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नील पटेल का कथित #iPhoneScam, जिसने PM मोदी के 'पसंदीदा लोगों' को भिड़ा दिया

पीएम मोदी जिन्हें ट्विटर पर फॉलो करते हैं, उन दक्षिणपंथियों को नील पटेल ने iPhone भेजे थे.

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#iPhone_Scam में ट्विटर पर एक्टिव कई ऐसे लोगों के नाम आए हैं, जिन्हें पीएम मोदी फॉलो करते हैं. जिस नील पटेल पर स्कैम के आरोप लगे हैं, वो पीएम मोदी के गृह जिले मेहसाणा से ही है.
विचारधारा के लिए ट्विटर वॉर आपने देखी ही होगी. दक्षिणपंथी (राइट विंगर्स) और वामपंथी (लेफ्ट विंगर्स) समेत अलग-अलग राजनैतिक विचारों का समर्थन करने वाले लोग ट्विटर पर आपस में भिड़ते रहते हैं. कोई नई बात नहीं. पर अबकी बार सस्ते iPhone के चक्कर में राइट विंगर्स आपस में लड़ रहे हैं.
#IphoneScam के नाम से चर्चा में आई इस कथित ठगी का आरोप लग रहा है, हितेश कुमार पटेल उर्फ़ नील पटेल नाम के शख़्स पर. नील खुद को फोरेक्स ट्रेडर और व्यवसायी बताता है. कुछ कंपनियों का मालिक भी है. iPhone के नाम पर चर्चा में आया ये झोल, बड़े खेल का एक हिस्सा मात्र है. अंग्रेज़ी में कहते हैं ना- 'टिप ऑफ द आइसबर्ग', वही है.
स्क्वीक्स मीडिया की शुरुआत के वक्त भारतीय जनता पार्टी के कपिल मिश्रा
सरीखे नेताओं ने इसका प्रमोशन किया था.(आर्काइव लिंक
) सोशल मीडिया पर यूज़र्स ने नील पटेल पर कम से कम पांच तरह के स्कैम के आरोप लगाए हैं. शुरुआत करते हैं #IphoneScam से- #iPhoneScam ट्विटर पर नील पटेल ने खुद को स्क्वीक्स (SQUEAKS Media Ltd) कंपनी का CEO बताया है. स्क्वीक्स एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है जिसे शुरुआत में 'मेड इन इंडिया' के नाम पर बेचा गया.
हितेश पटेल उर्फ़ नील पटेल का ट्विटर हैंडल. आरोप लगे हैं कि नील ने ये हैंडल भी किसी से ख़रीदा था. #iPhoneScam के बाद ये अकाउंट सस्पेंड हो गया.
हितेश पटेल उर्फ़ नील पटेल का ट्विटर हैंडल. आरोप लगे हैं कि नील ने ये हैंडल भी किसी से ख़रीदा था. #iPhoneScam के बाद ये अकाउंट सस्पेंड हो गया.

इसके ज़्यादातर यूज़र्स राइट विंगर्स ही हैं. गूगल प्लेस्टोर पर उपलब्ध इस ऐप के डिस्क्रिप्शन में लगे स्क्रीनशॉट्स पर डॉ मोनिका लांघे जैसे यूज़र्स
का नाम दिखता है.
मोनिका की ट्विटर प्रोफाइल के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें ट्विटर पर फॉलो
करते हैं.
मोनिका लांघे स्क्वीक्स पर. इन्हें पीएम मोदी ट्विटर पर फॉलो करते हैं.
मोनिका लांघे स्क्वीक्स पर. इन्हें पीएम मोदी ट्विटर पर फॉलो करते हैं.(तस्वीर- प्लेस्टोर/स्क्वीक्स)

