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वर्कप्लेस पर पेड पीरियड लीव दिए जाने के क्या उपाय कर रही है सरकार? स्मृति ईरानी ने संसद में दिया जवाब

बिना पैसे काटे पीरियड की छुट्टी अनिवार्य करने पर मोदी सरकार कुछ कर रही है या नहीं? ये सवाल संसद में किया गया. इसका जवाब महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने दिया है.

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महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी (फाइल फोटो: PTI)

पीरियड में दर्द की छुट्टी यानी पीरियड लीव मिलनी चाहिए या नहीं? खासकर पेड पीरियड लीव (Paid Period Leave) यानी बिना पैसे काटे पीरियड की छुट्टी पर अक्सर बहस होती है. लेकिन पेड पीरियड लीव दिए जाने पर सरकार क्या सोचती है? मोदी सरकार इसके लिए कोई प्रावधान लाने पर विचार कर रही है या नहीं? ये सवाल संसद में भी उठा. पहले लोकसभा में और फिर राज्यसभा में.  जवाब दिया महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने. स्मृति ईरानी ने कहा कि मासिक धर्म यानी पीरियड कोई 'बाधा' नहीं है. उन्होंने कहा कि जिन्हें पीरियड नहीं होता, पीरियड पर उनके दृष्टिकोण के कारण हमें ऐसे मुद्दों का प्रस्ताव नहीं देना चाहिए.

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पीरियड लीव पर राज्यसभा में मनोज कुमार झा का सवाल

दरअसल, 13 दिसंबर को राज्यसभा में  राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के मनोज कुमार झा स्मृति ईरानी से पेड मेन्स्ट्रुअल लीव  (paid menstrual leave) पर सवाल किया था. उन्होंने कहा कि पीरियड लीव देने वाला बिहार पहला राज्य था. स्मृति ईरानी से उनका सवाल था कि रोजगार देने वालों के लिए क्या प्रावधान किए गए हैं कि वो महिला कर्मचारियों को निश्चित संख्या में अनिवार्य तौर पर पेड पीरियड लीव दें. इसके जवाब में स्मृति ने कहा,

"पीरियड और पीरियड साइकिल कोई बाधा नहीं है, यह महिलाओं के जीवन का एक हिस्सा है... यह देखते हुए कि महिलाएं आज अधिक से अधिक आर्थिक अवसरों का विकल्प चुन रही हैं. मैं इस पर सिर्फ अपना व्यक्तिगत विचार रखूंगी...हमें ऐसे मुद्दों का प्रस्ताव नहीं करना चाहिए जहां महिलाओं को समान अवसरों से वंचित किया जाता है, सिर्फ इसलिए कि जिसे पीरियड नहीं होता है, उसका पीरियड के प्रति एक खास दृष्टिकोण है."

लोकसभा में शशि थरूर ने पीरियड लीव पर मांगी जानकारी 

इससे पहले 8 दिसंबर को लोकसभा में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी पेड पीरियड लीव पर सवाल किया था. उन्होंने पूछा था,

"क्या सरकार ने सभी वर्कप्लेस के लिए पेड पीरियड लीव का प्रावधान अनिवार्य करने पर विचार किया है?"

स्मृति ईरानी ने इसका जवाब दिया था कि सरकार फिलहाल ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है. पीरियड लीव पर शशि थरूर के सवाल पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से लिखित में जो जवाब दिया गया है, वो इस तरह है, 

“मेन्स्ट्रुएशन (मासिक धर्म) शरीर की एक प्रक्रिया है. इसमें कुछ महिलाओं या लड़कियों को ज्यादा गंभीर समस्या होती है. वहीं अधिकतर मामलों को दवा से कंट्रोल किया जा सकता है. सभी वर्कप्लेस के लिए पेड पीरियड अनिवार्य करने का कोई प्रस्ताव फिलहाल सरकार के विचाराधीन नहीं है.”

इस जवाब में एक महिला सरकारी कर्मी के लिए उपलब्ध कई तरह की दूसरी छुट्टियों का जिक्र किया गया है. जो कि केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1972 के तहत दिए जाते हैं.

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