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सदगुरु के ईशा फाउंडेशन से कोर्ट ने कहा, 'आध्यात्मिक संगठन कानून से ऊपर नहीं'

क्या नदी के नाम पर पैसे लेकर हज़ारों करोड़ रुपये का घोटाला किया सद्गुरु ने?

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सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन के कावेरी कॉलिंग परियोजना के खिलाफ दायर याचिका में कहा गया है कि ये परियोजना लगभग 10 हज़ार करोड़ रुपयों का घोटाला है.
ईशा फाउंडेशन. सद्गुरु जग्गी वासुदेव का संगठन. कुछेक सालों पहले पैसा जुटाने का कार्यक्रम शुरू किया. कावेरी कॉलिंग नाम से. कावेरी नदी के नाम पर. और अब कर्नाटक हाईकोर्ट ने लपेट दिया. हाईकोर्ट ने ईशा फाउंडेशन से कहा है कि माना आप आध्यात्मिक संगठन हैं, लेकिन आप अपने को कानून से ऊपर मत समझिए. कहां-कहां से, कितना और किन-किन रास्तों से पैसा आया, सबका हिसाब दीजिए. चीफ जस्टिस अभय ओका और जज हेमंत चन्दनगोदार की बेंच सुनवाई कर रही थी वकील एवी अमरनाथन द्वारा दायर की गयी याचिका की. उन्होंने फाउंडेशन से सवाल किया कि उन्होंने जनता से जमा किये गए पैसों का हिसाब क्यों नहीं दिया है. लाइव लॉ के मुताबिक, बेंच ने कहा,
"इस धोखे में मत रहिए कि आप एक आध्यात्मिक संगठन हैं, इसलिए आप क़ानून के दायरे से बाहर हैं."
जस्टिस ओका ने कहा,
"आप केंद्र या राज्य सरकार से पैसे कलेक्ट करने के लिए अधिकृत नहीं हैं. आप किसानों से किस अधिकार के तहत पैसे ले रहे हैं? आप तो एक रजिस्टर्ड सोसायटी भी नहीं हैं. आपका गठन किसने और किस कानून के तहत किया है."
अमरनाथन की याचिका में मांग रखी गयी थी कि फाउंडेशन को जनता से पैसे लेने पर रोका जाए. कावेरी कॉलिंग दरअसल कावेरी नदी के उद्धार की परियोजना है, जिसे जग्गी वासुदेव ने लॉन्च किया था. याचिका के मुताबिक़, इस परियोजना का आशय कावेरी के उद्गम तालकावेरी से लेकर तिरुवरूर तक के 639 किलोमीटर लम्बे तटबंध के किनारे 253 करोड़ वृक्ष लगाना है. ईशा फाउंडेशन एक वृक्ष के लिए 42 रुपए ले रहा है. ऐसे मिलाजुलाकर 10,626 करोड़ रूपए का चंदा जुटाया जा रहा है. याचिकाकर्ता ने कहा कि ये बहुत बड़े स्तर का घोटाला है. बेंच ने आगे कहा,
"अगर कोई पुनरुद्धार को लेकर जागृति फैला रहा है, तो ये बहुत अच्छी पहल है. लेकिन इसमें जनता से जबरदस्ती पैसे नहीं लिए जा सकते हैं."
कोर्ट ने कर्नाटक सरकार पर भी सवाल उठाये कि सरकार ने किसी जांच का आदेश क्यों नहीं दिया. इस पर सरकार ने कहा कि उन्हें इस तरह की कोई शिकायत नहीं मिली थी, और उन्होंने ईशा फाउंडेशन को पैसे कलेक्ट करने के लिए किसी तरह की अनुमति नहीं दी है. याचिका में ये भी कहा गया है कि कावेरी नदी के बेसिन का अध्ययन फाउंडेशन ने किया है, लेकिन उसने अपनी रिपोर्ट सरकार को नहीं सौंपी. फाउंडेशन सरकार की ज़मीन पर जनता से पैसे लेकर काम करने की योजना में है. इस पर सरकार ने सफाई दी है कि ईशा फाउंडेशन को सरकारी ज़मीन पर काम करने की कोई इजाज़त नहीं दी गयी है.
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