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बिहार के इस पुल की हिम्मत को सलाम, नदी ने पूरा जोर लगाया, सिर्फ दो खंभे गिरा पाई

कटिहार जिले के प्रभारी मंत्री नीरज कुमार सिंह ने ही कहा है कि इसे निर्माणाधीन पुल का गिरना कहना उचित नहीं है. निर्माण हाल ही में शुरू हुआ था. केवल दो खंभे ढहे हैं.

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निर्माणाधीन पुल के दो खंभे नदी में बहे (स्क्रीनग्रैब - ट्विटर)

बिहार के गिरते, ढहते, बहते पुलों की कड़ी में एक और पुल ने अपनी जगह बना ली है. इस बार मामला बिहार के कटिहार का है. जहां गंगा नदी पर एक छोटे निर्माणाधीन पुल का हिस्सा ढह गया.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के कटिहार जिले के बरारी प्रखंड क्षेत्र में गंगा नदी पर एक छोटे निर्माणाधीन पुल का हिस्सा 8 अगस्त को ढह गया. बिहार का ग्रामीण निर्माण विभाग (RWD) बकिया सुखाये पंचायत को कटिहार जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए इस छोटे पुल का निर्माण कर रहा था. इस दुर्घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.

कटिहार के डीएम मनेश कुमार मीणा ने घटना पर जानकारी दी, 

‘इस पुल का निर्माण हाल ही में शुरू हुआ था. नदी में पानी का बहाव तेज होने के कारण पुल पर दबाव बढ़ने से उसके दो खंभे ढह जाने की आशंका है. मामले की जांच की जा रही है.’

घटना पर कटिहार जिले के प्रभारी मंत्री नीरज कुमार सिंह ने टिप्पणी करते हुए कहा, 

‘इसे निर्माणाधीन पुल का गिरना कहना उचित नहीं है. निर्माण हाल ही में शुरू हुआ था. केवल दो खंभे ढहे हैं, जिनका निर्माण किया जा रहा था. बिहार में NDA सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि चालू या पूरी तरह से बने पुलों के ढहने पर अधिकारियों के साथ-साथ ठेकेदारों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी.’

पिछले दो महीने में राज्य के विभिन्न जिलों में कई छोटे- बड़े पुल ढह गए. रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार ने पुल ढहने की घटनाओं की जांच कराकर 15 इंजीनियर को हाल ही में निलंबित किया है.

इससे पहले 3 जुलाई को बिहार के अलग-अलग जिलों में पांच पुलों के गिरने का मामला सामने आया था. जिसके बाद मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. मांग उठी कि राज्य के सभी पुलों का हाई लेवल ऑडिट होना चाहिए.

आजतक से जुड़ीं कनु सारदा की रिपोर्ट के मुताबिक, एडवोकेट ब्रजेश सिंह ने अपनी याचिका में आग्रह किया कि सुप्रीम कोर्ट को राज्य में मौजूद छोटे और बड़े पुलों और हाल के सालों में किए गए सरकारी निर्माण के संरचनात्मक ऑडिट का आदेश देना चाहिए. 

याचिका में ये भी कहा गया है कि पुलों समेत सरकारी निर्माण की रियल टाइम निगरानी के लिए दिशानिर्देश और नीति तैयार किए जाने चाहिए. लिखा है कि बिहार में एक के बाद एक पुलों का ढहना साबित करता है कि उनसे कोई सबक नहीं सीखा गया है और पुलों जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया गया है. इन नियमित घटनाओं को केवल दुर्घटनाएं नहीं कहा जा सकता है. ये मानव निर्मित आपदाएं हैं.

याचिका में आगे कहा गया कि बिहार भारत का सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित राज्य है. राज्य का कुल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र 68,800 वर्ग किमी है जो कि राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 73.06% है. बिहार में पुल गिरने की नियमित हो रही घटनाएं ज्यादा विनाशकारी हैं क्योंकि बड़े पैमाने पर लोगों का जीवन दांव पर है. ये गंभीर चिंता का विषय है.

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