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राहुल गांधी की सुनवाई करने वाले जस्टिस हेमंत पृच्छक गुजरात सरकार के लिए क्या काम करते थे?

अगस्त, 2021 में ही गुजरात हाई कोर्ट के जज बने थे.

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जस्टिस हेमंत पृच्छक राहुल गांधी के केस की सुनवाई करेंगे. (फोटो- वेबसाइट/PTI)

‘मोदी सरनेम केस’ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Modi Surname statement defamation case) की याचिका पर गुजरात हाई कोर्ट 29 अप्रैल को सुनवाई करेगा. इस केस में राहुल गांधी को निचली अदालत में पहले ही मानहानि का दोषी करार दिया जा चुका है. इस फैसले पर रोक लगाने वाली याचिका को भी निचली अदालत खारिज कर चुकी है. उसके बाद राहुल गांधी ने हाई कोर्ट का रुख किया था. अब हाई कोर्ट के जस्टिस हेमंत पृच्छक (Justice Hemant M. Prachchhak) की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी.  

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कौन हैं जस्टिस हेमंत पृच्छक?

जस्टिस हेमंत पृच्छक का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 4 जून, 1965 को हुआ था. उन्होंने सोमनाथ के तालुका प्राइमरी स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा हासिल की. प्रभास पाटन और वेरावल से माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा लेने के बाद पृच्छक ने साल 1988 में पोरबंदर के कालिदास हरिदास मधवानी कॉलेज से कॉमर्स स्ट्रीम में ग्रेजुएशन किया. 

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1992 में प्रैक्टिस शुरू की

ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद जस्टिस हेमंत पृच्छक ने लॉ की पढ़ाई पूरी की. 1992 में पोरबंदर के ही धनजीभाई डी खोटियावाला लॉ कॉलेज से लॉ की डिग्री हासिल की. इसके बाद 28 अक्टूबर, 1992 को गुजरात बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराया. यहां से उनकी हाई कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू हुई.

गुजरात सरकार व केंद्र सरकार के लिए काम किया

जस्टिस हेमंत पृच्छक ने सिविल, क्रिमिनल और मोटर एक्सीडेंट क्लेम से जुड़े मामलों में हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की. आगे चलकर उन्होंने गुजरात सरकार के लिए भी काम किया. साल 2002 से 2007 के बीच पृच्छक ने सरकार के लिए सहायक सरकारी वकील और एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के तौर पर काम किया. उनको केंद्र सरकार के साथ काम करने का मौका भी मिला. 2015 से 2019 के बीच उन्होंने गुजरात हाई कोर्ट के लिए केंद्र सरकार के स्थायी वकील के रूप में काम किया.

जस्टिस हेमंत पृच्छक को 18 अक्टूबर, 2021 को गुजरात हाई कोर्ट का जज बनाया गया था.

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जस्टिस गीता ने खुद को केस से अलग किया

26 अप्रैल को राहुल गांधी के वकील पीएस चंपानेरी मामले को गुजरात हाई कोर्ट की जज गीता गोपी के समक्ष ले गए. लेकिन जस्टिस गीता गोपी ने खुद को इस मामले की सुनवाई से अलग कर लिया. उन्होंने कहा कि ये केस उनके सामने ना लाया जाए.

सूरत की निचली अदालत से सजा मिलने के बाद राहुल गांधी की पुनर्विचार याचिकाओं में दो मुख्य मांगें की गई हैं. एक, सजा पर रोक लगाई जाए. दूसरी, केस के निपटारे तक सजा के फैसले पर रोक लगे. ये पहले ही बता दिया कि निचली अदालत में इन मांगों वाली याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं. इसके बाद बीती 25 अप्रैल को राहुल गांधी ने मामले की सुनवाई के लिए गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.

इससे पहले बीती 23 मार्च को सूरत मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मोदी सरनेम केस मामले में सुनवाई करते हुए राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी. सूरत पश्चिम से विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी पर मानहानि का मुकदमा दर्ज किया था. ये मुकदमा कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी के बयान को लेकर दर्ज कराया गया था. इसमें उन्होंने कहा था कि ‘सब चोरों के नाम के पीछे मोदी क्यों होता है’.

वीडियो: सुर्खियां: मानहानि मामले में राहुल गाँधी की गुजरात हाई कोर्ट में अपील, सुनवाई से अलग हुईं जज

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