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यूपी के नए DGP सुलखान सिंह के बारे ये सब गूगल पर नहीं मिलेगा

क्यों बुलाते हैं इस पुलिस अधिकारी के दोस्त उन्हें योगी ?

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सुलखान सिंह
सुलखान सिंह उत्तर प्रदेश के नए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) हैं. वे पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) के पद पर 10 अप्रैल 2015 से तैनात थे. अब देश के सबसे बड़े सूबे के DGP का पद संभाला है. इनसे पहले जावीद अहमद इस पद पर थे.  हालांकि सितंबर में ही सुलखान सिंह रिटायर होंगे, इन दोनों अफसरों समेत यूपी में 12 IPS अफसरों के तबादले किए गए हैं. जब कोई किसी बड़े पद पर तैनात होता है या फिर कामयाबी पाता है, या फिर किसी और वजह से चर्चा में आता है. तो उसके बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ जाती है. तो जान लीजिए कौन हैं सुलखान सिंह और क्या है उनके काम करने का तरीका. सुलखान सिंह बांदा जिले के रहने वाले हैं. उनका गांव है जौहरपुर. सुलखान सिंह के पिता और उनके भाई इसी गांव में रहते हैं. सुलखान सिंह चार भाइयों में सबसे बड़े हैं. सुलखान सिंह 1980 बैच के आईपीएस अफसर हैं. जो फ़िलहाल डीजी ट्रेनिंग के पद पर तैनात थे.
सुलखान सिंह गांव से ही पढ़ाई करके इस मक़ाम तक पहुंचे हैं. आठवीं तक गांव के स्कूल में पढ़ाई की. इसके बाद बांदा के एक इंटर कॉलेज से 12वीं की. और इसके बाद पहुंच गए रुड़की में इंजीनियरिंग करने. आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग के साथ लॉ की डिग्री भी ली. सुलखान सिंह का ताल्लुक एक साधारण परिवार से है.
1987 के आखिर में सुलखान सिंह आगरा के एसपी सिटी बने थे. कांग्रेस की सरकार थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उसी दौरान आगरा में कमला नगर की स्वीटी नाम की एक लड़की का दबदबा था. जिससे लोग परेशान थे. सुलखान सिंह ने अपना शिंकजा कसा और स्वीटी को गिरफ्तार कर लिया. उसकी गिरफ्तारी पर काफी राजनीतिक दबाव पड़ा, लेकिन एसपी सिटी रहे सुलखान सिंह ने किसी की नहीं चलने दी. आगरा में वो 1989 तक रहे. इस दौरान उनके काम से आगरावासी इस तरह खुश हुए कि जब उनका ट्रांसफर मेरठ कर दिया गया तो आगरा के लोग दुखी हुए. आगरा में उन्होंने क्राइम पर लगाम लगाने के लिए अपराधियों की धरपकड़ की थी. जब वो मेरठ गए तो उन्हें आगरा में कई चौराहों पर विदाई दी गई. साल 2007 में बसपा की सरकार बनी तो मायावती ने पुलिस भर्ती में हुए घोटाले की जांच उन्हें सौंपी. साथ ही एडीजी शैलजाकांत मिश्र को भी लगाया गया था. सुलखान सिंह भी इस जांच बोर्ड के सदस्य रहे थे. उन्होंने जिलों में बनाए गए कई भर्ती बोर्ड की जांच कर भर्तियों को निरस्त करने की सिफारिश शासन से की थी. सुलखान सिंह की 5 खास बातें 1) बेदाग करियर: इनके 36 साल के कार्यकाल में वे जहां-जहां गए, वहां सुलखान सिंह की ईमानदारी की कसीदें पढ़े गए हैं। इस पर खुद सुलखान कहते हैं,"ईमानदारी किसी के रास्ते का रोड़ा नहीं है. जो बेईमान है, परेशानी तो उसको उठानी पड़ती है. ईमानदार आदमी को कोई डिफेंस तैयार नहीं करना पड़ता. ये तो जो बेईमान है, उसको तैयारी की ज़रूरत पड़ती है। इसलिए ऑनेस्टी इज द बेस्ट पॉलिसी! 2) सादगी भरा जीवन: सुलखान सिंह साधारण परिवार से हैं. बांदा में इनका 3 कमरे का कच्चा मकान है. जहां उनके माता-पिता और भाई रहते हैं। आज भी लखनऊ में एलडीए के 3 कमरे के फ्लैट में रहते हैं सुलखान. वे कहते हैं, "मैं हर चार महीने में बांदा जाता हूँ। कभी कभी माता-पिता भी यहां आते हैं मगर उनको यहां लखनऊ में रहना ज़्यादा पसंद नहीं है। घर लोन पर लिया था जिसकी किश्त अभी भी चुका रहा हूं." 3) चुनौतियों के सामने अडिग: वाराणसी, अलाहाबाद या उन्नाव. जहां भी रहे, इनके काम को सराहा गया फिर चाहे 1984 मे वाराणसी का छात्र आंदोलन हो या फिर सूबे की समाजवादी सरकार से मिली उन्नाओ ट्रेनिंग सेंटर में तैनाती जिसे एक पनिशमेंट पोस्टिंग माना गया. यह पुलिस अधिकारी मानता है, "यह सच है कि 2012 में मुझे जब उन्नाव ट्रेनिंग सेंटर में ट्रांसफर किया गया तो मैं आहत हुआ। वहां डीआईजी लेवल का अफसर नियुक्त होता है और मैं पद के लिए सीनियर था. मैंने विरोध भी किया मगर मेरी सुनवाई नहीं हुई। पर ये मेरे लिए ईनाम था कि 3 साल में मैंने ट्रेनिंग सेंटर में ऐसा काम किया कि भारत सरकार की तरफ से मुझे एक्सलेंस इन ट्रेनिंग का मेडल मिला। 4) बचपन और रामचरित मानस: सुलखान सिंह के चार भाई हैं और उनके पिता एक किसान है। उनके पास महज 2.3 बीघा जमीन है। भाई और उनकी स्कूली शिक्षा भी बांदा में हुई. अपने बारे में बताते हुए वे यह भी कहते हैं," हमारे पिताजी की सिर्फ एक 2 साल की स्कूलिंग है । उनका पूरा ज्ञान रामायण और महाभारत का है। उन्हीं से सीखा हमने रामचरितमानस का पूरा पाठ। माता-पिता ने हमेशा मुझे प्रोत्साहिकत किया । पिताजी थोड़ा रोक-टोक करते थे मगर उनको विश्वास था और भगवान की कृपा से सब कुछ ठीक हुआ।" 5) दोस्तों का योगी: सुलखान सिंह की सिंपल स्टाइल के चलते उनके बैचमेट उनको योगी कहते हैं । कई ने उनको बांदा में सुबह उठकर योग करते भी देखा है, जिस पर सुलखान कहते हैं, " मुख्यमंत्री तो सन्यासी हैं. मेरी उनसे कोई तुलना नहीं है। ये सही है कि मैं योग करता हूँ. पुलिस ट्रेनिंग के सिलेबस में भी योगा को शामिल किया। मगर सिर्फ योगासन करने से हम योगी नहीं हो जाते। हमें अपना व्यवहार सुधारना चाहिए. व्यवहार सुधारने से सब कुछ सही हो जाएगा."

