भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की वजह से अपने विधायक टी राजा सिंह (T Raja Singh) को सस्पेंड कर दिया. इससे पहले पैगंबर मोहम्मद (Prophet) पर कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया था. पार्टी ने राजा सिंह को सस्पेंड करते हुए कहा कि उन्हें 10 दिन के अंदर जवाब देना होगा कि आखिर उन्हें पार्टी से क्यों नहीं निकाला जाए. BJP ने कहा कि टी राजा सिंह ने पार्टी के संविधान का उल्लंघन किया है.
BJP का वो नियम, जिसका इस्तेमाल करके टी राजा सिंह को सस्पेंड कर दिया गया
टी राजा सिंह को सस्पेंड करने के आदेश में पार्टी की तरफ से पैगंबर मोहम्मद पर उनकी विवादित टिप्पणी का जिक्र नहीं किया गया है.

टी राजा सिंह को सस्पेंड करते हुए भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय डिसिप्लिनरी कमेटी के मेंबर सेक्रेटरी ओम पाठक ने एक नोटिस जारी किया. जिसमें लिखा गया,
“आपने (टी राजा सिंह) ने अलग-अलग मुद्दों पर पार्टी की राय के खिलाफ विचार रखे हैं. ये सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी के संविधान के रूल 10 (a) का उल्लंघन है. मुझे ये आदेश दिया गया है कि आगे की जांच तक आपको तत्काल प्रभाव से पार्टी और अगर आपके पास कोई जिम्मेदारी है, उनसे सस्पेंड किया जाता है. 10 दिन के भीतर आप ये भी बताएं कि आखिर आपको पार्टी से क्यों ना निकाला जाए. 2 सितंबर 2022 तक आपका जवाब जरूर मिल जाना चाहिए.”

राजा सिंह के निलंबन आदेश में बीजेपी की तरफ से कहीं भी उनके द्वारा पैगंबर मोहम्मद को लेकर की गई टिप्पणी का सीधे तौर पर जिक्र नहीं है. हालांकि, इस निलंबन को इस संदर्भ में ही देखा जा रहा है. इससे पहले नूपुर शर्मा को निलंबित करने के दौरान भी बीजेपी ने इसी तरह का आदेश जारी किया था. बीजेपी ने उस वक्त ये भी कहा था कि पार्टी को किसी भी धर्म के पूजनीयों का अपमान स्वीकार नहीं है. ये भी कि भारतीय जनता पार्टी को कोई भी ऐसा विचार स्वीकार नहीं है, जो किसी धर्म-समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाए. बीजेपी ना ऐसे किसी विचार को मानती है और ना ही प्रोत्साहन देती है. देश के संविधान को भी भारत के प्रत्येक नागरिक से सभी धर्मों का सम्मान करने की अपेक्षा है.
राजा सिंह को सस्पेंड करने के ऑर्डर में भारतीय जनता पार्टी ने अपने संविधान के रूल 10 (a) का जिक्र किया. दरअसल, बीजेपी एक कैडर आधारित पार्टी है. पार्टी के बड़े नेता अलग-अलग मौकों पर कार्यकर्ताओं से पार्टी का अनुशासन मानने की बात कहते रहते हैं. नेता सार्वजनिक मंचों पर ये इसरार भी करते हैं कि कार्यकर्ताओं का अनुशासन बेजोड़ है. बीजेपी के संविधान का रूल 10 (a) इसी अनुशासन के बारे में है.
क्या है Rule 10 (a)?ऐसे में जानना जरूरी है कि भारतीय जनता पार्टी के संविधान में धर्मों को लेकर क्या कहा गया है. पार्टी के संविधान का अनुच्छेद 2 इस बारे में बात करता है. ये अनुच्छेद कहता है,
"भारतीय जनता पार्टी का उद्देश्य एक लोकतांत्रिक राज्य की स्थापना करना है. जिसमें प्रत्येक नागरिक को, उनके पंथ, जाति और लिंग को देखे बिना, राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक न्याय के साथ अवसरों की बराबरी और अपने विश्वास एवं अभिव्यक्ति की आजादी की गारंटी हो."
भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेते हुए किसी व्यक्ति को एक शपथ लेनी होती है. शपथ में व्यक्ति एक धर्मनिरपेक्ष देश के सिद्धांत के प्रति सहमति दर्शाता है, ना कि धर्म के आधार पर चलने वाले देश के प्रति. व्यक्ति कहता है कि वो पूरी तरह से पार्टी के संविधान, नियमों और अनुशासन के तहत काम करेगा.
पार्टी के संविधान में कुल 34 अनुच्छेद हैं. इसके पच्चीसवें अनुच्छेद में लिखा गया है कि अनुशासन से जुड़े नियम बनाना पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की जिम्मेदारी है. इसी अनुच्छेद के तहत अनुशासन टूटने पर कार्रवाई का जिक्र है. इस कार्रवाई को 10 हिस्सों में बांटा गया है. इसी में आता है रूल 10 (a).
ये नियम अनुशासन से जुड़े मामलों में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को तगड़ी पॉवर देता है. नियम कहता है,
"अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष चाहें तो पार्टी के किसी भी सदस्य को सस्पेंड कर सकते हैं और फिर उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर सकते हैं."
इसी नियम में किसी सदस्य को सस्पेंड करने की परिस्थिति का भी जिक्र है. इसमें लिखा गया है कि अगर को सदस्य पार्टी के किसी निर्णय या प्रोग्राम के खिलाफ काम करता है या दुष्प्रचार करता है, तो उसे अनुशासन का उल्लंघन माना जाएगा. लिखा गया है कि इस तरह की शिकायत मिलने पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष या राज्य अध्यक्ष उस सदस्य को सस्पेंड कर सकते हैं या फिर कारण बताओ नोटिस जारी कर सकते हैं. इसका जवाब देने के लिए सदस्य को अधिकतम 10 दिन का समय दिया जा सकता है.
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