आयरलैंड (Ireland) में लड़कों के एक समूह ने भारतीय मूल की एक छह साल की बच्ची पर हमला किया और चिल्लाते हुए कहा, ‘भारत वापस जाओ.’ घटना वाटरफोर्ड में बच्ची के घर के बाहर हुई. हमलावरों ने बच्ची के प्राइवेट पार्ट्स पर साइकिल के पहिए से वार किया. आयरलैंड में भारतीय मूल की किसी बच्ची पर इस तरह का ये पहला नस्लवादी हमला है. हालांकि, वहां पहले भी कई भारतीयों पर हमले हो चुके हैं. लेकिन उनमें इस तरह का उकसावा नहीं देखा गया.
'भारत वापस जाओ' आयरलैंड में 6 साल की बच्ची के प्राइवेट पार्ट्स पर साइकिल के पहिए से हमला
Ireland में भारतीय मूल की एक छह साल की बच्ची के प्राइवेट पार्ट्स पर वार किया गया. पीड़िता की मां ने कहा है कि वो अब वहां सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं. हमला करने वाले 12 से 14 साल के बच्चे थे. मां ने कहा कि वो हमलावरों के लिए सजा नहीं चाहती हैं. बल्कि वो चाहती हैं कि उनकी काउंसलिंग कराई जाए.

4 अगस्त की शाम को पीड़िता अपने दोस्तों के साथ घर के बाहर खेल रही थी. बच्ची की मां के अनुसार, वहां एक ग्रुप आया जिसमें आठ साल की एक लड़की थी और 12 से 14 साल के कई लड़के थे. मां अपनी बेटी को दूसरे बच्चों के साथ खेलते हुए देख रही थी. तभी उनका 10 महीने का छोटा बेटा रोने लगा और फिर उसे दूध पिलाने के लिए उनको घर के भीतर जाना पड़ा.
बच्ची की मां ने डबलिन स्थित समाचार आउटलेट द आयरिश मिरर को बताया,
'गर्दन पर घूंसे मारे और बाल खींचे'मैंने बच्ची से कहा कि मैं बेटे को दूध पिलाने के बाद वापस आ जाऊंगी. लेकिन बच्ची लगभग एक मिनट बाद परेशान होकर घर वापस आ गई. वो बहुत परेशान थी, रो रही थी. बोल भी नहीं पा रही थी, वो बहुत डरी हुई थी.
पीड़ित बच्ची की एक सहेली ने उसकी मां को बताया कि उनसे बड़ी उम्र के लड़कों के एक ग्रुप ने उसके प्राइवेट पार्ट्स पर साइकिल से वार किया और उनमें से पांच ने उसके चेहरे पर मुक्के मारे. बच्ची की मां आठ साल से आयरलैंड में रह रही हैं. वो नर्स का काम करती हैं और हाल ही में आयरिश नागरिक बनी हैं. उन्होंने कहा,
बच्ची की दोस्त ने मुझे बताया कि उनमें से पांच ने उसके चेहरे पर घूंसे मारे. उनमें से एक लड़के ने साइकिल का पहिया उसके प्राइवेट पार्ट्स पर दे मारा, जिससे उसे बहुत दर्द हुआ. उन्होंने 'एफ' शब्द कहा और कहा, ‘गंदे भारतीय, भारत वापस जाओ.’ उसने मुझे बताया कि उन्होंने उसकी गर्दन पर घूंसे मारे और उसके बाल खींचे.
मां ने बताया कि हमले के बाद उनकी बेटी बिस्तर पर रोती रही और अब वो बाहर खेलने से भी डर रही है. उन्होंने कहा,
हम अब यहां सुरक्षित महसूस नहीं करते, यहां तक कि अपने घर के साथ भी नहीं. ऐसा नहीं लगता कि वो बिना किसी डर के खेल सकती है. मुझे उसके लिए बहुत दुख है. मैं उसकी रक्षा नहीं कर सकी. मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसी घटना घटेगी. मुझे लगा था कि वो यहां सुरक्षित रहेगी.
बाद में उन्होंने हमले में शामिल लड़कों के समूह को देखा. उन्होंने बताया,
मैंने बाद में उस ग्रुप को देखा. वो मुझे घूर रहे थे और हंस रहे थे. लड़के शायद 12 या 14 साल के थे, और घटना के बाद भी यहां घूम रहे थे.
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'हमलावरों को सजा न दी जाए'उन्होंने हमला करने वाले लड़कों की जानकारी पुलिस को दे दी है. लेकिन वो उनके लिए कोई सजा नहीं चाहती हैं. बल्कि वो चाहती हैं कि उन्हें काउंसलिंग और उचित मार्गदर्शन दिया जाए.
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