पूप माने पॉटी! सुनकर ही मूड ख़राब हो जाता है, है न? लेकिन यह बहुत काम की आइटम है. UK के डॉक्टरों इसके ज़रिए हमारा-आपका इलाज करने की जुगत में हैं. वे “पूप पिल्स” (Poop Pills) यानी पॉटी वाली दवाई बना रहे हैं. घबराइए मत! यह दवाई पॉटी के हेल्दी हिस्से से बनेगी. दावा है कि इससे हमारी गट हेल्थ यानी आंतों के स्वास्थ्य को ट्रीट किया जाएगा. इसके ज़रिए पेट में गुड बैक्टीरिया भेजे जाएंगे, जो एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंस को भी ख़त्म करने में मदद करेंगे.
पॉटी वाली दवाई! UK के वैज्ञानिक बना रहे अनोखी मेडिसिन, जान बचाने का करेगी काम
Poop Pills: ब्रिटेन के वैज्ञानिक इस दवा के ट्रायल में जुटे हुए हैं. इस इलाज को वैज्ञानिक भाषा में फेकल माइक्रोबायोटा ट्रांसप्लांटेशन (FMT) कहा जाता है. हाल में लंदन के Guy’s और St Thomas’ हॉस्पिटल में 41 लोगों पर रिसर्च की गई है. रिज़ल्ट में चौंकाने वाले बातें सामने आई हैं.

BBC में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन के वैज्ञानिक इस दवा के ट्रायल में जुटे हुए हैं. इस इलाज को वैज्ञानिक भाषा में फेकल माइक्रोबायोटा ट्रांसप्लांटेशन (FMT) कहा जाता है. हाल में लंदन के Guy’s और St Thomas’ हॉस्पिटल में 41 लोगों पर रिसर्च की गई है. इन मरीज़ों को दो ग्रुपों में बांटा गया था. ये सभी मरीज हाल ही में एक ऐसे इन्फेक्शन से ठीक हुए थे, जिस पर दवाइयां ख़ासतौर से एंटीबायोटिक असर नहीं कर रही थीं.
एक ग्रुप को तीन दिन तक “पूप पिल्स” दी गई जबकि दूसरे ग्रुप को अन्य दवा. एक महीने बाद जिन मरीज़ों को असली “पूप पिल्स” दी गई थीं, उनके पेट में गुड बैक्टीरिया की मौजूदगी देखी गई. इसने यह बताया कि पूप पिल्स ने न सिर्फ़ गुड बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाई, बल्कि उन ख़राब बैक्टीरिया को भी हटाया जो अमूमन एंटीबायोटिक दवा से नहीं मरते.
स्टडी का नेतृत्व कर रहे प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. ब्लेयर मेरिक का कहना है कि ये नतीजे बहुत उत्साहित करने वाले हैं. बैक्टीरिया को लेकर धीरे-धीरे लोगों की सोच बदल रही है. लोग यह समझने लगे हैं कि सभी बैक्टीरिया बुरे नहीं होते. पहले वे हर बैक्टीरिया को ख़राब मानते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं है.
कैसे बनती है पूप पिल्सस्टूल बैंक से हेल्दी डोनर्स के मल के नमूने लिए जाते हैं. इन नमूनों की अच्छी तरह से जांच की जाती है. इनमें मौजूद फायदेमंद बैक्टीरिया को अलग किया जाता है. ख़राब और नुकसानदायक बैक्टीरिया को हटा दिया जाता है. फिर इसे फ्रीज़-ड्राय किया जाता है और एक पाउडर बनाया जाता है. इसके बाद इसे कैप्सूल में भरा जाता है.
दवाई को कैप्सूल में भरकर मरीज़ को दिया जाता है. ये कैप्सूल मुंह के रास्ते पेट में पहुंचते हैं और आंत में जाकर अच्छे बैक्टीरिया छोड़ते हैं. शुरुआती परीक्षणों में देखा गया है कि ये पिल्स अच्छे बैक्टीरिया से आंतों को भर देती हैं. इससे ख़राब बैक्टीरिया (सुपरबग्स) की संख्या घट जाती है.
इनमें भी फायदेमंदशुरुआती रिसर्च में यह इलाज लिवर की बीमारी जैसी कई तरह की बीमारियों में काफी फायदेमंद दिखा है. दावा है कि भविष्य में इसका इस्तेमाल फिटनेस बेहतर करने और उम्र के असर को कम करने में हो सकता है.
गौरतलब है कि एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंस एक गंभीर समस्या है. कई लोगों को इसकी वजह से जान गंवानी पड़ती है. अनुमान है कि अगर इसका कोई असरदार इलाज नहीं मिला तो 2050 तक इससे दुनियाभर में 3.9 करोड़ लोगों की जान जा सकती है. वहीं, अगर पूप पिल्स के रिज़ल्ट आगे भी अच्छे रहते हैं तो यह इसके इलाज में मील का पत्थर साबित हो सकती है.
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