साल 2010 की बात है. ऑस्कर अवॉर्ड्स में बेस्ट एनिमेटेड मूवी का खिताब मिला डायरेक्टर Pete Docter की मूवी Up को. मूवी में लव-स्टोरी के अलावा एक और मजेदार चीज थी. फिल्म के विलेन Charles Muntz ने कुत्तों की फौज रखी थी. इन कुत्तों के गले में एक कॉलर था जिससे वो जो भी बोलते, वो इंसानों की भाषा में कन्वर्ट होकर सुनाई देता. तब ऐसा लगा था कि ये बस मूवी में ही संभव है. लेकिन चीन ने इसे सच कर दिखाया है.
चीन ने मधुमक्खियों के दिमाग में छेद कर डिवाइस लगाया, फिर जो मन किया करवाया
चीन की राजधानी बीजिंग में एक संस्थान है- बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी. यहां के प्रोफेसर झाओ जीलियांग की टीम ने कीड़ों के लिए ब्रेन कंट्रोलर बनाया है. खास बात यह है कि इस कंट्रोलर का वजन महज 74 मिलीग्राम है. माने पानी की एक बूंद या बालू के कुछ कणों के बराबर.

खबर आई है कि चीन ने मधुमक्खियों (Cyborg Bees) के लिए एक ब्रेन कंट्रोलर (China Brain Controller) बनाया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे भूकंप प्रभावित इलाकों में मलबे में दबे लोगों को ढूंढ़ने में मदद मिलेगी. लेकिन ये चीन है. हर उस चीज का मिलिट्री (Chinese Army) इस्तेमाल करेगा जो इस धरती पर संभव है. तो जानते हैं क्या है चीन का नया कारनामा?

चीन की राजधानी बीजिंग में एक संस्थान है- बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी. यहां के प्रोफेसर झाओ जीलियांग (Zhao Jieliang) की टीम ने कीड़ों के लिए ब्रेन कंट्रोलर (Insect Brain Controller) बनाया है. खास बात यह है कि इस कंट्रोलर का वजन महज 74 मिलीग्राम है. माने पानी की एक बूंद या बालू के कुछ कणों के बराबर.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक इस डिवाइस को मधुमक्खी के पिछले हिस्से पर माउंट किया या लगाया जाता है. डिवाइस में तीन सुइयां हैं जो सीधे मधुमक्खी के दिमाग में छेद कर फिट की जाती हैं. मधुमक्खी को इलेक्ट्रॉनिक तरंगों के जरिए कमांड मिलता है जिससे वो आगे-पीछे, दाएं-बाएं, धीरे या तेज उड़ सकती हैं. झाओ की टीम ने बताया कि टेस्टिंग के दौरान 10 में से 9 मधुमक्खियों ने ऑर्डर माना.
मिलिट्री में इस्तेमालचीन अपने अलबेले प्रयोगों के लिए मशहूर है. कुछ ही समय पहले उसने मच्छर के साइज का ड्रोन बनाया है जिसका इस्तेमाल वहां की फौज करेगी. ऐसे में संभव है कि इस तरह के ब्रेन कंट्रोलर से लैस मधुमक्खी का भी सैनिक इस्तेमाल हो. मधुमक्खियां अपने वजन का 80 प्रतिशत तक वजन उठा सकती हैं. उड़ने के दौरान वो अपने अगले पैरों को मोड़ लेती हैं. एकदम किसी विमान के लैंडिंग गियर की तरह. इससे उन्हें हवा के प्रेशर को काटने में मदद मिलती है. साथ ही ये लगभग 5 किलोमीटर तक बिना रुके उड़ सकती हैं. इसलिए इन्हें अगर कमांड दिया जाए तो ये काफी दूर तक, बिना किसी को नजर आए पहुंच कर अपना मिशन पूरा कर सकती हैं.
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इससे पहले, सबसे हल्का साइबॉर्ग कंट्रोलर सिंगापुर में दिखा था. लेकिन उसका वजन चीन के कंट्रोलर से लगभग तीन गुना ज्यादा था. यह बीटल्स और कॉकरोट को कंट्रोल कर सकता था. लेकिन वे कम दूरी पर धीमी गति से रेंगते थे और जल्दी थक भी जाते थे. चीन में कंट्रोलर का ईजाद करने वाले झाओ के मुताबिक अभी इस तकनीक को और भी उन्नत करने पर काम चल रहा है. आने वाले समय में इसकी रेंज बढ़ सकती है.
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