नवभारत टाइम्स के मुताबिक, तलाशी अभियान का हिस्सा रह जेल वॉर्डन ने बताया कि उसने देखा कि एक कैदी कुछ छिपाने की कोशिश कर रहा है. इसपर उसे शक हुआ कि कहीं इस कैदी के पास मोबाइल तो नहीं. लेकिन जब तक वह उस कैदी के पास पहुंचकर उसके हाथ से मोबाइल फोन जब्त कर पाता, तब तक कैदी ने मोबाइल फोन को उसके सामने ही निगल गया. इसे देख कर न केवल दूसरे कैदी बल्कि जेल कर्मचारी भी सन्न रह गए. जेल अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक कैदी ने जिस फोन को सटका है, उसका साइज़ छोटा है और यह एक बटन वाला फोन है. फोन सटकने के तुरंत बाद कैदी को परेशानी शुरू हो गई. पहले उसे जेल के हॉस्पिटल में ही डॉक्टर को दिखाया गया. लेकिन हालत बिगढ़ती देख कैदी को तुरंत GB पंत अस्पताल भेजा गया.

एक्स-रे में दिखी कैदी के पेट में मोबाईल की तस्वीर (साभार: आज तक)
GB पंत में कैदी का एक्सरे किया गया. एक्सरे में डॉक्टरों को पता चला कि फोन कैदी के पेट के अंदर है. पहले डॉक्टरों ने कोशिश की कि बिना ऑपरेशन के ही फोन निकाल लिया जाए. लेकिन जब इसमें सफलता हासिल नहीं हुई तो 15 जनवरी को ऑपरेशन कर फोन को कैदी के पेट से बाहर निकाल लिया गया. फिलहाल कैदी की हालत ठीक है. जेल अधिकारियों के मुताबिक, इस बात की जांच की जा रही है कि कैदी के पास फोन कहां से आया? सेल ब्लॉकिंग टावर के बावजूद मोबाइल चला रहे कैदी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जबसे तिहाड़ जेल में कॉल ब्लॉकिंग टॉवर लगे हैं, तब से कुछ कैदी बड़े साइज के स्मार्ट फोन नहीं इस्तेमाल कर रहे बल्कि इनकी जगह छोटे साइज के एनालॉग फोन इस्तेमाल कर रहे हैं. मतलब बटन वाले. फिलहाल यह जांच का विषय है कि क्या इन बटनदार मोबाइल फोनों को जेल के अंदर भी नेटवर्क मिल पा रहा है? वहीं जेल अधिकारियों का कहना है कि समय-समय पर चेकिंग के दौरान जेलों में कैदियों से मोबाइल फोन बरामद हो रहे हैं. केवल नए साल पर ही रोहिणी जेल में जांच के दौरान 50 मोबाइल फोन बरामद किए गए.