स्क्वीक्स ऐप के अलावा, स्क्वीक्स मीडिया कंपनी गूगल प्ले स्टोर पर 'नारद ऐप' (Naarad app) और 'नारद पे' ऐप की पब्लिशर है. 'नारद ऐप' 'वॉट्सऐप' की तरह एक पर्सनल चैटिंग ऐप है. वहीं 'नारद पे ऐप' 'गूगल पे'/'फोन पे' की तरह रिचार्ज और पेमेंट ऐप है.
गूगल प्लेस्टोर पर उपलब्ध स्क्वीक्स मीडिया और नारद पे ऐप. दोनों का पब्लिशर स्क्वीक्स मीडिया प्राइवेट लिमेटिड है जिसका नील ने खुद को CEO बताया है.
गूगल प्लेस्टोर पर उपलब्ध स्क्वीक्स मीडिया और नारद पे ऐप. दोनों का पब्लिशर स्क्वीक्स मीडिया प्राइवेट लिमेटिड है जिसका नील ने खुद को CEO बताया है.(तस्वीर- गूगल प्लेस्टोर )

नील पटेल ने अक्टूबर और नवंबर 2020 में इन ऐप्स पर एक स्पेशल डिस्काउंट ऑफर चलाया. महंगे मोबाइल फोन्स पर अंधाधुंध छूट का ऑफर. उदाहरण के लिए समझिए कि क़रीब 1 लाख 40 हज़ार रुपये के ऐपल iPhone 12 pro को 67,449 रुपये में यानी तक़रीबन आधे दाम पर ऑफर किया गया था. अपने ही एक वीडियो में नील ने दिखाया कि इसी तर्ज़ पर 1 लैपटॉप, 1 टैबलेट और 12 मोबाइल मॉडल्स के 5,724 ऑर्डर बुक किए गए. हालांकि, एक खरीददार को जवाब देते हुए नील ने ऑर्डर्स की संख्या 8 हज़ार से ज्यादा होने
का दावा भी किया है.(आर्काइव)
ये आम समझाइश है कि ऐपल जैसे नामी ब्रैंड पर इतनी अंधाधुंध छूट नहीं मिल सकती. तो फिर नारद/नारद-पे/स्क्वीक्स ने इतनी छूट कैसे दे दी? वेल, ये सवाल बहुतों के मन में था.
नील पटेल की कंपनी ने दावा किया कि
मीडिया, सेलिब्रिटीज़ और इन्फ्लुएंसर्स के ज़रिए मार्केटिंग करने के बजाय, इस पैसे का इस्तेमाल खरीददारों को छूट देने में कर रहे हैं. ट्विटर पर राइट विंग के हैंडल्स के ज़रिए फेमस हुए नील पटेल और स्क्वीक्स कंपनी के इस लॉजिक पर कुछ लोग ऐतबार कर बैठे.
और फिर? नारद पे के ज़रिए लोगों ने पैसा ट्रांसफर कर दिया. ये सब हुआ अक्टूबर-नवंबर 2020 के दौरान. कई लोगों ने ऑर्डर बुक किए थे. उदाहरण के लिए ये ट्वीट आप देख सकते हैं
. इस पूरे "स्कैम" में नील पटेल के साथ काम करने वाली सुनैना भी दक्षिणपंथी हैं. 'नारद पे' और 'स्क्वीक्स' की इस स्कीम में काम करने के लिए नील पटेल ने उन्हें 3 महीने में 2 लाख रुपये
भी दिए थे.
सुनैना ने 'नारद पे' की ओर से दी जा रही अविश्वसनीय छूट पर भरोसा दिखाने और ऑर्डर करने के लिए लोगों का शुक्रिया किया था. iPhone 11 के 100 फीसदी बुक होने की घोषणा करते हुए उन्होंने ये ट्वीट किया
- 22 अक्टूबर 2020 को एक और ट्वीट में सुनैना ने सवाल उठाए
कि अगर 'फ्लिपकार्ट' फ्री फोन देता है तो किसी को आपत्ति नहीं होती. लेकिन नारद पे जैसा असली भारतीय स्टार्टअप अगर फ्री फोन देता है तो वो उस पर शक करते हैं. सुनैना के कई ऐसे ट्वीट हैं जहां वो लोगों को कंपनी के असली होने की तसल्ली दे रही हैं.
नारद पे का पेमेंट गेटवे

रेज़रपे प्लेटफॉर्म के ज़रिए नारद पे का पेमेंट गेटवे काम करता था. खुलासा करने वालों ने दावा किया है कि रेज़र पे को भी स्क्वीक्स मीडिया पर शक हो गया था.
रेज़रपे प्लेटफॉर्म के ज़रिए नारद पे का पेमेंट गेटवे काम करता था. खुलासा करने वालों ने दावा किया है कि रेज़र पे को भी स्क्वीक्स मीडिया पर शक हो गया था.

