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DGP से नेता बनीं श्रीलेखा कौन हैं जिन्हें केरल में भाजपा अपनी पहली मेयर बना सकती हैं

केरल की राजनीति में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है. भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने तिरुवनंतपुरम नगर निगम को सीपीआई(एम) से छीन लिया. उसे इस चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें मिलीं.

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श्रीलेखा ने निकाय चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की है (india today)

केरल के लिए शनिवार, 13 दिसंबर का दिन बड़ा बदलाव लेकर आया था. वामपंथी गढ़ में भाजपा के सेंध लगाने की बात संभावनाओं में तो चर्चित थी लेकिन ऐसा हो जाएगा, यह किसी की भी कल्पना में शायद ही रहा हो. लेकिन भगवा पार्टी ने ये कर दिखाया. विधानसभा या लोकसभा के चुनाव में नहीं. निकाय चुनाव में. तिरुवनंतपुरम नगर निगम में कम्युनिस्ट पार्टी के 45 साल पुराने शासन पर भाजपा की अगुआई वाले गठबंधन एनडीए ने बड़ा प्रहार किया है. 

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13 दिसंबर को मतगणना के बाद 101 सदस्यीय तिरुवनंतपुरम नगर निगम में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. उसकी अगुआई वाले गठबंधन को 50 वार्डों में जीत मिली. जबकि, सीपीआई(एम) के नेतृत्व वाले एलडीएफ को 29 सीटें और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ को 19 सीटें मिलीं. भाजपा गठबंधन बहुमत से सिर्फ एक सीट पीछे रह गया लेकिन माना जा रहा है कि तिरुवनंतपुरम में पहली बार उसका मेयर बन सकता है. या फिर बन ‘सकती’ है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, मेयर पद के लिए आर श्रीलेखा का नाम चर्चा में है, जो इस पूरे चुनाव की सबसे हाईप्रोफाइल प्रत्याशी थीं. साल 2020 में डीजीपी पद से रिटायर होने वाली आर. श्रीलेखा ने सस्थामंगलम डिवीजन से चुनाव लड़ा और भारी अंतर से जीत गईं. सफलता से गदगद श्रीलेखा ने कहा कि उन्हें बताया कि गया है कि सस्थामंगलम वार्ड में आज तक किसी उम्मीदवार को इतनी बड़ी जीत नहीं मिली. उन्होंने जनता को धन्यवाद भी दिया. इस बीच ये अटकलें लगने लगीं कि क्या 64 साल की पूर्व पुलिस अधिकारी को भाजपा तिरुवनंतपुरम का मेयर बनाएगी? 

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कौन हैं श्रीलेखा?

अगर ये हो गया तो वह तिरुवनंतपुरम में पहली भाजपा मेयर होंगी. चलिए श्रीलेखा के बारे में जान लेते हैं. कौन हैं? कब राजनीति में आईं. भाजपा में ही क्यों आईं. क्यों चर्चा में रहीं. सब बात.

केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में ही जन्मी और पली-बढ़ीं आर. श्रीलेखा जनवरी 1987 में केरल की पहली महिला आईपीएस अधिकारी बनीं. तकरीबन तीन दशकों से ज्यादा के अपने करियर में उन्होंने प्रदेश के कई जिलों में पुलिस प्रमुख के तौर पर काम किया. उन्होंने सीबीआई, केरल क्राइम ब्रांच, विजिलेंस, फायर फोर्स, मोटर वाहन विभाग और जेल विभाग जैसे अहम संस्थानों में भी सेवाएं दीं. 

साल 2017 में उनका प्रमोशन हुआ और श्रीलेखा डीजीपी बन गईं. इस रैंक तक पहुंचने वाली वह केरल की पहली महिला अधिकारी हैं. सीबीआई में रहते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई के कारण उन्हें लोगों ने ‘रेड श्रीलेखा’ (छापा मारने वाली श्रीलेखा) भी कहा. उन्होंने 33 साल से ज्यादा की पुलिस सेवा के बाद दिसंबर 2020 में रिटायरमेंट ले लिया. हालांकि, रिटायरमेंट के बाद भी वो चर्चा में रहीं. साल 2017 के एक यौन उत्पीड़न मामले में एक्टर दिलीप को गलत तरीके से फंसाए जाने का दावा कर उन्होंने सुर्खियां बटोरीं. 

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इसके अलावा, कांग्रेस से निकाले गए नेता राहुल मामकूटाथिल के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत में देरी पर सवाल उठाकर भी उन्होंने विवाद खड़ा किया था. अक्टूबर 2024 में श्रीलेखा भाजपा में शामिल हो गईं और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित होकर वह पार्टी में आई हैं. किसी पुलिस अधिकारी के राजनीतिक पार्टी मेें शामिल होने के बाद उसकी सर्विस पर सवाल तो उठते ही हैं. श्रीलेखा को लेकर भी उठे. इस पर उन्होंने कहा कि अपने पुलिस करियर के दौरान वह किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ी थीं और उन्होंने बिना किसी राजनीतिक पक्षपात के अपना काम किया.

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