तस्वीरें- विकिपीडिया और इंडिया टुडे से साभार हैं.
बकुल नाथ. कांग्रेस दिग्गज कमल नाथ के बेटे. अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाला मामले के मुख्य आरोपी राजीव सक्सेना ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की पूछताछ में बकुल नाथ का नाम लिया था. अब पैंडोरा पेपर्स में भी उनका नाम सामने आया है. भारत में इंडियन एक्सप्रेस अखबार पैंडोरा पेपर्स की जांच कर रहा है. इन दस्तावेजों में बकुल नाथ और राजीव सक्सेना के नाम मिलने को उसने अगस्ता वेस्टलैंड करप्शन स्कैंडल से जुड़ा 'ताजा सबूत' बताया है. बता दें कि ED और CBI अगस्ता वेस्टलैंड मामले में कई चार्जशीट दायर कर चुके हैं.
क्या कहती है रिपोर्ट?
राजीव सक्सेना इस समय बेल पर हैं. उन्होंने पिछले साल ED की पूछताछ के दौरान बकुल नाथ का नाम लिया था. अब पैंडोरा पेपर्स के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है कि राजीव सक्सेना ने अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी के खाते से 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की रकम इंटर्स्टेलर टेक्नोलॉजीज कंपनी को ट्रांसफर की थी. इस काम में राजीव सक्सेना ने कथित रूप से वकील गौतम खेतान की मदद ली थी. अखबार के मुताबिक, साल 2000 तक राजीव सक्सेना ने इंटर्स्टेलर टेक्नोलॉजीज के 99.9 प्रतिशत शेयर्स टेकओवर कर लिए थे. पिछले साल नवंबर में ED की पूछताछ में उन्होंने बताया था,
"हमें (यानी राजीव सक्सेना और एक अन्य आरोपी सुशांत मोहन गुप्ता) प्रिस्टिन रिवर इन्वेस्टमेंट्स नाम की कंपनी से फंडिंग मिली थी. इस कंपनी को कमल नाथ के बेटे बकुल नाथ के लिए जॉन डॉचर्टी मैनेज करते थे. इस तरह इंटर्स्टेलर टेक्नोलॉजीज (Interstellar Technologies) से मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल प्रिस्टिन रिवर इन्वेस्टमेंट के लोन चुकाने में किया गया."
अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, जॉन डॉचर्टी स्विट्जरलैंड के नागरिक हैं. पैंडोरा पेपर्स से पता चला है कि एक ऑफशोर कंपनी स्पेक्टर कन्सल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड (SCSL) के जरिये वो बकुल नाथ से जुड़े हुए थे. ये कंपनी फरवरी 2018 में ट्राइडेंट ट्रस्ट द्वारा शुरू की गई थी.
ट्राइडेंट ट्रस्ट क्या है? ये फाइनैंशियल सर्विसेज सेक्टर से जुड़ी कंपनी है जो दुनियाभर में कॉर्पोरेट, ट्रस्ट और फंड एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़ी सेवाएं देती है. SCSL का ठिकाना है ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड (BVI). बोले तो टैक्स हेवन. अखबार के मुताबिक, जॉन डॉचर्टी SCSL के पहले डायरेक्टर हैं. वहीं, बकुल नाथ का नाम कंपनी के बेनेफिशियल ओनर के तौर पर दर्ज है, दुबई के पते पर. इसके अलावा SCSL की एक शेयरहोल्डर कंपनी है. सेलब्रूक लिमिटेड. ये भी एक BVI कंपनी है. SCSL ने इसे रियल ऐस्टेट कंपनी के रूप में लिस्टेड किया हुआ है, जिसकी संपत्ति 75 करोड़ रुपये से ज्यादा की है. इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि उसने इन तमाम तथ्यों के आधार पर बकुल नाथ से सवाल किए थे, जिनके जवाब अभी तक उन्होंने नहीं दिए हैं. वापस राजीव सक्सेना पर आते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 में राजीव ने अपनी पर्सनल ऐसेट्स के लिए एक ट्रस्ट की शुरुआत की थी. नाम था तनय होल्डिंग्स लिमिटेड. उन्होंने अपनी BVI कंपनी के तहत ही इस ट्रस्ट को शुरू किया था. इसमें 14 अन्य कंपनियों या संपत्तियों की ओनरशिप या शेयर्स शामिल थे. 2014 में राजीव सक्सेना ने ऑफशोर वेंचर के तौर पर मैट्रिक्स यूएई ट्रस्ट शुरू किया. मैट्रिक्स इंटरनेशनल लिमिटेड इसकी मूल BVI कंपनी थी. खबर के मुताबिक, राजीव सक्सेना की ऐसी कई फ्लैगशिप कंपनियां अगस्ता वेस्टलैंड से जुड़ी थीं जिनके शेयर मैट्रिक्स यूएई ट्रस्ट के यहां गिरवी थे. साल 2014 में भारत सरकार ने अगस्ता वेस्टलैंड डील को कैंसिल कर दिया था. 2017 में चेन्नई में ED ने एक और आरोपी शिवानी सक्सेना की गिरफ्तार की थी. इससे कुछ महीने पहले राजीव सक्सेना ने गोपनीय ईमेल्स के जरिये ट्राइडेंट ट्रस्ट को निर्देश दिए थे. कहा था कि तनय ट्रस्ट और मैट्रिक्स यूएई ट्रस्ट को समाप्त कर दिया जाए. उनसे जुड़ी BVI कंपनियों का भी निपटारा करो और उनके शेयर राजीव को ही ट्रांसफर कर दिए जाएं.
गौतम खेतान ने क्या किया?
अगस्ता वेस्टलैंड डील के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का जो जटिल स्ट्रक्चर तैयार किया गया, उसमें वकील गौतम खेतान की अहम भूमिका थी. उन्हें दिसंबर 2016 में पूर्व वायु सेना चीफ एसपी त्यागी के साथ गिरफ्तार किया गया था. गौतम भी अभी बेल पर बाहर हैं. पैंडोरा पेपर्स से पता चला है कि गौतम खेतान लंदन के एक रेस्टोरेंट ओनर आदित्य खन्ना के ऑफशोर ट्रस्ट के प्रोटेक्टर के रूप में काम कर हे थे. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा है,
"मेरे क्लाइंट दशकों से NRI हैं. मैं उनका पेशेवर बिचौलिया था. वही बता सकते हैं कि उनकी कंपनियां अभी भी चल रही हैं या नहीं."
इनके अलावा सुशांत मोहन गुप्ता भी अगस्ता वेस्टलैंड मामले में आरोपी हैं. पैंडोरा पेपर्स के मुताबिक, 2005 में सुशांत गुप्ता के पिता देव मोहन गुप्ता ने टैक्स हेवेन माने जाने वाले बेलिज में लांज ट्रस्ट नाम की कंपनी शुरू की थी. इस कंपनी के रिकॉर्ड्स के मुताबिक, देव मोहन गुप्ता इसके सेटलर और पत्नी शुभ्रा गुप्ता और बेटा सुशांत मोहन गुप्ता पहले और दूसरे बेनेफिशियरी हैं. इन्होंने भी पैंडोरा पेपर्स में अपने नाम आने को लेकर कोई टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया है.