लेकिन ये ज़्यादा दिन नहीं चला. लोग ट्विटर पर नील, सुनैना और कंपनी को टैग करके iPhone मांगने लगे.
क़रीब 1 महीने बाद, 26 नवंबर को सुनैना ने ट्वीट किया कि जिन्होंने भी नारद पे या स्क्वीक्स मीडिया से iPhone ख़रीदा है, वो ट्विटर इनबॉक्स में उन्हें मेसेज ना करें. कंपनी के (ट्विटर) हैंडल्स को आधिकारिक सूचना के लिए फॉलो करें. सुनैना ने 10 दिसंबर तक iPhone मिल जाने की बात
भी लिखी.(आर्काइव
) इस आर्टिकल के छपने के वक्त नील पटेल (@ntp1927
), नारद पे (@NaaradPay
) और स्क्वीक्स मीडिया (@SqueaksMedia
) के ट्विटर अकाउंट सस्पेंड हो चुके हैं.
हालांकि, हमें गूगल पर स्क्वीक्स मीडिया के एक ट्वीट का कैश्ड वर्जन
मिला.
ये स्क्वीक्स मीडिया का आधिकारिक आकाउंट था. अब सस्पेंड हो चुका है.
ये स्क्वीक्स मीडिया का आधिकारिक आकाउंट था. अब सस्पेंड हो चुका है. (फोटो- गूगल कैश्ड वर्जन)

20 नवंबर के इस ट्वीट में iPhone और सैमसंग मोबाइल्स डिलीवर करने की मियाद 27 नवंबर से दिसंबर 10 बताई गई. 10 दिसंबर के बाद भी फोन नहीं मिले तो नारद पे के ग्राहकों ने ट्विटर पर लिखना शुरू किया. ऐसे कुछ ट्वीट्स आप यहां क्लिक कर देख सकते हैं. यहां
, यहां
, यहां
  और यहां.

जनवरी 2021 आते-आते सुनैना ने नील की आलोचना शुरू कर दी. फरवरी 2021 में सुनैना के अलावा कुछ और दक्षिणपंथी ट्विटर हैंडल्स ने नील पटेल की iPhone स्कीम के ख़िलाफ़ ट्वीट करना शुरू किया. निशांत (@nishant_india)
भी इन्हीं में से हैं. निशांत को ट्विटर पर प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत दक्षिणपंथी धड़े के कई बड़े नेता फॉलो करते हैं.
निशांत ने नील पटेल के 'iPhone स्कैम' के बारे में सिलसिलेवार ट्वीट किए हैं. निशांत और अभिमन्यु राणा ने साथ मिलकर एक वीडियो बनाया है. जिसमें "iPhone स्कैम" समेत कई धंधों के ज़रिए लोगों को ठगने के आरोप नील पटेल पर लगाए हैं.
वीडियो में दावा किया गया-
"नील पटेल ने 3,000 से 4,000 के बीच iphone 12 pro बिके हैं. इसी के हिसाब से इसने क़रीब 40 करोड़ की चपत लगाई है. लेकिन ज़्यादा से ज़्यादा 200 लोगों को iPhone दिए हैं. फेमस लोगों को दिए हैं और फिर फोटो डलवाए जा रहे हैं. इसने एक फ्रॉड और किया ऑनलाइन कोर्स (eGyaan) करवाने के नाम से. 45 हज़ार का कोर्स था. वादा था कि अच्छी नौकरी मिलेगी इस कोर्स के बाद. इससे डेढ़ से तीन करोड़ रुपया इकट्ठा किया और इससे iPhone दे रहा है. इसने कंपनी का जो एड्रेस इंफोसिटी, गांधीनगर का डाला, वो भी फ़र्ज़ी है. वहां स्क्वीक्स मीडिया का दफ़्तर है ही नहीं."
NaaradPay और Squeaks Media प्लेटफॉर्म
निशांत ने दावा किया

