The Lallantop

बीबीसी एंकर ने 'भूख' को लेकर भारत पर तंज किया, शेफ विकास खन्ना के जवाब से लोग खुश हैं

इसकी क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.

post-main-image
विकास खन्ना (बाएं) अब तक अपने अभियान के जरिए लॉकडाउन के दौरान हजारों लोगों को भोजन उपलब्ध करवा चुके हैं. बीबीसी के कार्यक्रम में उनके अभियान पर बात हो रही थी, जिसकी क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. फोटो: India Today/Twitter
भारत के सेलिब्रिटी शेफ विकास खन्ना. अमेरिका में हैं. वहां से भारत में गरीबों के लिए खाने का अभियान चला रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान उन्होंने 'फीड इंडिया' अभियान के तहत बहुत से मजदूरों की मदद की. उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फूड इंडस्ट्री का सबसे सम्मानित अवॉर्ड मिशेलिन स्टार मिला हुआ है. बीबीसी के साथ एक इंटरव्यू में वो अपने इस अभियान के बारे में बात कर रहे थे. अब उसका एक हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें 'भूख' को लेकर विकास खन्ना एक जवाब दे रहे हैं. बीबीसी एंकर के एक सवाल को लोग भारत को लेकर कोलोनियल मानसिकता से जोड़ रहे हैं और विकास खन्ना के जवाब की तारीफ कर रहे हैं. बीबीसी एंकर ने कहा कि उनकी भूख को लेकर समझ भारत से आई होगी. एंकर ने पूछा,
अब आप फेमस हैं. आपने ओबामा के लिए कुक किया. आप गॉर्डन रामसे के साथ शो में रहे. लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था. आप अमीर परिवार से नहीं थे. तो मैं ऐसा कहने की हिमाकत करूंगा कि आप समझते हैं कि भारत में ये (भूख) कितनी अनिश्चित चीज है. 
विकास खन्ना का जवाब इस सवाल पर विकास खन्ना जवाब देते हैं कि उनकी भूख की समझ भारत से नहीं न्यू यॉर्क से आई है. उन्होंने कहा,
नहीं, मेरी भूख की समझ भारत से नहीं आई क्योंकि मैं अमृतसर में पैदा हुआ और पला-बढ़ा. वहां बड़े कम्युनिटी किचन (लंगर) में सबको खाना मिलता है. जहां पूरा शहर खा सकता है. लेकिन मेरी भूख की समझ न्यू यॉर्क से आई.  एक ब्राउन किड के लिए अमेरिका में ऊंचे सपनों के साथ आना आसान नहीं है. 9/11 के बाद हमें जॉब मिलना और भी कठिन था. जब मैं न्यू यॉर्क आया तो संघर्ष के दिनों में यहां मैंने भूख का सही मतलब जाना. 
यहां देखें क्लिप: अब ये क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल है. लोग विकास खन्ना के शांत तरीके से दिए गए जवाब की तारीफ कर रहे हैं. कोई इसे 'क्लासिक रिप्लाई' कह रहा है, कोई 'सैवेज' टाइप का रिस्पॉन्स. अपने अभियान 'उत्सव' के जरिए विकास खन्ना ने 14 लाख लोगों को खाने के पैकेट बांटने का लक्ष्य रखा था. साथ ही उन्होंने मुंबई के डब्बावालों को मदद की है.
तस्वीर: चर्चिल और क्लाइव की टूटती मूर्तियां असल में भारत पर सदियों पहले हुए अत्याचार की याद दिलाती हैं