The Lallantop

अमेरिका की वजह से हुआ सीजफायर? विक्रम मिस्री ने सांसदों को बताया सच

बैठक में सांसदों ने इस बात पर भी सवाल किए कि जिन आतंकियों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हमला किया, वो अब तक पकड़े क्यों नहीं गए.

Advertisement
post-main-image
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने विदेशी मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को ऑपरेशन सिंदूर पर ब्रीफ किया. (India Today)

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने विदेशी मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को बताया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम (Ceasefire) दोनों देशों का आपसी फैसला था. उन्होंने कहा कि इसमें अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी. हालांकि, विपक्ष के कुछ सदस्यों ने सवाल उठाए कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने संघर्ष विराम की घोषणा भारत से पहले क्यों की थी.

Advertisement

इस दौरान सांसदों ने 'न्यूक्लियर संघर्ष' पर भी जानकारी मांगी. इस पर मिस्री ने साफ किया कि दोनों देशों के बीच संघर्ष सिर्फ पारंपरिक हथियारों (Conventional Warfare) तक सीमित था. इस दौरान ना तो भारत और ना ही पाकिस्तान ने परमाणु हथियारों का कोई संकेत दिया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक विपक्ष के सांसदों ने इस बात पर भी सवाल किए कि जिन आतंकियों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हमला किया, वो अब तक पकड़े क्यों नहीं गए. उन्हें पकड़ने के लिए क्या किया जा रहा है.

Advertisement

इसके अलावा एक अन्य सदस्य ने यह भी पूछा कि भारत पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग करने के लिए क्या कदम उठा रहा है. विपक्ष के एक सदस्य ने यह भी सवाल किया कि भारत कूटनीतिक रूप से ‘अलग-थलग’ क्यों दिख रहा है. और यह भी पूछा कि भारत कैसे यह संदेश देगा कि आतंक का 'शिकार' (भारत) और 'आतंक फैलाने वाला' (पाकिस्तान) एक जैसे नहीं हैं.

कुछ विपक्षी नेताओं ने यह भी पूछा कि क्या पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ संघर्ष में चीनी प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल किया. इस पर मिस्री ने जवाब दिया कि इससे फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि भारत ने पाकिस्तान के एयरबेस पर हमला किया.

इस बीच समाचार एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि समिति ने सर्वसम्मति से विदेश सचिव विक्रम मिस्री के खिलाफ ऑनलाइन ट्रोलिंग की निंदा की. बैठक के बाद शशि थरूर ने संवाददाताओं से कहा,

Advertisement

"यह एक बहुत ही गहन चर्चा थी. यहां तक ​​कि विदेश सचिव पर हो रहे अनुचित हमलों के मद्देनजर उनके साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए एक प्रस्ताव पारित करने की भी इच्छा थी. उन्होंने स्वयं अनुरोध किया था कि कोई प्रस्ताव पारित नहीं होना चाहिए. समिति की यह सर्वसम्मत भावना थी कि उन्होंने राष्ट्र के लिए अच्छी सेवा की है, और हम सभी उनके साथ खड़े हैं."

बता दें कि विदेशी मामलों की स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद शशि थरूर हैं. उनकी अध्यक्षता में हुई दो घंटे तक चली. इस बैठक में कई सांसद शामिल हुए, जिनमें तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी, कांग्रेस के राजीव शुक्ला और दीपेंद्र हुड्डा, AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, और बीजेपी के अपराजिता सारंगी और अरुण गोविल मौजूद थे.

वीडियो: ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने क्या बताया?

Advertisement