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उज्जैन: बारात में नाचते-नाचते हुआ बेहोश, डीजे की आवाज ने ले ली युवक की जान!

डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर बताया कि लाल सिंह के दिल में खून का थक्का जमा हुआ था. अस्पताल के डॉक्टर जितेंद्र शर्मा ने बताया कि ‘डीजे के तेज म्यूजिक की वजह से ऐसा हुआ है.’

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लाल सिंह. दोनों फाइल फोटो- आजतक

बारात में नाचते हुए लड़ाई-झगड़ों या हादसों की खबरें तो आती रहती हैं. लेकिन इस दौरान बजने वाले म्यूजिक से किसी की जान चली जाए, ये बात सुनने में अजीब लगेगी. मध्यप्रदेश के उज्जैन (Ujjain) में ऐसा ही हुआ है. यहां बारात में बज रहे तेज म्यूजिक ने युवक की जान ले ली. डॉक्टर्स का कहना है कि उसे DJ की तेज आवाज के कारण उसे हार्ट अटैक आया था.

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तेज म्यूजिक की वजह से मौत

मामला उज्जैन के ताजपुर का है. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, अम्बोदिया डेम का रहने वाला 18 वर्षीय लाल सिंह अपने दोस्त की शादी में शामिल होने आया था. गुरुवार, 5 मई को बारात जब गांव से निकल रही थी, तो लाल सिंह अपने अन्य दोस्तों के साथ डीजे के पीछे नाच रहा था और मोबाइल से वीडियो भी रिकॉर्ड कर रहा था. तभी अचानक लाल सिंह बेहोश होकर गिर पड़ा. लोगों ने उसे नजदीकी अस्पताल पहुंचाया. लेकिन डॉक्टरों ने उसे उज्जैन रेफर कर दिया. वहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने लाल सिंह को मृत घोषित कर दिया.

लाल सिंह की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत की वजह तेज म्यूजिक बताया गया है. फोटो- आजतक

डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर बताया कि लाल सिंह के दिल में खून का थक्का जमा हुआ था. अस्पताल के डॉक्टर जितेंद्र शर्मा ने बताया कि ‘डीजे के तेज म्यूजिक की वजह से ऐसा हुआ है.’

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डॉक्टर ने आगे बताया कि डीजे या किसी दूसरे बड़े साउंड सिस्टम के तेज म्यूजिक से शरीर में असामान्य गतिविधियां होती हैं. इंसान एक तय डेसिबल (साउंड को मापने का पैमाना) तक ही साउंड बर्दाश्त कर सकता है. इस सीमा से अधिक साउंड शरीर के लिए हानिकारक होते हैं. जिसका असर दिल और दिमाग दोनों पर हो सकता है.

तेज आवाज से क्या नुकसान होते हैं?

अमेरिका का ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन डेफनेस एंड अदर कम्युनिकेशन डिसऑर्डर’ संस्थान बताता है कि इंसान के कान के लिए 70 डेसिबल तक की आवाज सामान्य है. यानी इतनी तेज आवाज से कोई नुकसान नहीं होगा. भारत के केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने इसकी सीमा 65 डेसिबल तय कर रखी है. इससे ऊपर की आवाज अलग-अलग पहलुओं के साथ मिलकर तरह-तरह के नुकसान पहुंचा सकती है. कोई कितनी देर तक और कितने पास से तेज आवाज सुन रहा है, आवाज किस फ्रीक्वेंसी की है, ये सब पहलू शामिल हैं.

180 डेसिबल से अधिक की आवाज मौत का कारण बन सकती है. फोटो- Pexels

तेज आवाज से होने वाले नुकसान की बात करें, तो इसके कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं. इनमें सुनने की क्षमता हमेशा के लिए खत्म होने का खतरा भी शामिल है. ज्यादा लंबे समय तक तेज आवाज सुनने से मानसिक समस्याएं हो सकती हैं. आदमी चिड़चिड़ा और हिंसक भी हो सकता है.

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कई रिसर्च बताते हैं कि 85 डेसिबल से अधिक का साउंड लगातार सुनने से बहरापन भी हो सकता है. एकाग्रता पर असर पड़ सकता है. ज्यादा तेज आवाज सुनने से उल्टी भी हो सकती है. नर्वस सिस्टम पर असर पड़ने से स्पर्श को महसूस करने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है. इससे ब्लड सर्कुलेशन स्पीड पर भी असर पड़ सकता है. लगातार शोर खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ा देता है. इससे दिल की बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है. इसके अलावा 120 डेसिबल से अधिक की आवाज प्रेगनेंट महिला के भ्रूण पर असर डाल सकती है. वहीं 180 डेसिबल से अधिक की आवाज मौत का कारण बन सकती है.

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