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क्या आनंदपाल सिंह का एनकाउंटर फर्जी था?

ये चार सवाल जिनका जवाब पुलिस के पास नहीं है.

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फोटो - thelallantop
22 नवंबर 2005, आंध्र प्रदेश रोडवेज की एक बस हैदराबाद से सांगली (महाराष्ट्र) की तरफ बढ़ रही थी. बस को सांगली से कुछ दूर पहले रोका गया और लोग अंधेरे में बस की हर सीट को देख रहे थे. बस में बैठा एक जोड़ा समझ गया कि उसका खेल खत्म हो गया है. उस जोड़े को बस से उतार लिया गया.
26 नवंबर 2006, सुबह करीब 3.30 और 4 के बीच का समय था. अहमदाबाद के विशाला सर्किल के पास के टोल प्लाजा पर उस समय लगभग शांति होती है. अचानक से यहां पर कई लोग एक-एक करके पहुंचने लगे. गुजरात पुलिस के एटीएस चीफ डीजी वंजारा राजस्थान पुलिस के उदयपुर एसपी दिनेश एमएन, राजस्थान पुलिस के दो कांस्टेबल और गुजरात पुलिस के कुछ अधिकारी और जवान. वंजारा ने गुजरात पुलिस के कॉन्स्टेबल अजय परमार को निर्देश दिया कि एटीएस दफ्तर के पीछे खड़ी हीरो हौंडा मोटरसाइकिल मौके पर लाई जाए. ऐसा ही हुआ.
दिनेश एमएन
दिनेश एमएन

दिनेश एमएन ने राजस्थान पुलिस के कॉन्स्टेबल श्याम सिंह की तरफ देखा. श्याम आंखों का इशारा समझ गए. वो बाइक पर सवार हो गए. लगभग तीस की स्पीड में वो एक कुशल खिलाड़ी की तरह बाइक से कूद गए. बाइक आगे जा कर डिवाइडर से भिड़ गई. इस बीच पीछे से आ रही कार को लगभग 60 की स्पीड तक पहुंचाया गया और अचानक से दरवाजा खोल कर एक आदमी को उसमें से बाहर फेंक दिया गया.
हालांकि आदमी चोटिल था लेकिन अभी उसमें जान बाकी थी. उसी कार से उतरे गुजरात पुलिस के चार पुलिस इंस्पेक्टर उतरे. चारों ने एक के बाद एक अपने सर्विस रिवाल्वर से आठ गोली उस शख्स के शरीर में दाग दी. यह फर्जी एनकाउंटर बाद में सोहराबुद्दीन केस नाम से लंबे समय तक मीडिया की सुर्ख़ियों में रहा.
24 अप्रैल 2007. दो साल तक चली लंबी तफ्तीश के बाद डी.जी.वंजारा, राजकुमार पंड्या और दिनेश एमएन को गिरफ्तार किया गया. दिनेश सात साल तक इस केस में जेल में रहे. 7 मई 2014 को उन्हें इस मामले में जमानत पर रिहा कर दिया गया. जब वो उदयपुर पहुंचे तो वहां फूलों से उनका स्वागत किया गया. राज्य सरकार भी उनके स्वागत के लिए बेताब थी. एक जमानतयाफ्ता अफसर को प्रमोट करके आईजी एंटी करप्शन ब्यूरो बनाया गया. यहां उन्होंने एडीएम (एडिशनल डायरेक्टर माइनिंग) को ढाई करोड़ रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था. एक बार फिर से दिनेश अख़बारों की सुर्ख़ियों में आ गए.
इधर आनंदपाल के पेशी के दौरान फरार होने के मामले में राज्य सरकार लगातार घिरती जा रही थी. दिनेश एमएन इस किस्म के अपराधों ने निपटने में माहिर माने जाते हैं. 2016 में उनकी तैनाती स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) में हो गई. अब आनंदपाल के एनकाउंटर का पूरा ऑपरेशन उन्ही के दिशा-निर्देश में हुआ है. हालांकि पिछले विवादों के चलते उन्होंने खुद को मौका-ए-वारदात से दूर रखा. लेकिन एनकाउंटर की अगली सुबह ही इस एनकाउंटर के फर्जी होने की बात उठने लगी.
घर वालों का लाश लेने से इंकार
राजपूत समाज इस एनकाउंटर के चलते काफी गुस्से में है. आनंदपाल सिंह के गांव संवाराद में कल से ही लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है. आप इस एनकाउंटर का राजनीतिक दवाब इस बात से समझ सकते हैं कि राज्य के गृह मंत्री को कहना पड़ रहा है कि उन्हें इस एनकाउंटर की सूचना मुख्यमंत्री के जरिए मिली. गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर केस में आरोपी रहे हैं. हालांकि उन्हें इस मामले में कोर्ट ने निर्दोष पाया है. वहीं विवादित अफसर दिनेश एमएन का कहना है कि उनको इस बात की जानकारी नहीं थी कि मुठभेड़ आनंदपाल के साथ चल रही है. दिनेश का यह बयान पुलिस की एनकाउंटर की कहानी को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर देता है.
आनंदपाल की मां को ढांढस बंधाते करणी सेना के सुखदेव गोगामेड़ी
आनंदपाल की मां को ढांढस बंधाते करणी सेना के सुखदेव गोगामेड़ी

