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ट्रंप ने इज़रायली संसद में भी भारत-पाकिस्तान सीज़फायर का राग अलापा, विरोध भी झेलना पड़ा

Israel की संसद Knesset में Donald Trump भाषण दे रहे थे. तभी दो सांसदों- Ayman Odeh और Ofer Cassif ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया. इसकी वजह से ट्रंप को अपना भाषण रोकना पड़ गया.

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डॉनल्ड ट्रंप (बाएं) को इजरायल की संसद में विरोध का सामना करना पड़ा. (Reuters)

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने का राग अलापा. इस बार उन्होंने क्रेडिट लेने की जो जगह पकड़ी, वो है इजरायल की संसद 'नेसेट'. ट्रंप ने नेसेट में खुलकर दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच जंग रोकी. इस बीच, ट्रंप की स्पीच के दौरान हंगामा खड़ा हो गया. सोमवार, 13 अक्टूबर को लेफ्ट-विंग के दो इजरायली सांसदों-अयमान ओदेह और ओफर कासिफ ने ट्रंप के भाषण के बीच नारेबाजी शुरू कर दी.

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प्रदर्शनकारी सांसद अपनी कुर्सी से 'फिलिस्तीन को मान्यता दो' का नारा लगाते हुए कैमरे में कैद हुए. सुरक्षा अधिकारियों ने तुरंत उन्हें पकड़कर संसद से बाहर निकाल दिया. ट्रंप गाजा शांति समझौता और बंधकों की रिहाई पर इजरायली संसद को संबोधित कर रहे थे. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने यहां भी भारत-पाकिस्तान के बीच शांति कराने का राग छेड़ा.

उन्होंने कहा कि अमेरिका, भारत और पाकिस्तान समेत कई देशों में शांति के पुल बनाएगा. ट्रंप ने कहा,

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"हम तेल अवीव को दुबई से, हाइफा को बेरूत से, इजरायल को मिस्र से, सऊदी अरब को कतर से, भारत को पाकिस्तान से, तुर्की को जॉर्डन से, UAE को ओमान से और आर्मेनिया को अजरबैजान से जोड़ेंगे- एक और युद्ध, जिसे मैंने सुलझाया."

हालांकि, भारत ने हमेशा ट्रंप के दावे को नकारा है. भारत का कहना है कि भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष रोकने पर सहमति द्विपक्षीय थी. इसमें किसी तीसरे देश का कोई रोल नहीं था.

दूसरी तरफ, इजरायली संसद में विरोध करने वाले दोनों नेता विपक्षी खेमे के हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों नेता कब्जे वाले फिलिस्तीनी इलाकों पर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की नीतियों के बड़े आलोचक हैं. खासकर, गाजा में बड़े पैमाने पर सैन्य कार्रवाई के खिलाफ हैं, जिसमें 65,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. जबकि 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के हमले में 1,200 इजरायली लोगों की मौत हुई थी.

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अयमान ओदेह और ओफर कासिफ के विरोध की वजह से डॉनल्ड ट्रंप को अपना भाषण बीच में रोकना पड़ गया. नेसेट के स्पीकर अमीर ओहाना ने हंगामे के लिए ट्रंप से माफी मांगते हुए कहा,

"इसके लिए माफ करें मिस्टर प्रेसिडेंट."

सुरक्षाकर्मियों ने हंगामा काटने वाले सदस्यों को संसद से तुरंत बाहर निकाला तो ट्रंप ने कहा, "ये तो बहुत प्रभावी था." ये सुनकर अन्य सांसद हंस पड़े.

ट्रंप की इस बात पर इजरायली सांसद उनके सम्मान में खड़े हो गए और तालियां बजानी शुरू कर दीं. इस बीच ट्रंप ने बेंजामिन नेतन्याहू की तारीफ की. उन्होंने कहा कि गाजा सीजफायर डील करके नेतन्याहू ने बढ़िया काम किया है. ट्रंप ने इसे मिडिल ईस्ट के लिए बड़ा पल बताया.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 50 साल के अयमान ओदेह खुद को नास्तिक बताते हैं. हालांकि, उनका जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ था. ओदेह अरब-यहूदी हदाश पार्टी का नेतृत्व करते हैं जो जॉइंट लिस्ट पॉलिटिकल ग्रुप का हिस्सा है.

हदाश को इजरायल की कम्युनिस्ट पार्टी (माकी) और अन्य समान विचारधारा वाले ग्रुप्स का बना एक वामपंथी गठबंधन माना जाता है. अयमान ओदेह ने X पर लिखा,

“उन्होंने मुझे सिर्फ एक सिंपल सी मांग उठाने के लिए नेसेट (संसद) से बाहर निकाल दिया, जिस पर पूरा अंतरराष्ट्रीय समुदाय सहमत है:

फिलिस्तीन देश को मान्यता दो!

इस सिंपल हकीकत को पहचानो:

यहां दो लोग हैं, और कोई कहीं नहीं जा रहा है.”

ओफर कासिफ एक यहूदी हैं. उनकी उम्र 60 साल है और वे अप्रैल, 2019 से नेसेट में हदाश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. कासिफ ने बाद में कहा कि वे ना केवल अमेरिकी राष्ट्रपति के भाषण में रुकावट डालना चाहते थे, बल्कि इंसाफ की मांग भी करना चाहते थे. कासिफ ने X पर लिखा,

"फिलिस्तीन को मान्यता दो!

यह वही बैनर है जिसे मैंने नेसेट में ट्रंप के सामने लहराया था और बाद में प्लेनम से हटा दिया गया.

एक सच्ची इंसाफपरस्त शांति जो इस देश के दोनों लोगों को तकलीफ से बचाएगी, केवल कब्जे के पूरी तरह खात्मे और इजरायल के साथ-साथ एक फिलिस्तीनी देश की दुनिभार की मान्यता के साथ ही साकार हो सकती है."

गाजा पीस प्लान के तहत फिलिस्तीनी संगठन हमास ने सभी 20 इजरायली बंधकों को इजरायल को सौंप दिया है. बदले में इजरायल ने भी 1,900 से ज्यादा फिलिस्तीनी कैदियो और बंदियों को रिहाकर वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में भेज दिया.

वीडियो: नोबेल नहीं मिलने पर सोशल मीडिया पर ट्रंप की तगड़ी ट्रोलिंग हो गई

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