"नारद पे और स्क्वीक्स मीडिया के प्लेटफॉर्म्स पर यूज़र का डेटा चोरी किया जाता था. ये ऐप्स गैलरी का एक्सेस लेती थीं और वहां से प्राइवेट फोटोज़ और डेटा को नील अपने पास रख लेता था. लोग इससे डर गए. अगर किसी ने पुलिस के पास जाने के कोशिश की, अपना पैसा मांगा, फोन मांगा तो उन्हें प्राइवेट फोटोज़ दिखाकर धमकाता था."(आर्काइव लिंक
)
निशांत ने दावा किया
-
नील पटेल राइट विंग के बड़े लोगों के साथ अपनी फोटो दिखाकर अपने आपको ताक़तवर दिखाता है. मोदी जी को आपने पिता का क्लासमेट बताता था और उनका नाम लेकर धमकाता है.
निशांत ने कहा-
"जिस वेरिफाइड अकाउंट का इस्तेमाल नील कर रहा है(अब सस्पेंड), वो असल में किसी म्यूज़िक बैंड का है. इसने दूसरे का वेरिफाइड हैंडल ख़रीदा और अपने नाम से यूज़ किया. ये नाइट टेरर ऑफ 1927 का हैंडल है. ये म्यूज़िक बैंड का ट्वीट तक डिलीट करना भूल गया."
हमें @nto1927 यानी नाइट टेरर ऑफ 1927 अकाउंट के म्यूज़िक बैंड से जुड़े होने के कुछ सबूत मिले. ऐपल म्यूज़िक के ट्विटर हैंडल ने 15 जनवरी 2015 को एक ट्वीट में @nto1927 को मेंशन
किया था. इससे साफ़ हो जाता है कि ये हैंडल नील पटेल के पास आने से पहले एक बैंड के पास था. इस हैंडल के असली ऑनर जैरड गोरबेल ने 11 जनवरी 2020 को एक ट्वीट किया था कि @nto1927 अब नाइट टेरर ऑफ 1927 नहीं रहा. इसे किसे दक्षिणपंथी ने हैक/हाइजैक कर लिया था. यानी पैसे देकर ख़रीदने की जगह हैक या हाइजैक करने के आरोप नील पटेल पर लगाए हैं @nto1927 हैंडल के असली ऑनर ने
. 16 फरवरी को निशांत के ट्वीट के रिप्लाई में जैरड ने लिखा कि-
सब ठीक है, बैंड टूट चुका है. वो इसे(अकाउंट) रख सकता है.
Sweden Visa Scam निशांत ने अपने वीडियो में कुछ और भी खुलासे किए हैं. निशांत का दावा है कि नील पटेल ने साल 2006 में पासपोर्ट फ्रॉड किया था. वो गुजरात में लोगों को स्वीडन भेजने के नाम पर फ़र्ज़ीवाड़ा करता था.

 
प्रोपेगेंडा वेबसाइट OpIndia का नाम भी स्कैम में
सुनैना ने नील पटेल और स्क्वीक्स मीडिया की ओर से प्रोपेगेंडा वेबसाइट ऑपइंडिया के संपादकों- नुपूर शर्मा और अजीत भारती, CEO राहुल रौशन को 3-3 लाख के तीन गिफ़्ट वाउचर्स दिए गए थे. इनसे स्क्वीक्स मीडिया के प्रोडक्ट ख़रीदे जा सकते थे. सुनैना ने ट्वीट कर ये जानकारी दी थी. जिसके रिप्लाई में नुपूर ने सुनैना का शुक्रिया कहा था
.

