The Lallantop

झारखण्ड के स्कूल में शिक्षकों को बिना कारण निकला तो सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाया

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के स्कूल को फटकार लगाई क्योंकि शिक्षकों को बिना सही कारण बताए और बिना उन्हें अपनी सफाई का मौका दिए नौकरी से हटा दिया गया. कोर्ट ने आदेश दिया कि स्कूल को शिक्षकों का बकाया वेतन और एरियर चुकाना होगा.

Advertisement
post-main-image
Lady Justice

सुप्रीम कोर्ट में 16 अक्टूबर 2025 को एक सुनवाई चल रही थी. केस था झारखंड के एक स्कूल का- जहाँ कुछ शिक्षकों को निकाल दिया गया. अब निकालने की वजह बतायी गयी कुछ और लेकिन उनको जो शो-कॉज़ नोटिस दिया गया उसमें वजह दूसरी बतायी गयी. और इन सब के बाद- निकाले गए शिक्षकों को ये मौका तक नहीं दिया गया कि वो अपनी सफाई में कुछ कह ही सकें.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

ये मामला है झारखंड के एक स्कूल का. साल 2015 में कुछ शिक्षकों को अपॉइंट किया गया. लेकिन 2016 में ही उन्हें जॉब से निकाल भी दिया गया. अब आप जानते होंगे कि नौकरी से निकालने के पहले निकाले जा रहे व्यक्ति को शो-कॉज़ नोटिस भेजी जाती है. जब किसी पर आरोप लगे हों तो उससे उसका पक्ष जानने के लिए जो नोटिस भेजा जाता है उसे हम शो-कॉज़ नोटिस कहते हैं. अब इस शो-कॉज़ में साफ़-साफ़ कहा गया कि पद पर नियुक्त होने के लिए ग्रेजुएशन में 45% मार्क्स चाहिए होते हैं और उनके मार्क्स काम हैं. इसलिए उन्हें हटाया जा रहा है. लेकिन जितने टीचर्स थे उन्होंने इस इल्ज़ाम के खिलाफ ख़ुद को डिफेंड कर लिया. ये कहा कि अनुसूचित जाती से होने के नाते उन्हें कम से कम 40% चाहिए होते हैं, जो उनके पास हैं.  

इसके बाद उन्हें नौकरी से निकालने का एक दूसरा तरीका निकाल लिया गया.  स्कूल मैनेजमेंट ने उन्हें ये कह कर निकाल दिया कि उन्होंने परीक्षा की कॉपियां जांचने में कुछ गलती कर दी है. शिक्षकों को ये मौका तक नहीं दिया गया कि वो अपने पक्ष की बात सामने रख सकें. उन्हें सुना ही नहीं गया. 

Advertisement

निरस्त किये गए शिक्षकों ने पहले निचली अदालत का किवाड़ ठकठकाया. लेकिन निचली अदालत ने कह दिया कि स्कूल की कोई गलती नहीं है . इसके बाद शिक्षक पहुंचे सीधे सुप्रीम कोर्ट. 15 अक्टूबर को सुनवाई कर रहे थे जस्टिस दीपांकर दत्ता और के. विश्वनाथन. उन्होंने पूरे मामले को जांचने के बाद पाया कि बिना किसी बात के शिक्षकों को निकाल दिया गया है.  कोर्ट ने साफ़-साफ़ कहा कि एम्प्लॉयर किसी एम्प्लॉई को तभी हटा सकता है जब उसने शो-कॉज़ में कारण बताया हो जिसके बाद एम्प्लॉई या कर्मचारी को अपनी बात रखने का मौका भी मिला हो. कोर्ट ने माना कि शिक्षकों के साथ गलत हुआ और स्कूल की ऑथोरिटी से कहा कि वो शिक्षकों को साल 2015 से अभी तक का एरियर और बकाया वेतन जोड़ कर दें, उन्हें कम्पनसेट करें. 
 

वीडियो: अलाहाबाद हाई कोर्ट ने एसपी आरती सिंह को हिरासत में लेने का आदेश क्यों दिया?

Advertisement
Advertisement