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US-रूस का न्यूक्लियर संकट बढ़ा, ट्रंप के इस आदेश के बाद पुतिन ने INF Treaty से हाथ खींचे

अमेरिका 2019 में ही INF संधि से अलग हो गया था. तब America ने Russia पर इसका उल्लंघन करने का आरोप लगाया था. उस वक्त रूस ने कहा था कि जब तक अमेरिका ऐसी मिसाइलें तैनात नहीं करता, तब तक वो भी ऐसा नहीं करेगा.

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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (बाएं) और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन (दाएं). (फाइल फोटो: India Today)

अमेरिका और रूस के बीच तनाव एक बार फिर खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है. डॉनल्ड ट्रंप के आदेश के बाद दो परमाणु पनडुब्बियां रूस के नजदीकी इलाकों में तैनात की गईं. इसके जवाब में रूस ने 1987 में हुई परमाणु संधि (INF Treaty) से खुद को अलग कर लिया है.

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इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि उनका देश अब ऐसे परमाणु हथियारों (संधि में दर्ज परमाणु हथियार) की तैनाती पर खुद से लगाए गए प्रतिबंध से बंधा हुआ नहीं है. बयान में कहा गया,

"इस मामले पर हमारी बार-बार की चेतावनियों को नजरअंदाज किए जाने और यूरोप तथा एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की बनीं मध्यम और छोटी दूरी की ग्राउंड बेस्ड मिसाइलों की वास्तविक तैनाती की वजह से बदले हालात के मद्देनजर, रूसी विदेश मंत्रालय को यह घोषणा करनी पड़ रही है कि समान हथियारों की तैनाती पर एकतरफा रोक लगाने की कोई भी स्थिति अब मौजूद नहीं है, और हम आगे इस बात को कहने के लिए अधिकृत हैं कि रूसी संघ खुद को प्रतिबंधों से बंधा हुआ नहीं मानता है."

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रूस ने आरोप लगाया कि अब वो हालात नहीं रहे जिनमें रूस इस संधि का पालन करता. रूसी मंत्रालय का कहना है कि पश्चिमी देशों की गतिविधियां उसके देश की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा बन गई हैं.

रूस के पूर्व राष्ट्रपति और अभी की सुरक्षा परिषद के डिप्टी हेड दिमित्री मेदवेदेव ने नाटो देशों को इस हालात का जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने एक्स पर लिखा,

"रूस की तरफ से मध्यम और छोटी दूरी की मिसाइलों को तैनात ना करने का जो फैसला था, वो अब खत्म हो चुका है. इसके लिए नाटो की रूस-विरोधी नीतियां जिम्मेदार हैं. ये नई हकीकत है, जिससे अब हमारे सभी विरोधियों को निपटना होगा. आगे और कदम उठाए जाएंगे."

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डॉनल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते कहा था कि उन्होंने दो परमाणु पनडुब्बियों को 'सही जगहों' पर तैनात करने का आदेश दिया है. ये बयान मेदवेदेव की उस चेतावनी के बाद आया, जिसमें उन्होंने रूस और अमेरिका के बीच परमाणु युद्ध की आशंका जताई थी.

INF परमाणु संधि क्या है?

इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज (INF) संधि अमेरिका और सोवियत संघ (अब रूस) के बीच हुई थी, जिसमें 500 से 5,500 किलोमीटर दूरी तक मार करने वाली जमीनी मिसाइलों को हटाने पर सहमति बनी थी.

अमेरिका 2019 में ही INF संधि से अलग हो गया था. तब उसने रूस पर इसका उल्लंघन करने का आरोप लगाया था. उस वक्त रूस ने कहा था कि जब तक अमेरिका ऐसी मिसाइलें तैनात नहीं करता, तब तक वो भी ऐसा नहीं करेगा. लेकिन अब रूस का कहना है कि अमेरिका और नाटो की 'अस्थिर करने वाली गतिविधियों' की वजह से वो अब खुद को इस संधि से बंधा नहीं मानता.

वीडियो: खर्चा-पानी: भारत रूसी तेल से किनारा क्यों नहीं कर सकता?

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