नील पटेल ने 2 iPhone नुपूर शर्मा को भी पहुंचाए थे. जब नील के इस "स्कैम" की बात सामने आई तो नूपुर ने कहा-
"मैंने ऑपइंडिया के इस्तेमाल के लिए 3 लाख रुपये का वाउचर रिडीम करने की कोशिश थी, लेकिन ये काम नहीं कर रहा था. जब बात नील को बताई गई तो उसने दो iPhone भेजने की बात कही. आरोपों की गंभीरता देखते हुए मैं नील के जवाब का इंतज़ार नहीं कर सकती थी."

ऑपइंडिया (इंग्लिश) की संपादक नुपूर शर्मा ने अपने नाम और विश्वसनीयता शब्द का इस्तेमाल एक ही वाक्य में
करते हुए लिखा-
मेरी विश्वसनीयता इकलौती चीज़ है जिससे मुझे फ़र्क़ पड़ता है. और मैं निश्चित तौर पर दो फोन्स के लिए इससे समझौता नहीं करूंगी. इसलिए मैंने सुनैना होली को 1 लाख 20 हज़ार रुपये (दो फोन्स की अमेज़न पर क़ीमत) दे दिए हैं जिसका इस्तेमाल उन लोगों की भरपाई करने के लिए होगा जिनसे मिस्टर नील ने स्कैम किया है.

नुपूर ने कहा
-
मैं मूर्ख महसूस कर रही हूं और आपसे वादा करती हूं कि मेरी विश्वसनीयता और आपका भरोसा इकलौती चीज़ है जिससे मुझे वाकई फ़र्क पड़ता है.

 

टैब और डिवाइस स्कैम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक और दक्षिणपंथी ट्विटर हैंडल- @DalipDutta
को फॉलो करते हैं. दलीप दत्ता ने कुछ ट्वीट्स और स्क्रीनशॉट्स दिखाकर दावा किया कि नील ने दक्षिणपंथियों को ठगा है. दलीप ने फिलहाल अपने इन ट्वीट्स को प्राइवेट कर लिया है. लेकिन आप इनका आर्काइव वर्ज़न यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं
-
दलीप ने स्क्रीनशॉट्स दिखाकर दावा
किया-
मैंने दीवाली गिफ़्ट के तौर पर स्क्वीक्स मीडिया से टैब ऑफर किए थे. शिपिंग चार्ज के तौर पर 3913 रुपये दिए. तो गलत टैब क्यों भेजा गया. क्या ये ग़लत नहीं है. हमने स्क्वीक कम्युनिकेटर डिवाइस भी ऑर्डर किया था. 15 जून 2020 (28 मई 2020 को ऑर्डर) को डिलीवर होना था, अब तक(18 फरवरी 2021) क्यों नहीं हुआ? iPhone कॉन्टेस्ट क्या था? जीतने वालों की जो लिस्ट लगाई गई थी, वो झूठ थी क्या?
दिलीप दत्ता वो राइटविंगर हैं जिन्हें गलत टैब मिला और स्क्वीक्स डिवाइस नहीं मिला. इन्हें पीएम मोदी फॉलो करते हैं.
दिलीप दत्ता वो राइटविंगर हैं जिन्हें गलत टैब मिला और स्क्वीक्स डिवाइस नहीं मिला. इन्हें पीएम मोदी फॉलो करते हैं.
Penny Robot, Autotrader स्कैम निशांत और अभिमन्यु राणा ने अपने वीडियो में कुछ और दावे भी किए हैं. निशांत और अभिमन्यु के मुताबिक,
"पेनी ट्रेडर(रोबोट) स्कैम में नील कुछ लोगों को उनकी इन्वेस्टमेंट की एवज में रोज़ाना के कुछ डॉलर प्रॉमिस करता था
. कुछ चुनिंदा लोगों को रिटर्न देता था. वो लोग तारीफ़ करते थे तो कई लोग पैसा लगाते थे. और जब ये गुब्बारा बड़ा हो जाता था तो नील भाग जाता था."
हमें ऐसे ट्वीट भी मिले जहां लोगों ने दावा किया कि नील पटेल ने एक साल बाद भी उनके पैसे नहीं लौटाए
हैं. दोनों ने दावा किया,
"पेनी ट्रेडर स्कैम में जो नील पटेल ने सीखा, उसका इस्तेमाल किया ऑटो ट्रेडर स्कैम में. यहां इन्वेस्टमेंट का अलग-अलग लेवल बनाया. और रोज़ाना 3-5 % रिटर्न का वादा किया. ये सब अपने सॉफ्टवेयर पर दिखाता था. ट्रायल के लिए लोगों को 5 हज़ार डॉलर तक बैलेंस दिया करता था. ये देख लोगों ने हज़ारों रुपये इन्वेस्ट कर दिए. 17 हज़ार लगाने वाले को सॉफ्टवेयर में दिखा दिया कि पोर्टफोलियो 50 हज़ार डॉलर का हो गया है. लेकिन जब किसी ने पैसा निकलना चाहा, तो उसे पैसा ना देकर ब्लॉक कर देता था. एक स्कैम की लूट के पैसे से दूसरे स्कैम के कुछ लोगों को पैसा चुकाता था."

