राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) यानी NCP(SP) ने INDIA गठबंधन को बड़ा झटका दिया है. पार्टी उस जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) का हिस्सा बनने जा रही है, जिसमें भाग लेने से कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों ने मना कर दिया है. हालांकि, NCP(SP) ने साफ किया है कि कमेटी का हिस्सा बनने का मतलब विपक्ष से नाता तोड़ना नहीं है. NCP(SP) सांसद सुप्रिया सुले ने ये भी कहा कि इसे लेकर कांग्रेस ने उनसे संपर्क नहीं किया है.
INDIA गठबंधन से अलग शरद पवार की चाल, सुप्रिया सुले बोलीं- 'कांग्रेस से बात नहीं हुई'
कांग्रेस के अलावा ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, अरविंद केजरीवाल की पार्टियां पहले ही घोषणा कर चुकी हैं कि सरकार के नए विधेयक के लिए बनी JPC का हिस्सा नहीं होंगी.


‘प्रधानमंत्री (PM), केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यों के मंत्री. अगर ये सभी गंभीर आपराधिक मामलों में 30 दिन तक गिरफ्तार रहे या हिरासत में लिए गए, तो उन्हें पद से हटा दिया जाएगा.’ ऐसा कानून बनाने के लिए सरकार जो प्रस्ताव लेकर आई, उस पर विचार के लिए एक जॉइंट कमेटी बनी है. इसी को लेकर NCP(SP) ने ये फैसला लिया है.
पुणे में पत्रकारों से बात करते हुए NCP(SP) की लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि उनकी पार्टी इन विधेयकों का विरोध करती है और संयुक्त संसदीय कमेटी (JPC) के समक्ष अपने विचार रखेगी. NCP(SP) की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया ने कहा,
मुझे (केंद्रीय मंत्री) किरेन रिजिजू का फोन आया और उन्होंने पूछा कि क्या हमारी पार्टी इस विधेयक पर जेपीसी का हिस्सा होगी. मैंने शरद पवार साहब से चर्चा की और सहमति जताई.
उन्होंने आगे कहा,
हम इन विधेयकों का विरोध करते हैं और कमेटी में अपने विचार रखेंगे. कांग्रेस ने हमसे संपर्क नहीं किया है और कमेटी का हिस्सा बनने या न बनने पर कोई चर्चा नहीं हुई है. कांग्रेस ने मुझसे, पवार साहब या हमारी पार्टी के किसी अन्य व्यक्ति से इन विधेयकों पर JPC से जुड़े होने के संबंध में संपर्क नहीं किया है. इसलिए (इस मुद्दे पर अन्य विपक्षी दलों के साथ) कोई मतभेद होने का सवाल ही नहीं उठता.
कांग्रेस से पहले, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (TMC), उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) और अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (AAP) ने पहले घोषणा की थी कि वो कमेटी का हिस्सा नहीं होंगे.
NCP(SP) का तर्क है कि शरद पवार हमेशा से कहते रहे हैं कि INDIA गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद, उन्हें मुद्दों पर स्वतंत्र राय रखने से नहीं रोका जा सकता. NCP(SP) नेताओं का कहना है कि पार्टी के पास खोने के लिए कुछ खास नहीं है. क्योंकि महाराष्ट्र चुनाव अभी दूर हैं. बल्कि, सख्त रुख अपनाने से पवार की नियंत्रण रखने वाले व्यक्ति की छवि और मजबूत होती है. एक NCP(SP) नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा,
सभी राष्ट्रीय मुद्दों का फैसला पवार साहब करते हैं. मुझे बस इतना पता है कि हमें डरने की कोई जरूरत नहीं है. क्योंकि हमारी पार्टी का कोई भी व्यक्ति (जेल जाने की कगार पर) नहीं है.
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हालिया संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए थे- केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक; संविधान (एक सौ तीसवां संशोधन) विधेयक; और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक.
इन विधेयकों का पूरे विपक्ष ने कड़ा विरोध किया. उनका दावा है कि ये असंवैधानिक हैं और विपक्षी पार्टियों की सरकारों को निशाना बनाने के इरादे से बनाए गए हैं. सदन ने इन विधेयकों को समीक्षा के लिए संसद की एक संयुक्त कमेटी के पास भेज दिया था.
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