The Lallantop

CJI गवई पर जूता फेंकने वाले शख़्स पर आपराधिक अवमानना का मुकदमा चलेगा

CJI बी.आर. गवई पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर पर अब आपराधिक अवमानना (क्रिमिनल कंटेम्प्ट) का केस चलेगा. अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी की मंज़ूरी के बाद सुप्रीम कोर्ट दिवाली वेकेशन के बाद इस केस की सुनवाई शुरू करेगा.

Advertisement
post-main-image
मुख्य न्यायाधीश बी.आर गवई

CJI बीआर गवई पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर फंस गए हैं. उनके खिलाफ क्रिमिनल कंटेम्प्ट यानी आपराधिक अवमानना का केस चलाने की मंज़ूरी मिल गई है. राकेश किशोर ने ही 7 अक्टूबर 2025 भारत के चीफ़ जस्टिस बीआर गवई के ऊपर भरे कोर्टरूम में जूता फेंका था.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

वकील राकेश किशोर पर अवमानना का मुकदमा करने के लिए पहली अपील दाखिल की सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने. और दूसरी अपील दाखिल की देश के सलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने.

15 अक्टूबर को ये अपील सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की बेंच के सामने पहुंची. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा- जब CJI गवई खुद नहीं चाहते कि इस मामले को बढ़ाया जाए तो ऐसा करना क्या ठीक रहेगा? और तो और उन्हें सोशल मीडिया पर इस बात के फिर से उठने से भी दिक्कत थी- कि इंसिडेंट के हफ्ते भर बाद फिर से सोशल मीडिया पर हर तरह की बातें लिखी-बोली जाएंगी. 

Advertisement
br gavai
CJI गवई और राकेश किशोर 

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा - क्रिमिनल कंटेम्प्ट लगाना निहायत ही ज़रूरी है क्योंकि जूता फेंकने वाले राकेश किशोर को किसी भी तरह का गिल्ट नहीं है, वो दर्जन भर इंटरव्यूज़ दे चुके हैं और सभी में अपनी करनी को वो जस्टिफाई करते रहे हैं. इसलिए ज़रूरी है कि सजा हो ताकि लोगों में मेसेज जाए कि इतने बड़े अपराध के बाद आप खुला नहीं घूम सकते हैं.

अब नियम कहते हैं कि किसी के भी खिलाफ अवमानना का मुकदमा चलाने के लिए देश के सबसे बड़े न्यायिक अधिकारी की सहमति चाहिए होती है. और सबसे बड़े न्यायिक अधिकारी हुए देश के अटर्नी जनरल. इस समय ये पद है आर वेंकटरमणी के पास. उन्होंने सहमति दे दी। और अब चल सकेगा मुकदमा. तो ये तय हो गया कि कोर्ट की दिवाली वेकेशन के बाद राकेश किशोर के खिलाफ केस की शुरुआत होगी.

क्रिमिनल कंटेम्प्ट यानी जब कोई अदालत या जज के खिलाफ बुरा बोले, उनका अपमान करे या उनके काम में दखल दे, काम करने से रोकने की कोशिश करे- तो उसे क्रिमिनल कंटेम्प्ट यानी अदालत की आपराधिक अवमानना कहते हैं. इसमें 6 महीने की जेल और 2000 रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है.

Advertisement

आपको ध्यान होगा कि 7 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर 1 में हुआ क्या था. घटना के वक्त कोर्टरूम में मौजूद वकील रविशंकर झा ने बीबीसी से कहा था - "घटना के बाद उन्होंने अपना हाथ उठाकर ये स्वीकार भी किया कि उन्होंने ही जूता फेंका है."

जब सुरक्षाकर्मियों ने राकेश किशोर को हिरासत में लिया, तो उन्होंने कहा कि सनातन का अपमान नहीं सहेंगे. CJI की माफी के बाद राकेश किशोर पुलिस हिरासत से छूट गए थे. उसके बाद दिए इंटरव्यू में राकेश किशोर ने कहा कि CJI गवई ने भगवान विष्णु का अपमान किया है.

भगवान् विष्णु के अपमान वाली बात का सन्दर्भ ये है कि सितम्बर 2025 में चीफ़ जस्टिस बी.आर गवई एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. याचिका में मांग की गई कि मध्य प्रदेश में मौजूद भगवान विष्णु की एक सात फीट की प्रतिमा की मरम्मत कराई जाए. इसे खारिज करते हुए CJI गवई ने जो कहा था, उसके बाद ही उनके ऊपर भगवान के अपमान के इल्जाम लगे.

ऐसे में जब राकेश किशोर ने हमला किया, तो भी CJI ने धैर्य रखा और पुलिस को कोई भी एक्शन लेने से मना कर दिया. और अब चलेगा क्रिमिनल कन्टेम्प्ट का मुकदमा.


 

वीडियो: सत्ता की सवारी: नाव से स्कूल तक जाती महिला टीचर्स क्या नीतीश कुमार की सरकार से खुश हैं?

Advertisement