नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है (New Delhi Railway Station Stampede). 15 फरवरी की रात को मची भगदड़ के बाद जो दृश्य देखने को मिले, वो झकझोर देने वाले हैं. भीड़ छंटने के बाद प्लेटफॉर्म पर बिखरे पड़े जूते-चप्पल, दुपट्टे, मफलर इत्यादि रात की कहानी बयां कर रहे हैं. ऐसी ही कई कहानियां अब देखने-सुनने को मिल रही है, जिसमें लोगों ने अपने परिजनों को खो दिया. ऐसी ही कहानी बिहार के एक परिवार की सामने आ रही है, जिसमें बच्चों ने अपनी मां को खो दिया. परिवार ने बताया कि गरीबी की वजह से उनके पास महिला का अंतिम संस्कार करने के लिए भी पैसे नहीं है.
NDLS भगदड़ में मां की मौत, अंतिम संस्कार के पैसे भी नहीं... कबाड़ बीनने वाले बच्चों की बातें सुन नहीं पाएंगे
New Delhi Railway Station Stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन हादसे से बिहार के परिवार की सामने आ रही है, जिसमें बच्चों ने अपनी मां को खो दिया. परिवार ने बताया कि गरीबी की वजह से उनके पास महिला का अंतिम संस्कार करने के लिए भी पैसे नहीं है.

लल्लनटॉप के रिपोर्टर रजत पांडे और फोटो पत्रकार हनी ने शवगृह के बाहर बैठे परिवार से बात की. मृतक महिला के भांजे ने बताया कि वे लोग पटना से पानीपत जा रहे थे. दिल्ली में उन्हें पानीपत जाने के लिए ट्रेन बदलनी थी. इसी दौरान भगदड़ मच गई. मृतका के भांजे ने बताया,
‘मेरी आंखो के सामने मेरी मामी की मौत हो गई. मैं भी भीड़ में फंस गया था, लेकिन प्लेटफॉर्म की छत पर से नीचे कूद गया और बच गया. वरना शायद परिणाम बुरा होता.'
वहीं, मृतक महिला की बेटी ने बताया कि भगदड़ से पहले उसने अपनी मां से आखिरी बार 2 घंटे पहले बात की थी. उसने बताया,
‘मां ने कहा था कि आकर खाना खाएंगें, इसलिए मम्मी के लिए खाना बनाया था.’
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परिजनों ने बताया कि मृतका का नाम ललिता देवी है. परिवार में कुल 5 लोग हैं, जो बिहार के रहने वाले हैं, लेकिन पानीपत में रहकर ‘कबाड़’ बीनने का काम करते हैं. इसी से वे गुजारा करते हैं. महिला की बेटी ने बताया कि गरीबी के चलते उनके पास इतने पैसे भी नहीं है कि वो लोग मृतका अंतिम संस्कार कर सके. उन्होंने सरकार से आर्थिक मदद की अपील की है.
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