 

हमें ट्विटर पर कुछ ऐसे थ्रेड मिले, जहां लोग 2018-19 से नील के पास पैसा फंसे दिख रहे हैं. इन लोगों का आरोप है कि नील की पत्नी डीना श्रेष्ठा भी इस "स्कैम" में शामिल हैं.
Bitcell स्कैम बिटसेल का फेसबुक पेज. यहां कई कमेंट्स में हितेश उर्फ़ नील पटेल और सुहैल खान का ज़िक्र है.
बिटसेल का फेसबुक पेज. यहां कई कमेंट्स में हितेश उर्फ़ नील पटेल और सुहैल खान का ज़िक्र है.

बिटसेल नाम के फ्रॉड में सुहैल खान नाम के एक पूर्व सैनिक के शामिल होने के दावे हुए. निशांत और अभिमन्यु ने दावा किया-
"बिटसेल में लोग बिटकॉइन ख़रीद रहे थे
. उस समय बिटकॉइन का रेट लगातार बढ़ रहा था. ये बिटकॉइन लीज़ पर देते थे. जिसमें ये ग्राहक से 20% रुपये ले लेते थे. और बिटकॉइन इनके पास ही रहता था. अपनी वेबसाइट
(thebitcell.com) पर ये सब ख़रीद-फ़रोख़्त करता था. जो पैसे वापसी के लिए प्रेशर बनाता था, उसे लौटा देता था ताकि कहीं लीक ना हो जाए."

 

संदीप ऐसे ही बिटसेल के एक यूज़र थे. उन्होंने वीडियो जारी करके नील पटेल पर स्कैम करने का आरोप
लगाया है. अपने ट्वीट्स में दावा किया कि लोग कई तरह की परेशानियों में फंसे हुए थे, लेकिन बावजूद पटेल ने उनका पैसा नहीं लौटाया.

 
"E-gyaan scam"
निशांत और अभिमन्यु समेत कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने दावा किया कि नील पटेल ने e-gyaan के ज़रिए स्टूडेंट्स और यूथ को लूटा है. नील पटेल ने ट्रेडिंग के बारे में जानकारी देने और कोर्स के बाद 50 हज़ार से 1 लाख की नौकरी देने की एवज में 45 हज़ार रुपये का कोर्स बेचा
. दावे के मुताबिक 800-900 लोगों ने इस कोर्स के लिए रजिस्टर किया था. लेकिन जो भी रिफंड मांगता था, उसे E-Gyaan के ग्रुप से बाहर निकाल दिया जाता था.

