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NCERT के नए रिपोर्ट कार्ड में बच्चे ही देंगे बच्चों को नंबर, क्या है नया सिस्टम?

परंपरागत तौर पर स्कूलों में मूल्यांकन साल के अंत में या बीच में ली जाने वाली परीक्षाओं से होता था. इसका पूरा दारोमदार शिक्षकों पर था. नए सिस्टम को 'छात्र-केंद्रित' बनाने का प्रयास किया.

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नया सिस्टम लागू हो गया है. (सांकेतिक तस्वीर- इंडिया टुडे)

क़ाग़ज़ का एक टुकड़ा आपकी योग्यता तय नहीं करता– स्कूल की मार्कशीट और कॉलेज के सर्टिफ़िकेट्स के लिए घिसा हुआ बयान है. मुराद ये कि किसी डिग्री या पर्चे से ये निर्धारित नहीं होता कि आप कितने लायक़ हैं. ये हमारी मौजूदा शिक्षा व्यवस्था और मूल्यांकन पर भी कटाक्ष है, कि किसी व्यक्ति की योग्यता का पूरा माप एक पन्ने पर नहीं आ सकता. मुमकिन है वो अपने विषयों में बहुत तुर्रम न हो, मगर दुनियादारी का उसे अच्छा भान हो. 

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दरअसल, डिग्री-सर्टिफ़िकेट में दुनियादारी का खाका नहीं होता. फिर वो व्यक्ति अपने कला-कौशल से जीवन की दौड़ में आगे निकल जाए, तो उसे प्रतीक के तौर पर पेश किया जाता है. मगर इससे मूल समस्या हल नहीं होती: डिग्री-सर्टिफ़िकेट की सीमाएं. इसीलिए अब एक नए तरह की प्रोग्रेस रिपोर्ट का प्रस्ताव रखा गया है. छात्रों की प्रोग्रेस को ट्रैक करने के लिए इसमें नियमित रूप से माता-पिता, साथ पढ़ने वालों और ख़ुद छात्रों के भी फ़ीडबैक को शामिल किया जाएगा.

कैसी होगी नई Progress Report?

राष्ट्रीय शैक्षिक और अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के तहत एक मानक-निर्धारण बॉडी है: परख (PARAKH). इसी बॉडी ने नए समग्र रिपोर्ट कार्ड (HPC) का मसौदा तैयार किया है. इसमें स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCFSE) की सिफ़ारिशें जोड़ी गई हैं.

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परंपरागत तौर पर स्कूलों में मूल्यांकन साल के अंत में या बीच में ली जाने वाली परीक्षाओं से होता था. इसका पूरा दारोमदार शिक्षकों पर था. HPC में मूल्यांकन को 'छात्र-केंद्रित' बनाने का प्रयास किया गया है. इसके तहत छात्र अपने मूल्यांकन के लिए ख़ुद भी ज़िम्मेदार होंगे. और न केवल अपने, बल्कि हर बच्चा अपने सहपाठियों की प्रोग्रेस का मूल्यांकन भी करेगा.

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मिसाल के लिए किसी क्लास या ऐक्टिविटी के बाद हर छात्र को एक फ़ॉर्म दिया जाएगा, जिसमें वो बताएगा कि वो क्या कर पाया, क्या नहीं. जैसे क्लास जमी, तो  'मुझे ये काम पसंद आया' पर निशान लगाएगा. नहीं जमी, तो 'नहीं' पर. नई शिक्षा नीति 2020 के तहत HPC से छात्रों का आत्मविश्वास और आत्म-अवलोकन बढ़ेगा.

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बोर्ड का मानना है कि नई मूल्यांकन पद्धति केवल बच्चे को ही नहीं, माता-पिता को भी शामिल रखेगी. माता-पिता से भी इनपुट लिए जाएंगे, कि होमवर्क कैसे करता है, घर पर फ़ोन कितना चलाता है. नए मूल्यांकन में सहपाठियों को भी आंकना होगा. हर क्लास के बाद छात्र को अपने बग़ल वाले पर भी टिप्पणी करनी होगी.

कब से लागू होगा?

होगा नहीं, लागू है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, PARAKH ने पहले से ही पहली और दूसरी क्लास, प्राइमरी (तीसरी से पांचवीं क्लास) और मिडल स्कूल (छठी से आठवीं क्लास) के लिए HPC तैयार कर लिया है. अभी इसे सेकेंडरी स्टेज के लिए विकसित किया जा रहा है. NCERT ने सभी राज्यों से या तो HPC को अपनाने के लिए कहा है. PARAKH की प्रमुख और CEO इंद्राणी भादुड़ी ने बताया,

हमने मार्च, 2023 में चुनिंदा स्कूलों के साथ एक पायलट प्रोग्राम चलाया था. फिर हमने राज्यों से HPC को अपनी ज़रूरतों के हिसाब से जोड़-घटा कर लागू करने के लिए कह दिया. लगभग 15 से 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ CBSE स्कूल अब HPC के आधार पर छात्रों का मूल्यांकन कर रहे हैं.

स्कूली शिक्षा की तरफ़ ये क़दम कितना सार्थक साबित होगा, ये वक़्त बताएगा. मगर इसमें बिलाशक एक बात बहुत अच्छी है, कि व्यवस्था ने चिह्नित किया कि मौजूदा व्यवस्था में कुछ तो चूक थी. बदलाव की पहली शर्त और बदलाव की दिशा में पहला क़दम स्वीकृति है. 

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