योगी सरकार में और किसको किस पद पर तैनात किया गया

डॉ. सूर्य कुमार को डीजी (अभियोजन) के पद से हटा दिया गया है. वे 1982 बैच के हैं. अब वे सिर्फ पुलिस भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष पर बने रहेंगे. 1986 बैच के आईपीएस अफसर जवाहर लाल त्रिपाठी को पुलिस महानिदेशक अभिसूचना मुख्यालय से हटाकर पुलिस महानिदेशक अभियोजन बनाया गया है. 1984 बैच के आईपीएस अफसर आलोक प्रसाद को पुलिस महानिदेशक, होमगार्डस के साथ-साथ पुलिस महानिदेशक, प्रशिक्षण मुख्यालय की ज़िम्मेदारी भी दी गई है. 1989 बैच के आईपीएस अफसर आदित्य मिश्र को एडीजी ई.ओ.डब्लू. और लॉजिस्टिक के पद से हटाकर एडीजी लॉ एंड ऑर्डर बनाया गया है. 1987 के बैच आईपीएस अफसर भवेश कुमार सिंह को एडीजी (सुरक्षा) के पद से हटाकर एडीजी (अभिसूचना) के पद पर तैनात किया गया है. 1988 बैच के अफसर विजय कुमार को एडीजी, एटीसी सीतापुर के पद से हटाकर एडीजी (सुरक्षा) के पद पर तैनात किया गया है. 1990 बैच के आईपीएस अफसर दलजीत सिंह चौधरी को एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के पद से हटाकर एडीजी ई.ओ.डब्लू. और लॉजिस्टिक बनाया गया है. 1993 बैच के आईपीएस अफसर संजय सिंघल को आईजी, डीजी ऑफिस के पद से हटाकर आईजी पीएसी मध्य जोन बनाया गया है. 1996 बैच के आईपीएस अफसर नवनीत सिकेरा को आईजी, पीएसी मध्य जोन के पद से हटाया गया है. अब वे आईजी वुमन पावर लाइन, लखनऊ बने रहेंगे.
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