 
"Squeaks Coin Scam"
निशांत-अभिमन्यु के दावे के मुताबिक, स्क्वीक्स कॉइन नील पटेल का अबतक का सबसे बड़ा फ्रॉड था. इस एक कथित क्वॉइन की क़ीमत 1 लाख 32 हज़ार 750 रुपये
थी. 14 फरवरी 2021 को लॉन्च होने वाला था. लेकिन सोशल मीडिया पर हल्ला हुआ तो लटक गया. निशांत का दावा है कि ये किसी तरह की सत्यापित करंसी नहीं है. इसकी कोई वैल्यू नहीं है. उसे (नील) बस स्क्रीनशॉट भेजने हैं कि अकाउंट में कॉइन आ गया है. ये एक तरह का jpeg (फोटो का फॉर्मेट) है जिसे अच्छे से डिज़ाइन कराया गया है. इसका कोई इंक्रिप्शन नहीं है. इसका कोई आधार नहीं है. लेकिन ये इंफ्ल्युएंसर इमेज का फ़ायदा उठा रहा है.


इस वीडियो में दावा किया गया है कि अबतक 18 लाख रुपये स्क्वीक्स कॉइन की सेल से आए थे. निशांत-अभिमन्यु का दावा है कि iPhone स्कैम का फंसा पैसा स्क्वीक्स कॉइन के स्कैम से मिलता. यानी एक स्कैम का पैसा चुकता करने के लिए दूसरा स्कैम.
'दी लल्लनटॉप' ने E-Gyaan के कोर्स के लिए 44,999 रुपये चुकाने वाले एक स्टूडेंट से संपर्क किया. पहचान ज़ाहिर ना करने के आग्रह पर 24 वर्षीय स्टूडेंट ने बताया,
"मैं 2020 से नील पटेल को फॉलो करता था. और लॉकडाउन में स्क्वीक्स कोर्स में इनरोल हुआ. इसमें गारंटी दी गई थी कि कोर्स से हमें नॉलेज मिलेगी और फिर गारंटेड जॉब लगेगी. लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ. नौकरी के बारे में पूछने वालों को ग्रुप से निकाल दिया जाता है और कितने भी ईमेल या मेसेज कर लो, कोई जवाब नहीं देता. मेरे साथ ठगी हुई है."
राइटविंगर्स और स्कैम ट्विटर यूज़र @DesiMojito, @MODIfiedVikas और @BefittingFacts, ये सोशल मीडिया के राइट विंग इकोसिस्टम के कुछ चर्चित नाम हैं. खुद को भारतीय जनता पार्टी से सीधे तौर पर नहीं जोड़ते, लेकिन पीएम मोदी और भारतीय जनता पार्टी के वैचारिक विमर्श के इर्द-गिर्द काम करते हैं.
नील पटेल की ओर से इन लोगों को iPhone गिफ़्ट किए गए हैं. जब स्कैम की बातें सामने आईं तो तीनों ने नील पटेल से किनारा करना बेहतर समझा. फोन लौटाने के दावे कहे.
इनके अलावा मेजर सुरेंद्र पुनिया, डॉ. मोनिका लांघे जैसे कई नाम हैं जिनका नाता नील पटेल से रहा है. लेकिन स्कैम की बात सामने आई तो इन सब ने दूरी बनाने में भलाई समझी. #iPhoneScam पर पुलिस एक्शन #iPhoneScam ट्रेंड होने के बाद पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने मुंबई पुलिस से #iPhoneScam मामले में IT सेल इंफ्ल्युएंसर्स, भाजपा सदस्यों और कथित दक्षिणपंथी पत्रकारों की जांच की मांग की. इसके जवाब में महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने ट्वीट
किया,
iPhone स्कैम विदेश में बैठे स्कैम्सटर कर रहे हैं और फ़ायदा पाने वाले ज़्यदातर दक्षिणपंथी इंफ्ल्युएंसर्स हैं. हमने इस मामले में विस्तृत जांच के आदेश IGP साइबर, महाराष्ट्र पुलिस को दिया है.
नील पटेल ने अपने बचाव में क्या कहा? नील पटेल दावा कर रहा है कि उसने किसी भी तरह का स्कैम नहीं किया है. एक वीडियो में नील ने कहा,
मेरा परिवार प्रतिष्ठित परिवार है और मेरे पिता क़रीब 30 ट्रस्ट में ट्रस्टी हैं. मैं मेहसाणा के अखज गांव से हूं. मेरा घर इकलौता ऐसा घर है गांव में जहां एलिवेटर लगा हुआ है. मेरे बड़े पापा कलोल विधानसभा से 3 बार MLA रहे हैं. मैंने बिटसेल में लाखों डॉलर लोगों को दिया है.
प्रधानमंत्री मोदी का गृह जिला भी मेहसाणा ही है.
नील ने कहा,
मेरी वाइफ़ का नाम सस्ती पब्लिसिटी के लिए इस्तेमाल किया गया. उसका नाम गलत घसीटा गया है.

