कम करने लिए कुछ नियम-कानून बनाए गए हैं. अगर पब्लिक डोमेन में स्मोकिंग से आपको परेशानी हो रही है तो आप स्मोकिंग कर रहे इंसान को टोक सकते हैं. उनको नियम-कायदे समझा सकते हैं. टोकने पर भी ना माने तो उनपर जुर्माना लग सकता है. साथ ही उन्हें सजा भी हो सकती है. हम इन्हीं नियम-कानूनों के बारे में विस्तार से बात करेंगे. साथ में स्मोकिंग से जुड़े और भी नियम जानेंगे, जिनका उल्लंघन करने पर तंबाकू बेचने वाले और इसका इस्तेमाल करने वालों के लिए परेशानियां खड़ी हो सकती हैं.

सिगरेट एंड अदर टोबेको प्रोडक्ट एक्ट (कोटपा) 2003

इस अधिनियम की धारा 4 के तहत सार्वजनिक जगहों पर स्मोकिंग करना मना है. इस नियम के तहत होटल, रेस्टोरेंट, सिनेमा हॉल, मॉल जैसी जगहों के मालिकों को 60 सेमी x 30 सेमी बोर्ड पर ‘नो स्मोकिंग’ का बोर्ड लगाना होता है. अगर कोई भी व्यक्ति इस नियम को नहीं मानता है तो इसके लिए 200 रुपये तक जुर्माना हो सकता है. इसी नियम में ये भी जिक्र है कि कुछ जगहों पर ‘स्मोकिंग एरिया’ बन सकता है. इस स्मोकिंग एरिया के रखरखाव की जिम्मेदारी वहां के मालिक की होगी. स्मोकिंग एरिया बनाने का प्रावधान इसलिए है ताकि बाकी जगहों को ‘नो स्मोकिंग जोन’ बनाया जा सके.

NO SMOKING AREA
तंबाकू बेचने वालों के लिए नियम 

इसी अधिनियम की धारा 5 के तहत तंबाकू उत्पाद बेचने वाली दुकानों को 60 सेमी x 45 सेमी का बोर्ड लगाना ज़रूरी है, जिसमें बताना होता है कि “तम्बाकू के कारण कैंसर होता है”. ऐसा ना करने पर 1000 रुपये से 5000 रुपये तक जुर्माना या 5 से 10 साल की कैद हो सकती है.

इसी एक्ट की धारा 6(क) के तहत  विक्रेता नाबालिगों को तंबाकू नहीं बेच सकते हैं और इसी तरह का एक बोर्ड लगाना भी जरूरी है. वहीं धारा 6(ख) के तहत शिक्षा संस्थान के 100 यार्ड के भीतर तंबाकू उत्पादों की बिक्री दंडनीय अपराध है.

चलते-चलते थोड़ी बात वर्ल्ड नो टोबैको डे की और कर लेते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साल 1987 में पहली बार तंबाकू निषेध दिवस मनाने की पहल की थी. वजह ये थी कि तंबाकू के सेवन की वजह से हर साल कई लाख लोगों की मौत हो रही थी. अगले साल यानी 1988 से अप्रैल महीने में वर्ल्ड नो टोबैको डे मनाया जाने लगा. बाद में हर साल मई महीने में इसे मनाया जाने लगा.

(ये स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहीं श्वेता ने लिखी है)

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