The Lallantop

क्यों हुआ हाथरस हादसा? व्यवस्था में क्या कमी रह गई थी? पूरा मामला जान लीजिए

Hathras Stampede: अत्यधिक भीड़, ना एंबुलेंस, ना मेडिकल टीम, ना बैरिकेडिंग और नाही इमरजेंसी रास्ता. इन कारणों से मारे गए 121 से ज्यादा लोग.

post-main-image
मरने वालों की संख्या 121 हो गई है. (तस्वीर साभार: PTI)

UP के हाथरस में हुए हादसे (Hathras Stampede) में 121 लोगों की मौत हो गई है. दर्जनों लोग अब भी घायल हैं. सिकंदरा राव तहसील के रतिभानपुर गांव में हुए इस हादसे के संबंध में एक FIR दर्ज हुई है. FIR में 'मुख्य सेवादार' देवप्रकाश मधुकर और कार्यक्रम के अन्य आयोजकों को आरोपी बनाया गया है. FIR में ‘बाबा’ का नाम नहीं है. हालांकि, समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए पुलिस उपाधीक्षक सुनील कुमार ने कहा है कि पुलिस बाबा की तलाश में है. फिलहाल वो फरार चल रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस धार्मिक समारोह में करीब 2.5 लाख लोग शामिल हुए थे. जबकि 80 हजार लोगों को ही इकट्ठा करने की अनुमति थी. इस आर्टिकल में इस हादसे के पीछे के कारणों को जानेंगे. उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने समाचार एजेंसी PTI को बताया है कि भगदड़ के पीछे ‘अधिक भीड़भाड़’ एक कारण थी. सिंह ने कहा कि आयोजकों ने 'सत्संग' आयोजित करने की अनुमति के लिए जो आवेदन दिया था, उसमें उपस्थित लोगों की संख्या 80,000 बताई गई थी. लेकिन वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा थी.

ये भी पढ़ें: "न्यूज देख रहा था, तभी टीवी पर मां की तस्वीर.." हाथरस हादसे के पीड़ितों और चश्मदीदों का दर्द सामने आया

एंट्री और एग्जिट पॉइंट में गड़बड़ी

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, जैसे ही आयोजन समाप्त हुआ, लोग ‘बाबा’ की कार के पीछे उनके पैर छूने के लिए दौड़ पड़े. तभी लोग फिसलकर एक-दूसरे पर गिरने लगे. 80 हजार लोगों को इकट्ठा करने के लिए कई सारी व्यवस्थाएं करनी होती है. जिससे कि इस तरह के हादसों से बचा जा सके. नियम के अनुसार, मार्क करके एग्जिट और एंट्री पॉइंट बनाया जाता है. यानी कि अंदर आने और बाहर जाने के रास्ते का स्पष्ट पता चले. इंडिया टुडे से जुड़े हिमांशु मिश्रा की रिपोर्ट के अनुसार, मौके पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी.

इमरजेंसी रास्ता नहीं बनाया गया

ऐसे ही मौकों से सुरक्षित निकलने के लिए कोई इमरजेंसी रास्ता नहीं बनाया गया था. और 80 हजार की भीड़ के हिसाब से मेडिकल टीम की भी उचित व्यवस्था नहीं थी. हालांकि, अभी इस बात की जांच की जा रही है कि वहां मेडिकल की व्यवस्था थी भी या नहीं. यहां कम-से-कम 5 एंबुलेंस की व्यवस्था होनी चाहिए थी. इसकी भी व्यवस्था नहीं थी. 

आयोजन के समय भीषण गर्मी थी. लेकिन भीड़ के हिसाब से कूलर और पंखे नहीं लगे थे और वालंटियर्स की संख्या भी कम थी. चश्मदीदों ने भी बताया कि यहां प्रशासन की तरफ से पुलिसकर्मी भी कम संख्या में लगाए गए थे. साथ ही जिस रास्ते से ‘बाबा’ का काफिला गुजरा उस पर कोई बैरिकेडिंग नहीं था.

आयोजन के लिए पूरे मैदान को कम-से-कम 10 एकड़ जमीन को समतल करना था. जो नहीं किया गया. मैदान के चारों तरफ आने-जाने के रास्ते बनने थे. वो भी नहीं बनाए गए, बस छोटा-सा कच्चा रास्ता बना था. परमिशन लेने के लिए दिए गए आवेदन में और परमिशन देने के दौरान प्रशासन के स्तर पर लापरवाही की बात सामने आई है.

‘बाबा’ के लिए सारी व्यवस्था थी

रिपोर्ट्स के मुताबिक, लोगों के लिए भले ही व्यवस्था में बड़ी लापरवाही थी. लेकिन बाबा की सुरक्षा से लेकर उनके आने-जाने तक की दुरूस्त व्यवस्था की गई थी. उनके आने-जाने के लिए अलग रास्ता बनाया गया था. सुरक्षा में पर्याप्त संख्या में उनके लोग लगे थे. 

वीडियो: हाथरस हादसा: सिपाही की हार्ट अटैक से मौत, अस्पताल में शवों की कर रहे थे देखरेख