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3 रुपये, 5 रुपये, सरकार ने किसानों को बर्बाद फसल के लिए ये मुआवजे दिए हैं

किसानों का गुस्सा फूटना ही था. आक्रोशित किसानों ने जिलाधिकारी कार्यालय जाकर सरकार को पैसे लौटा दिए. उनका कहना है कि अगर सरकार किसानों का सम्मान नहीं कर सकती, तो इस तरह “मदद के नाम पर अपमान” करना बंद करे.

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जिलाधिकारी को धनराशि लौटाने जाते किसान.

3 रुपये में अब एक रोटी नहीं मिलती, 5 रुपये में आज एक समोसा नहीं मिलता और 20 रुपये में बाज़ार में एक प्लेट खाना नहीं मिलता. लेकिन जिन किसानों की बदौलत पूरे देश को ये सब खाने को मिल रहा है, उन्हें मुआवजे के रूप में 3 रुपये, 5 रुपये ही दिए जा रहे हैं.

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महाराष्ट्र के अकोला में किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत मुआवजा दिया गया. बेमौसम बारिश से किसानों की फसल खराब हो गई थी. लेकिन मुआवजे के नाम पर किसानों को जो धनराशि दी गई वह 'ऊंट के मुंह में जीरे से भी कम' है. 

आजतक से जुड़े धनंजय साबले की रिपोर्ट के मुताबिक कई किसानों के खातों में 21 रुपये, कुछ के खातों में 8 रुपये और 5 रुपये और कुछ किसानों के खातों में तो सिर्फ 3 रुपये ही आए.

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जाहिर है, किसानों का गुस्सा फूटना ही था. आक्रोशित किसानों ने जिलाधिकारी कार्यालय जाकर सरकार को पैसे लौटा दिए. उनका कहना है कि अगर सरकार किसानों का सम्मान नहीं कर सकती, तो इस तरह “मदद के नाम पर अपमान” करना बंद करे.

किसानों ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम पर किसानों के साथ मज़ाक हो रहा है. वे उम्मीद कर रहे थे कि खराब मौसम और बेमौसम बारिश से हुए नुकसान की उचित भरपाई मिलेगी, लेकिन इतनी छोटी राशि देखकर उनके मन में गहरा धक्का लगा है. दिनोडा गांव के किसान आदित्य मुरकुटे ने कहा,

“अगर शासन सच में किसानों के साथ है, तो उन्हें जमीन पर उतरकर देखना चाहिए कि हमारी हालत क्या है. 3 और 5 रुपये की राशि देना हमारे जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है.”

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इस मामले पर कांग्रेस का भी बयान आया है. महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता कपिल ढोके ने भी राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा,

“यह सरकार केवल दिखावे की योजनाएं चला रही है. किसानों के खाते में कुछ रुपये भेजकर प्रचार करना किसानों के साथ विश्वासघात है.”

किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी वास्तविक नुकसान भरपाई नहीं की गई तो वे जिलास्तर पर आंदोलन शुरू करेंगे.

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