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भारत को खुशी, चीन को तगड़ा झटका, बाइडेन ने जाते-जाते हटा दिए दो दशक पुराने बैन

अमेरिका में Joe Biden प्रशासन के कार्यकाल के आखिरी हफ्ते में भारत को लेकर एक बड़ी घोषणा हुई है. इस फैसले के बाद अमेरिका और भारत के बीच परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा. लेकिन ऐसा भी फैसला हुआ है, जिसने चीन को तगड़ा झटका दे दिया है.

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अमेरिका ने शीर्ष तीन भारतीय संस्थाओं से बैन हटाया (फोटो: आजतक)

अमेरिका ने ‘BARC’ समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों पर से बैन हटा लिया है. अमेरिकी उद्योग एवं सुरक्षा ब्यूरो (BIS) ने तीन भारतीय संस्थाओं- भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR) और इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (IREL) को अपनी 'एंटिटी लिस्ट' (Entity List) से हटा दिया है. इस फैसले के बाद अमेरिका और भारत के बीच परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा. ये कदम वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. 

पहले ही मिल चुके थे संकेत

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाइडेन प्रशासन के कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन (Jake Sullivan) की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की गई. बताया जा रहा है कि एक हफ्ते पहले ही जेक सुलिवन ने यह संकेत दे दिया था. 6 जनवरी को IIT-दिल्ली में बोलते हुए सुलिवन ने बैन हटाने के संकेत दे दिए थे. अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, NSA अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात भी की थी. उन्होंने कहा था कि वाशिंगटन, भारत की शीर्ष परमाणु संस्थाओं और अमेरिकी कंपनियों के बीच असैन्य परमाणु सहयोग को रोकने वाले लॉन्ग टर्म नियमों को हटाने के लिए काम कर रहा है.

भारत को ‘राहत’ तो चीन को ‘झटका’!

साल 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण के दौरान परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने भारत के कुछ शीर्ष संस्थानों पर बैन लगा दिया था. इन्हीं को अब लगभग दो दशक बाद अमेरिका ने हटा दिया है. इतना ही नहीं, अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए चीन की 11 संस्थाओं को एंटिटी लिस्ट में जोड़ा है. यूनाइटेड स्टेट्स ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी (BIS) ने इसकी पुष्टि भी कर दी है.

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क्या होती है एंटिटी लिस्ट?

एंटिटी लिस्ट अमेरिकी वाणिज्य विभाग की ओर से जारी की जाती है. इसमें उन विदेशी व्यक्तियों, संगठनों और संस्थानों को शामिल किया जाता है. जिन्हें अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा या विदेश नीति के लिए जोखिम वाला माना जाता है. इस सूची का उपयोग स्पष्ट रूप से उन वस्तुओं के व्यापार को रोकने के लिए किया जाता है. जिन्हें आतंकवाद, सामूहिक विनाश के हथियार (WMD) कार्यक्रमों या दूसरी गतिविधियों में लगाया जा सकता है, और जिन्हें अमेरिका अपनी विदेश नीति या राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के विरुद्ध मानता है.

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