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मुख़्तार अंसारी को उम्रक़ैद की सज़ा, अब किस केस में?

साल 1990 में ग़ाज़ीपुर के मुहम्मदाबाद पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई थी कि Mukhtar Ansari ने जाली दस्तावेज़ लगाकर हथियार लिए थे. अब जाकर एक विशेष MP/MLA अदालत ने उन्हें सज़ा सुनाई है.

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पिछले दो सालों में ये आठवां मामला था, जिसमें मुख़्तार अंसारी को सज़ा सुनाई गई है. (फ़ोटो - आजतक)

उत्तर प्रदेश के मऊ से पांच बार के पूर्व-विधायक मुख़्तार अंसारी को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है. मंगलवार, 12 मार्च को वाराणसी की एक विशेष MP/MLA अदालत ने उन्हें एक 34 साल पुराने केस में दोषी ठहराया था. कितनी सज़ा मिलेगी – इसके लिए जज अवनीश गौतम की अदालत ने बुधवार, 13 मार्च का दिन मुक़र्रर किया था.

इंडिया टुडे से जुड़े रोशन के इनपुट्स के मुताबिक़, भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साज़िश), 420 (धोखाधड़ी) 467 (मूल्यवान सुरक्षा की जालसाज़ी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाज़ी) और शस्त्र अधिनियम की धारा 30 के तहत अंसारी को दोषी ठहराया गया था. बीते रोज़, इसी केस से जुड़े भ्रष्टाचार के एक और मामले में दोषमुक्त किया गया था. 

मुख़्तार अंसारी पर आरोप क्या थे?

4 दिसंबर, 1990. ग़ाज़ीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में मुख़्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद और अन्य अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ एक मुक़दमा दर्ज कराया गया था. 10 जून, 1987 को मुख़्तार ने एक दुनाली बंदूक़ के लाइसेंस के लिए ग़ाज़ीपुर ज़िला मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया था. आरोप लगे कि मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक के फ़र्ज़ी दस्तख़त कर लाइसेंस लिया गया था. केंद्रीय जांच ब्यूरो ने इस धोखाधड़ी का पर्दाफ़ाश किया था, फिर मुक़दमा दर्ज करवाया था.

हत्या समेत कई मामलों में आरोपी मुख़्तार अंसारी को 2021 में पंजाब जेल से उत्तर प्रदेश लाया गया था. तब से बांदा जेल में ही बंद हैं.

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पिछले दो सालों में ये आठवां मामला था, जिसमें अंसारी को दोषी ठहराया गया है और सज़ा सुनाई गई है. 

  • 26 साल पहले वाराणसी में एक कारोबारी को जान से मारने की धमकी दी थी. दिसंबर, 2023 में मुख़्तार को इस जुर्म में पांच साल-छह महीने जेल की सजा सुनाई गई.
  • 13 साल पहले ग़ाज़ीपुर में गैंगस्टर ऐक्ट दर्ज किया गया था. अक्टूबर, 2023 को उन्हें एक केस में 10 साल जेल की सज़ा सुनाई गई. 
  • 1991 में वाराणसी में हत्या और दंगे के एक केस में 5 जून, 2023 को उम्रक़ैद की सज़ा.
  • 18 साल पहले तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से संबंधित एक केस में 29 अप्रैल, 2023 को दस साल जेल की सज़ा.
  • 1996 में ग़ाज़ीपुर में  गैंगस्टर ऐक्ट के तहत एक केस दर्ज हुआ था. 15 दिसंबर, 2022 को 10 साल जेल की सज़ा सुनाई गई.
  • 1999 में लखनऊ के हज़रतगंज पुलिस स्टेशन में गैंगस्टर ऐक्ट केस दर्ज किया गया था. 23 सितंबर, 2022 को पांच साल जेल की सज़ा सुनाई गई थी.
  • 2003 के एक केस में IPC की धारा-353 (लोक सेवक को कर्तव्य से रोकने के लिए हमला करने या आपराधिक बल), 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान करने) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत 7 साल की जेल की सज़ा सुनाई गई थी.