ये तस्वीरें बस्ती की हैं. सपा का आरोप है कि पुलिस की मौजूदगी में भाजपा प्रत्याशी संजय चौधरी ने सपा के जिला पंचायत सदस्य और प्रस्तावक को खींचकर अपहरण करने का प्रयास किया. (फोटो- समाजवादी पार्टी ट्विटर)
उत्तर प्रदेश जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों में समाजवादी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. सपा का कहना है कि गोरखपुर सहित कई जिलों में भाजपा ने उनके प्रत्याशियों का अपहरण करा लिया है, ताकि वे नामांकन न कर सकें और भाजपा प्रत्याशी निर्विरोध जीत जाएं. कुल 11 जिलों में सपा प्रत्याशी नामांकन नहीं भर सके. इनमें गोरखपुर, आगरा, झांसी, बलरामपुर वगैरह शामिल हैं. इसी बात को लेकर गोरखपुर में ख़ासा बवाल हुआ. यहां भाजपा ने अपने विधायक और पूर्व मंत्री फतेह बहादुर सिंह की पत्नी साधना सिंह को प्रत्याशी बनाया है. वहीं सपा से आलोक गुप्ता को टिकट मिला था. 26 जून को यहां नामांकन की तारीख़ थी. सुबह 11 से 3 बजे तक ही नामांकन होना था. भाजपा समर्थक बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट परिसर में मौजूद थे और इस बीच साधना सिंह का नामांकन हो भी गया. लेकिन गहमा-गहमी तब शुरू हुई, जब सपा प्रत्याशी आलोक गुप्ता नामांकन भरने नहीं आए और न ही उनका कुछ अता-पता चल रहा था. सपा नेताओं का उनसे संपर्क भी नहीं हो पा रहा था. ऐसे में आनन-फानन में सपा ने जितेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाकर नामांकन कराना चाहा. सपा जिलाध्यक्ष नगीना साहनी जब जितेंद्र यादव को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे तो भाजपा समर्थकों से कहासुनी शुरू हो गई. झड़प के बीच जितेंद्र यादव भी नामांकन नहीं कर सके.
अन्य जिलों में भी विवाद
अब सपा का आरोप है कि उनके घोषित प्रत्याशी आलोक गुप्ता का अपहरण कर लिया गया, जिसकी वजह से वो नहीं आए. और फिर दूसरे प्रत्याशी को भी नामांकन नहीं करने दिया गया. सपा ने प्रशासन और सत्ताधारी भाजपा पर गुंडई का आरोप लगाया है. सिर्फ गोरखपुर ही नहीं, तमाम अन्य जिलों में भी सपा ये आरोप लगा रही है कि भाजपा उनके प्रत्याशियों को नामांकन करने से रोक रही है. इनमें बलरामपुर भी शामिल है, जहां सपा ने किरन यादव को प्रत्याशी बनाया है. लेकिन वो भी 26 तारीख़ को नामांकन नहीं कर सकीं. इसके बाद जिले के सपा नेता और पूर्व मंत्री एसपी यादव ने भी भाजपा पर वही आरोप लगाया, जो गोरखपुर में लगा है. गाज़ियाबाद में सपा ने धौलाना से विधायक असलम चौधरी की पत्नी नसीम बेगम को उम्मीदवार बनाया है. लेकिन नामांकन के दिन उनके प्रस्तावक जितेंद्र को डरा-धमकाकर जिला मुख्यालय तक नहीं पहुंचने दिया गया. इसके बाद पार्टी ने रजनी खटिक को प्रस्तावक बनाया लेकिन सपा का आरोप है कि उन्हें भी नहीं पहुंचने दिया गया. वहीं बागपत में तो अलग ही कांड हो गया. नामांकन से ऐन वक्त पहले राष्ट्रीय लोक दल की प्रत्याशी ममता किशोर पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गईं. उनके भाजपा में आने के बाद बागपत से कोई RLD उम्मीदवार ही नहीं बचा. लेकिन भाजपा में जाने के चंद घंटे बाद ही ममता किशोर वापस RLD में आ गईं और फिर नामांकन दाखिल किया.
अखिलेश ने किया ट्वीट
बस्ती में तो सपा ने आरोप लगाया है कि पुलिस की मौजूदगी में उनके नेताओं का अपहरण करने का प्रयास किया गया. इसका वीडियो सपा ने अपने अकाउंट से ट्वीट किया. लिखा -
"बस्ती में ज़िला पंचायत अध्यक्ष नामांकन के दौरान पुलिस की उपस्थिति में भाजपा नेता की गुंडई! भाजपा प्रत्याशी संजय चौधरी ने सपा के ज़िला पंचायत सदस्य व प्रस्तावक को खींचकर अपहरण करने का किया प्रयास, घोर निंदनीय. दंभी सत्ता के अब दिन हैं बचे चार."
अखिलेश यादव ने भी वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा –
“गोरखपुर व अन्य जगह जिस तरह भाजपा सरकार ने पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को नामांकन करने से रोका है, वो हारी हुई भाजपा का चुनाव जीतने का नया प्रशासनिक हथकंडा है. भाजपा जितने पंचायत अध्यक्ष बनायेगी, जनता विधानसभा में उन्हें उतनी सीट भी नहीं देगी.”
इस बीच सपा ने शाम होते-होते सभी 11 जिलें, जहां उसके प्रत्याशी नामांकन नहीं कर सके, वहां के जिलाध्यक्षों को तत्काल प्रभाव से पदमुक्त कर दिया है. ये 11 जिले हैं- गोरखपुर, मुरादाबाद, झांसी, आगरा, गौतमबुद्धनगर, मऊ, बलरामपुर, श्रावस्ती, भदोही, गोंडा और ललितपुर.