बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री एक बार फिर चर्चा में हैं. चर्चा उनके किसी बयान को लेकर नहीं है, बल्कि उनकी कथा के कार्यक्रम के बंदोबस्त को लेकर है. इस समय शास्त्री की कथा मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में हो रही है. कथा का कार्यक्रम अच्छे से निपट जाए, इसलिए जिला प्रशासन ने कड़े इंतजाम किए हैं, बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है. लेकिन, प्रशासन ने यहीं पर एक गलती भी कर दी, गलती इतनी बड़ी कि कुछ घंटे बाद यूटर्न लेना पड़ा.
धीरेंद्र शास्त्री की कथा में सरकारी टीचर्स की ड्यूटी लगा दी, बात बाहर आई तो प्रशासन ने क्या किया?
जनगणना और चुनाव कराने तक तो ठीक था, लेकिन टीचर्स की ड्यूटी एक निजी कार्यक्रम में कैसे लगाई जा सकती है? लोग ये सवाल पूछने लगे

दरअसल, जिला प्रशासन ने जिले के सरकारी शिक्षकों को भी कथा की व्यवस्था देखने के निर्देश दे दिए. इस फैसले पर सवाल उठने लगे. कहा जाने लगा कि जनगणना और चुनाव कराने तक तो ठीक था, लेकिन टीचर्स की ड्यूटी एक निजी कार्यक्रम में कैसे लगाई जा सकती है?
किसने आदेश दिया था?आजतक से जुड़े पंकज शर्मा की एक रिपोर्ट के मुताबिक राजगढ़ के खिलचीपुर इलाके में हो रही धीरेंद्र शास्त्री की कथा में 100 से ज्यादा सरकारी टीचर्स को तैनात किया गया है. राजगढ़ के प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी करण सिंह भिलाला ने इसके निर्देश दिए थे. उन्होंने इसके लिए बाकायदा एक आदेश जारी किया था. जिन शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है, उन्हें इलाके के 20 सेक्टरों में तैनात किया गया था. जबकि 10 शिक्षकों को रिजर्व में रखा गया था. ये जानकारी जब सार्वजनिक हुई तो सवाल उठने लगे, क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ कि प्रशासन की ओर से शिक्षकों की ड्यूटी किसी निजी कार्यक्रम में लिए लगाई गई हो.
आजतक ने इस मामले में राजगढ़ कलेक्टर से बात करने की कोशिश की, कलेक्टर इस मामले से बचते नजर आए. कुछ देर बाद कलेक्टर ने इन आदेशों को कैंसिल कर दिया.
इस पूरे मामले में जिला शिक्षा अधिकारी करण सिंह भिलाला ने बताया कि धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम में शिक्षकों की ड्यूटी लगाई थी. जिला प्रशासन के सहयोग के लिए 110 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी, लेकिन आज 27 जून को उनकी ड्यूटी को कैंसिल कर दिया गया है.
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