iPhone डिलीवरी हुई या नहीं?
फोन, टैब और लैपटॉप मिलाकर 5,724 डिवाइस के लिए ऑर्डर लिए गए थे. जिससे इंतज़ार नहीं हुआ, उसने रिफंड मांगा. हमने उसे रिफंड दिया. iPhone 12 प्रो के 128 ऑर्डर्स में से सिर्फ 3 ऑर्डर डिलीवर करना बाकी है. इसी तरह iPhone 11 प्रो मैक्स के 256 ऑर्डर्स में से 1 फोन डिलीवर करना बाकी रह गया है. गलत जानकारी शेयर की जा रहा है.
स्क्वीक्स कॉइन के बारे में नील के दावा किया,
मेरे दो कॉइन है. एक स्क्वीक्स डिजिटल, जो आया नहीं है. और दूसरा, स्क्वीक्स टोकन. ये फर्ज़ी कॉइन नहीं है. ये स्टैंडर्ड इथीरियम रेगुलर टोकन है. ये इथीरियम नेटवर्क पर रजिस्टर्ड है. मेरे साथ अब रेफ वायन जुड़ रहा है. 80 मिलियन डॉलर रेफ वायन अगर डाल रहा है स्क्वीक्स में तो क्या मैं चिंदी-चोरी करने बैठूंगा?
नील पटेल ने जिस रेफ वायन का ज़िक्र किया, उसका नाम अफ़्रीका में क्रिप्टोकरेंसी स्कैम में आ चुका है. 2016 में रेफ ने ये स्कैम किया था. Fin24 की रिपोर्ट के मुताबिक
, रेफ वायन के कॉइन में इन्वेस्ट करने वाले लगभग 100 फीसदी लोगों का पैसा डूब गया था. कुछ लोगों को क्रिप्टोकरेंसी मिली, लेकिन उसकी क़ीमत कुछ सेंट मात्र थी. नील पटेल-सुनैना होली की वॉट्सऐपचैट नील ने विवाद के बाद सुनैना और अपनी वॉट्सऐप चैट के कथित स्क्रीनशॉट शेयर कर दिए
. सुनैना ने इस कथित चैट में कहा-
"कश्मीरियों को मुफ़्त में बहुत कुछ मिला है, बावजूद वो नाशुक्रे हैं."
दक्षिणपंथी और हिंदू आईटी सेल नाम का ट्विटर हैंडल क्यूरेट करने वाले विकास पांडे(@MODIfiedVikas) के पर हिंदुत्ववादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या के बाद जुटाई गई सहायता राशि में फर्ज़ीवाड़ा करने की बात भी इस कथित चैल में लिखी है.
हालांकि, कथित चैट सामने आने के बाद सुनैना ने एक ट्वीट किया, जिसमें विकास से माफ़ी मांगी है. कमलेश तिवारी के परिवार का एक 29 अक्टूबर 2019 का एक वीडियो भी शेयर किया, जिसमें तिवारी का परिवार विकास पांडे समेत कुछ लोगों को आर्थिक सहायता के लिए धन्यवाद कर रहे हैं. (आर्काइव लिंक
) #iPhoneScam ने सोशल मीडिया के राइटविंग इकोसिस्टम के बारे में कई खुलासे किए हैं. मुंबई पुलिस की जांच में इन कथित दावों की सच्चाई सामने आने की उम्मीद है.