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बीमार बच्चों की फोटो, बैकग्राउंड में इमोशनल सॉन्ग...ये सब देखकर अगर आप पैसे दान कर रहे हैं तो रुक जाइए!

Social Media Fraud: फ्राडिये घायल बच्चों की तस्वीरें शेयर करके लोगों से रिक्वेस्ट करते हैं कि वे उनके इलाज के लिए पैसे दान करें. इसके लिए वे घायल बच्चों की फोटो और वीडियो के ऊपर अपने ऑनलाइन अकांउट का QR स्कैनर भी शेयर करते हैं.

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सोशल मीडिया पर कई पेज फर्जी पैसे कमाने के लिए घायल बच्चों की तस्वीरों का सहारा लेते हैं (फोटो: Instagram)
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ज्योति द्विवेदी

“चीज़ों के गिरने के नियम होते हैं!  मनुष्यों के गिरने के कोई नियम नहीं होते.” हिंदी साहित्य के वरिष्ठ कवि ‘नरेश सक्सेना’ ने अपनी कविता में ठीक बात लिखी है. इंसानों के गिरने का कोई नियम नहीं होता. वो कितनी ही गहराई में गिर सकते हैं. मसलन उन लोगों की तरह जो सोशल मीडिया पर गिद्ध बनकर मंडराते रहते हैं. सिर्फ इस तलाश में कि कब उन्हें कोई घायल, लाचार और मौत से जूझते बच्चे की तस्वीर मिले और वे अपना गोरखधंधा शुरू करें. ये उनकी आय का जरिया जरूर हो सकता है. लेकिन किसी की बेबसी का फायदा उठाकर पैसे कमाना, उन्हें इंसानियत से कोसों दूर कर देता है. आज बात करेंगें कुछ ऐसे ही गिद्धों माने फ्राडियों की. 

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कैसे करते हैं फर्जीवाड़ा?

आजतक से जुड़े बालकृष्ण, सत्यम तिवारी और ज्योति द्विवेदी ने एक रिपोर्ट तैयार की है. जिसमें उन्होंने कई ऐसे फ्राडियों का खुलासा किया है. जो सोशल मीडिया पर घायल बच्चों की तस्वीरें शेयर करके लोगों से रिक्वेस्ट करते हैं कि वे उनके इलाज के लिए पैसे दान करें. इसके लिए वे घायल बच्चों की फोटो और वीडियो के ऊपर अपने ऑनलाइन अकांउट का QR स्कैनर भी शेयर करते हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर का रहने वाला ‘अतुल सिंह’ नाम का एक तथाकथित समाजसेवी भी यही हथकंडा अपनाता है. इसका खुलासा तब हुआ जब उसने गाजा की रहने वाली ‘रघद’ नाम की एक 5 साल की प्यारी-सी बच्ची की तस्वीर अपने अकाउंट से शेयर की. ये कहते हुए कि बच्ची को इलाज के लिए मदद की जरूरत है. लेकिन जब बच्ची की मां से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि मदद तो दूर, किसी ने भारत से संपर्क तक नहीं किया. उन्होंने बताया कि उनकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं है. उसके आंखों में कैंसर का ट्यूमर था. जिसकी जार्डन में इलाज के दौरान मौत हो गई. 

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गाजा की रहने वाली ‘रघद’ की इलाज के दौरान मौत हो गई (फोटो: इंडिया टुडे)

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गाजा के बच्चों का लेते हैं सहारा

रिपोर्ट के मुताबिक, जब अतुल से इस मामले में संपर्क किया गया तो उसने बात करने से इंकार दिया. इसके बाद उसके कई फर्जी अकाउंट्स के बारें में पता चला. जिससे वो लोगों से धनउगाही करता था. दरअसल, सोशल मीडिया पर ऐसे कई पेज फर्जी पैसे कमाने के लिए घायल बच्चों की तस्वीरों का सहारा लेते हैं. इसके लिए वे गाजा में युद्ध की तबाही से पीड़ित बच्चों की तस्वीरें इकट्ठा करते हैं और तस्वीरों-वीडियो के बैकग्राउंड में इमोशनल सॉन्ग लगाकर लोगों के इमोशंस का फायदा उठाते हैं.

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