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'क्या वह आतंकवादी था?', पुलिस 'कस्टडी' में सिक्योरिटी गार्ड की मौत पर मद्रास हाईकोर्ट का सवाल

Tamil Nadu Temple Guard Death: मृतक अजीत कुमार के परिवार ने आरोप लगाया कि उसे हिरासत में प्रताड़ित किया गया. उसके छोटे भाई बी नवीनकुमार ने दावा किया कि पुलिस वाहन में ले जाते समय अजीत को बांधकर पीटा गया था.

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तमिलनाडु में मंदिर के गार्ड की मौत के बाद से बवाल मचा हुआ है. (फ़ोटो- इंडिया टुडे)

मदापुरम बद्राकालिअम्मन मंदिर के पार्किंग में चोरी हुई. पूछताछ के लिए तमिलनाडु पुलिस पहुंची. इस दौरान वो अपने साथ अस्थायी तौर पर सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर रहे 27 साल के अजीत कुमार को भी ले गई. फिर पूछताछ के बाद अजीत की मौत हो गई, जिसके बाद से तमिलनाडु की राजनीति में बड़ा विवाद खड़ा हो गया. विपक्षी नेताओं ने इस मामले में न्यायिक जांच, पुलिसकर्मियों की गिरफ़्तारी और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के इस्तीफ़े की मांग की है.

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वहीं, इसी मामले की सुनवाई करते हुए, मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस से पूछा- अजीत कुमार को पहले क्यों पकड़ा गया? क्या वो आतंकवादी था, जिसके साथ ऐसा व्यवहार किया गया? 

इसके अलावा, अजीत कुमार के परिवार वालों ने भी पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. पूरा मामला क्या है, सिलसिलेवार तरीक़े से जानते हैं.

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मामला क्या है?

अजीत कुमार तिरुप्पुवनम के पास मदापुरम बद्राकालिअम्मन मंदिर में अस्थायी गार्ड (Temporary Guard) के रूप में काम करते थे. उन्हें शनिवार, 28 जून को पुलिस की एक टीम ने हिरासत में ले लिया. ये टीम सोने के गहने चोरी की शिकायत की जांच कर रही थी.

ये शिकायत मदुरै की एक श्रद्धालु ने दर्ज कराई थी. श्रद्धालु ने आरोप लगाया कि मंदिर में दर्शन के दौरान उसकी कार में रखे 9 सोने के सिक्के (80 ग्राम से ज़्यादा) ग़ायब हो गए. उस दौरान अजीत कुमार कारों की पार्किंग में मदद कर रहे थे. श्रद्धालु ने दावा किया कि उसने कार की चाबी कुछ समय के लिए अजीत को ही दी थी.

जबकि इंडिया टुडे के इनपुट के मुताबिक़, अजीत ने कथित तौर पर कार को हटाने के लिए किसी अन्य व्यक्ति से मदद मांगी. क्योंकि उसे गाड़ी चलानी नहीं आती थी.

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परिवार का दावा

ऐसे में अजीत कुमार से पूछताछ की गई और उसे छोड़ दिया गया. बाद में आगे की पूछताछ के लिए उसे दोबारा ले जाया गया. पुलिस ने दावा किया कि दोबारा पूछताछ के दौरान, अजीत ने बेचैनी की शिकायत की थी. फिर उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. लेकिन मामला यहीं फंसा जाता है. 

इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, अजीत के परिवार ने आरोप लगाया कि उसे हिरासत में प्रताड़ित किया गया. उसके छोटे भाई बी नवीनकुमार ने दावा किया कि पुलिस उसे भी अपने साथ ले गई थी. इस दौरान उसे और अजीत को बांधकर पिटाई की गई थी. 

पुलिस ने क्या बताया?

इस घटना के बाद मनामदुरई सब-डिविजन से जुड़े छह पुलिसकर्मियों को तत्काल सस्पेंड कर दिया गया. SP आशीष रावत ने रविवार, 29 जून को इसकी जानकारी दी. दावा किया कि निष्पक्ष जांच होगी.

इस बीच, पुलिस अधिकारियों ने बताया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 196 (मृत्यु के कारण की मजिस्ट्रेट जांच) के तहत मामला दर्ज किया गया है. तिरुप्पुवनम के जुडीशियल मजिस्ट्रेट आर वेंकादेश प्रशांत मौत की जांच कर रहे हैं.

Madras High Court ने क्या बोला?

ये मामला मद्रास हाई कोर्ट में भी पहुंचा. AIADMK की कानूनी शाखा की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और सीवी कार्तिकेयन की पीठ ने कई तीखे सवाल उठाए. उन्होंने पूछा,

अजित कुमार को पहले क्यों पकड़ा गया? क्या वह आतंकवादी था, जिसके साथ ऐसा व्यवहार किया गया. उनके पास कोई हथियार न होने के बावजूद, उन पर हमला क्यों किया गया?

याचिका में कहा गया है कि पिछले चार सालों में राज्य में हिरासत में 24 मौतें हुई हैं. कोर्ट ने इन मौतों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है. चूंकि सरकारी वकील ने जवाब देने के लिए समय मांगा है. इसलिए मामले की सुनवाई को टाल दिया गया है.

राजनीतिक विवाद

जैसे ही मौत की ख़बर फैली, स्थानीय विधायक सेंथिलनाथन के नेतृत्व में AIADMK कार्यकर्ता और मदापुरम के निवासी सड़कों पर उतर आए. उनकी मांग थी कि अजीत के परिवार को शव लाने के लिए सरकारी वाहन दी जाए. बाद में, अधिकारियों ने गाड़ी की व्यवस्था की और मुआवजे का आश्वासन दिया. तब जाकर तनाव कम हुआ.

लेकिन, इस मुद्दे पर राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही.  AIADMK महासचिव और विपक्ष के नेता एडप्पादी के लगातार सरकार पर मुआवजे का दबाव बना रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि DMK सरकार पुलिस की ज्यादतियों पर लगाम लगाने में विफल रही है. BJP के प्रदेश अध्यक्ष नैनार नागेंथ्रन ने भी इसी तरह की चिंता जताई. उन्होंने आरोप लगाया कि अजीत को सात पुलिसकर्मियों ने दो दिनों तक पीटा.

एक और पार्टी PMK के अध्यक्ष अंबुमणि रामदास ने भी कई आरोप लगाए. उन्होंने DMK शासन के दौरान पिछले चार सालों में 28 कथित कस्टोडियल डेथ का हवाला दिया और मुख्यमंत्री स्टालिन पर निशाना साधा. अंबुमणि रामदास ने कहा- ‘अगर उनमें (स्टालिन में) ज़मीर है, तो उन्हें अब ख़ुद ही पद छोड़ देना चाहिए.’

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