नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को संगम के पानी को लेकर पूरी जानकारी नहीं देने के लिए फटकार लगाई है. NGT ने कहा कि UPPCB ने संगम के पानी के मानकों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं दी. इसी के साथ ही NGT ने राज्य सरकार को एक सप्ताह में नई रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए हैं.
संगम के पानी को लेकर 'अधूरी' जानकारी दी, NGT ने UPPCB को बुरी तरह लताड़ा
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, प्रयागराज में पिछले एक महीने से चल रहे महाकुंभ में अब तक ‘54 करोड़’ लोग डुबकी लगा चुके हैं. महाकुंभ का समापन होने में 7 दिन बाकी है. इससे पहले ही संगम के पानी को लेकर घमासान मचा हुआ है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, प्रयागराज में पिछले एक महीने से चल रहे महाकुंभ में अब तक ‘54 करोड़’ लोग डुबकी लगा चुके हैं. महाकुंभ का समापन होने में 7 दिन बाकी है. इससे पहले ही संगम के पानी को लेकर घमासान मचा हुआ है.
दरअसल, NGT के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव के नेतृत्व वाली तीन सदस्यों की बेंच 23 दिसंबर को दिए गए एक आदेश को लेकर सुनवाई कर रही थी. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके तहत यूपी सरकार और सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) को महाकुंभ के दौरान गंगा और यमुना का पानी पीने लायक सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे. हाल में इस आदेश के तहत CPCB ने एक रिपोर्ट सौंपी जिसमें महाकुंभ के दौरान संगम स्थित गंगा के पानी में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया के स्तर में बढ़ोतरी के संकेत मिले हैं.
पर्यावरण से जुड़ी खबरों को छापने वाली वेबसाइट ‘डॉउन टू अर्थ’ ने इस बारे में एक रिपोर्ट छापी है. इसके मुताबिक. CPCB की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद NGT की बेंच ने UPPCB को फटकार लगाई है. रिपोर्ट के अनुसार, NGT ने कहा,
“आपने 50 करोड़ लोगों को सीवेज के दूषित पानी से नहला दिया. पानी जो नहाने लायक भी नहीं था, उससे लोगों को आचमन (पानी पीना) तक करना पड़ा.”
जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की बेंच ने UPPCB की तरफ से रिपोर्ट दायर नहीं करने पर ये भी कहा, “लगता है आप किसी दबाव में हैं.”
दिलचस्प बात ये कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने NGT के हवाले से विधानसभा में दावा किया कि संगम का पानी ना सिर्फ नहाने योग्य है, बल्कि इससे आचमन भी किया जा सकता है. लेकिन दूसरी तरफ ट्रिब्यूनल ने UPPCB को महाकुंभ के दौरान संगम के पानी के दूषित होने की सही जानकारी नहीं देने को लेकर झाड़ लगाई है.
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UPPCB ने बिना शर्त माफी मांगते हुए रिपोर्ट सौंपीThe New Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक, UPPCB ने देरी के लिए बिना शर्त माफी मांगते हुए NGT की बेंच के सामने 549 पेज की रिपोर्ट सौंपी. UPPCB ने 19 फरवरी को बताया कि उसने एक कम्पलायंस रिपोर्ट सौंपी है, लेकिन उसने CPCB से उन जगहों के सटीक लोकेशन मांगे हैं जहां से सैंपल इकट्ठा किए गए थे. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, NGT ने कहा कि UPPCB की कम्पलायंस रिपोर्ट में भी पानी की गुणवत्ता को लेकर ठोस जानकारी नहीं है. मसलन, इसमें बॉयोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड, फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की विस्तृत जानकारी नहीं है.
इस बीच यूपी की एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने बताया कि पानी की गुणवत्ता सुधारने के लिए उचित कार्रवाई की जाएगी. बेंच ने UPPCB को नई रिपोर्ट सबमिट करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है.
CPRB की रिपोर्ट में क्या सामने आया?CPCB ने 3 फरवरी को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. इसके मुताबिक 6 मानकों पर संगम के पानी को जांचा गया है. यह सैंपल 12, 13, 14, 15 और 19 जनवरी को लिए गए थे. फीकल कोलीफॉर्म का स्तर प्रति 100 मिलीलीटर में 2,500 यूनिट से कम होना चाहिए. लेकिन रिपोर्ट में कई जगहों पर यह मात्रा काफी ज्यादा है. जैसे पहले शाही स्नान वाले दिन दीहा घाट के पास गंगा नदी में फीकल कोलीफॉर्म का स्तर 33,000 यूनिट दर्ज किया गया था. इसके एक दिन बाद यानी 14 जनवरी को संगम के पास गंगा नदी में फीकल कोलीफॉर्म 11,000 यूनिट, दीहा घाट में 17,000 यूनिट और पुराने नैनी ब्रिज के पास यमुना नदी में 33,000 यूनिट दर्ज किया गया था.
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