इधर आनंदपाल की मां इस मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर धरने पर बैठ गई हैं. उन्होंने आनंदपाल का शव लेने से इंकार कर दिया है. आप इस केस से जुड़ी राजनीतिक उलटबासी को इस तरह समझ सकते हैं कि कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और प्रदेश सचिव चेतन डूडी ने पुलिस को इस कामयाबी के लिए बधाई दी है. वहीं कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे रणवीर सिंह गुढ़ा इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए आनंद पाल के गांव सांवराद में प्रदर्शन कर रहे हैं.
क्या है पुलिस की कहानी
डीजीपी मनोज भट्ट और चूरू एसपी राहुल बारेठ ने जो घटना के जो ब्यौरे पेश किए हैं वो आपस में कई जगहों पर मेल नहीं खाते हैं. बहरहाल मोटे-मोटे तौर पर इस एनकाउंटर का पुलिस वर्जन कुछ इस तरह से समझा जा सकता है-
सिरसा में पकड़े गए आनंदपाल के भाई विक्की और उसके साथी गट्टू से पुलिस को जानकारी मिली कि आनंदपाल चूरू के मौलासर के खेत में बने श्रवण सिंह के एक मकान में रह रहा है. यह पता लगते ही करीब 150 पुलिस और कमाडों के साथ चुरू पहुंची. पुलिस ने मौलासर गांव को पूरी तरह घेर लिया. खुद को घिरता देख आनंदपाल ने औरतों को आगे कर हो हल्ला मचाना शुरू कर दिया.
आनंदपाल ने मकान के पिछले दरवाजे की तरफ से जाकर एके-47 से गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पुलिस के पास पहले से ही जानकारी थी कि उसके पास 400 राउंड गोलियां हैं. आनंदपाल ने करीब 100 राउंड गोलियां चलाई और खिड़की से भागने की कोशिश करने लगा. लेकिन छत से पुलिस मकान में घुस गई और पीछे से आनंदपाल पर 6 गोलियां दाग दी.
वहीं घटना में घायल हुए जवान सोहन सिंह का ब्यौरा थोड़ा अलग है. सोहन के मुताबिक आनंदपाल घर की छत से गोलियां चला रहा था. इस दौरान कवर लेकर सोहन, कैलास चंद्र,एसपी राहुल बारेठ और इंस्पेक्टर सूर्यवीर सिंह राठौड़ घर में घुस गए. यहां मौजूद घर की औरतों ने पुलिस का विरोध किया. औरतों को धकेल कर एक कमरे में बंद किया गया. घर के भीतर से एक शीशा ला कर सीढ़ियों के घुमाव पर रखा गया. इससे आनंदपाल की लोकेशन पकड़ने में आसानी हो गई. फायरिंग के दौरान सोहन की कमर के दाएं हिस्से में गोली लग गई. उन्होंने आठ सैकेंड में 30 फायर चलाए. उसमें से पहली गोली आनंदपाल के सिर में लगी. इसके बाद वो बेसुध हो गया. उसके शरीर में 6 गोली लगी हुई थीं.
सरेंडर करना चाहता था
एनकाउंटर के तुरंत बाद पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. आनंदपाल के वकील एपी सिंह के मुताबिक आनंदपाल सिंह काफी पहले ही सरेंडर करना चाहता था. इसके लिए उसने पांच मांगे भी रखी थीं. जिसमें सभी केसों को एक जगह क्लब करने, उदयपुर जेल में रखे जाने, वीडियो कॉन्फ्रेंस से पेशी करवाने जैसी मांगे रखी थी. इस बाबत गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया से बात हुई लेकिन बात बन नहीं पाई. एपी सिंह इसे राजनीतिक एनकाउंटर बता रहे हैं.
एपी सिंह के दावे में कितनी सच्चाई है यह तो वक़्त ही बताएगा लेकिन पुलिस की कहानी कुछ सवाल छोड़ जाती है-
1 सोहन सिंह का दावा है कि आईना देख कर उन्हें आनंदपाल की लोकेशन का पता लगा. एनकाउंटर रात के वक़्त हो रहा था और यह अमावस की रात थी. ऐसे में शीशे की मदद से देख पाना कितना आसान हो सकता है?
2 आनंदपाल के पास एके 47 के चार सौ जिंदा कारतूस बरामद हुए. इसके अलावा दो एके 47 रायफल, एक .22 रायफल मिली है. पुलिस का दावा है कि आनंदपाल ने लगभग 100 राउंड फायर किए थे. ऐसे में सवाल यह है कि महज दो गोली ही पुलिस वालों को कैसे लगी.
3 सोहन सिंह का दावा है कि उन्होंने आनंदपाल के सिर में सामने से गोली मारी थी तो उसके पीठ पर गोली एनकाउंटर पर सवाल खड़ा करती है.
4 एपी सिंह का दावा है कि आनंदपाल को हरियाणा से पकड़ कर लाया गया था. चूरू में मैनेज करके इस फर्जी एनकाउंटर को अंजाम दिया गया.


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